अभी कुछ एक दिनों से सोशल मीडिया पर घूम रहे अखिल भारतीय प्रधान संगठन के लेटर हेड में लिखी मांगों को लेकर शिक्षकों के गुस्से में उबाल आ गया जिसको लेकर प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हुआ और सोशल मीडिया पर छा गया।
आपको बता दें कि अभी हाल ही में सोशल मीडिया पर राज्यपाल को संबोधित अखिल भारतीय प्रधान संगठन का लेटर हेड पर लिखा मांग पत्र वायरल हुआ जिसमें नम्बर 4 पर सरकारी स्कूल के अध्यापकों की उपस्थिति प्रमाणित करने व निलंबन के अधिकार देने की मांग की गई।प्रधानों के संगठन ने राज्यपाल से मांग करते हुए लिखा कि अध्यापकों की उपस्थिति कार्य प्रमाणन के साथ निलंबन की संस्तुति सहित अन्य मांगों के अधिकार दिये जायें।
प्रधानों के इस मांग पत्र के बाद सोशल मीडिया पर शिक्षकों ने ऐसी मांगों को निराधार बताया। नाम न लिखने की शर्त पर एक शिक्षक ने बताया कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में प्रधानों को बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने को नहीं मिल पा रहा है इसलिए अपने दायित्वों औऱ पद से बढ़कर ऊलजलूल माँगे सरकार के सामने रख रहे हैं। इनका संघ चाहता है कि शिक्षक मिड डे मील ,बच्चों के खातों में भेजी जा रही धनराशि के कार्य को भी पारदर्शी तरीके से न करें जिससे उनके अधीन आकर शिक्षक इनके मन मुताबिक कार्य करें और सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं की धनराशि का बंदरबाट करें। उनका कहना है कि स्कूलों में हो रहे कायाकल्प में भ्रष्टाचार इसका ताजा उदाहरण हैं।
दूसरी ओर सोशल मीडिया पर शिक्षकों ने शिक्षक संगठनों से राज्यपाल को संबोधित प्रतिउत्तरित मांग पत्र भेजने की गुजारिश की है जिसमें प्रधानों की संपत्ति का लेखा जोखा, ग्राम पंचायत स्तर पर कराये गए कार्य जैसे नाली,खड़ंजा, आवास व शौचालय सम्बन्धी जारी होने वाले बजट का लेखा जोखा एवं ग्रामीण स्तर पर कराये जा रहे कार्य के लिए बजट का सुपर विजिन का कार्य शिक्षकों द्वारा कराने का अधिकार देने की मांग की गई हो।
अधिकांश शिक्षकों का कहना है वैसे भी शिक्षक तेरह खाने रिंच के समान कार्य करने में सक्षम हैं तो ग्राम प्रधानों के द्वारा कराए गए सभी कार्य का सुपरविजिन कर शासन को यथासंभव रिपोर्ट बनाकर भेज सकते हैं।वहीं कुछ शिक्षकों का कहना है कि सबसे पहले ग्राम प्रधान खुद के कराये गए कार्यों में ईमानदारी लाएं फ़िर पर्यवेक्षण, निरीक्षण करने की बात कहें।
गौरतलब है कि शिक्षकों और ग्राम प्रधानों की तल्खियों से सम्बंधित खबरें मीडिया रिपोर्ट में आती रहीं हैं जो किसी से छिपी नहीं है उस पर इस तरह की ग्राम प्रधानों के संगठन की मांगे तल्खियाँ और भी बढाएंगी।
व्यावहारिक तौर पर अगर ग्राम प्रधानों की मांगों का विश्लेषण और मूल्यांकन किया जाए तो ये प्रश्न चिह्न उठना लाज़िमी है कि उच्च शैक्षिक योग्यताओं के साथ विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के बाद सरकार द्वारा निर्धारित मेरिट में चयन होने के साथ प्रशिक्षण प्राप्त कर चयनित शिक्षकों का निरीक्षण का कैसे औऱ क्या मानक निर्धारित करेंगे ग्राम प्रधान संगठन ?
दूसरा यह कि अगर वाक़ई ग्रामप्रधान संगठन अतिरिक्त कार्य करने के इच्छुक हैं तो गांव की चिकित्सा , बैंकिंग, ग्रामीण परिवेश का डिजिटलीकरण,
आपको बता दें कि एक कार्यक्रम के दौरान 100 वर्ष पूरे कर चुके अंग्रेजी के शिक्षक गुरु प्यारेलाल को सम्मानित करने के लिए मंच से नीचे उतरकर उनके पैर छूने वाले राष्ट्रपति माननीय रामनाथ कोविंद ने जो दुनिया भर को संदेश दिया वो किसी से छुपा नहीं। उस पर ऐसी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा रखने वाले संघठनों को जमीनीस्तर पर सोचने की ज़रूरत है।
यहाँ ग्रामप्रधानों के कार्य को भी जानने की भी ज़रूरत है कि कैसे काम करते है ग्रामप्रधान और क्या हैं ग्राम प्रधान के अधिकार।
उत्तर प्रदेश में पंचायती राज एक्ट के अनुसार विकास की कार्य योजना तैयार करने के लिए हर ग्राम पंचायत में 6 समितियां गठित की जाती हैं। इन समिति में प्रशासनिक कार्य समिति, नियोजन कार्य समिति, निर्माण कार्य समिति, जल प्रबंधन समिति, चिकित्सा स्वास्थ्य समिति, शिक्षा समिति हैं। लेकिन वास्तव में ये सभी कार्य ग्राम प्रधान करता है। एक ग्राम प्रधान ग्रामसभा और ग्राम पंचायत की बैठक बुलाता है और इसकी कार्यवाही को नियंत्रित करता है।
प्रधान और उपप्रधान को अगर पद से हटाना हो तो होगी ये प्रोसिस
अगर ग्राम प्रधान या उप प्रधान गाँव की प्रगति के लिए ठीक से काम नहीं कर रहा है तो उसे पद से हटाया भी जा सकता है। समय से पहले पदमुक्त करने के लिए एक लिखित सूचना जिला पंचायत राज अधिकारी को दी जानी चाहिए, जिसमे ग्राम पंचायत के आधे सदस्यों के हस्ताक्षर होने ज़रूरी होते हैं। सूचना में पदमुक्त करने के सभी कारणों का उल्लेख होना चाहिए। हस्ताक्षर करने वाले ग्राम पंचायत सदस्यों में से तीन सदस्यों का जिला पंचायतीराज अधिकारी के सामने उपस्थित होना अनिवार्य होगा।
सूचना प्राप्त होने के 30 दिन के अंदर जिला पंचायत राज अधिकारी गाँव में एक बैठक बुलाएगा जिसकी सूचना कम से कम 15 दिन पहले दी जाएगी। बैठक में उपस्थित तथा वोट देने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत से प्रधान एवं उप प्रधान को पदमुक्त किया जा सकता है।