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पादने पर स्टोरी का शीर्षक क्या हो ये भी स्टोरी के लिए सोचनीय विषय है दूसरी बात पादने पर स्टोरी कैसे लिखी जाए जिससे राष्ट्रीय शर्म जैसे फीलिंग न हो ऐसा कहीं सिखाया नहीं जाता। न ही इस पर कोई प्रोजेक्ट या ऐसी कोई बात है, जो अनुभव से सीख ली जाए। तो सिंपल सी बात कि पादने जैसे मुद्दे पर खुलेआम चर्चा हो जाये जिससे शर्म आने वाले कृत्य पर सही जानकारी मिल सके।
आज हम रोज़मर्रा की एक ऐसी चीज़ के बारे में बात कर रहे हैं जिससे कोई भी अछूता नहीं वो अलग बात है कि इसके बारे में हम कभी बात ही नहीं करते। आपको लग सकता है कि ये शब्द ‘असंसदीय’ है लेकिन शरीर से डकार के अलावा हवा जिस तरह बाहर निकलती है उसे सादे इंसान की भाषा में पादने के अलावा क्या कहा जाए, मुझे नहीं पता आपको पता हो, तो कमेंट्स में ज़रूर बताएं।
फरवरी 2018 की एक ख़बर ने लोगों को काफ़ी देर तक हँसाया दरअसल हुआ ये कि यूरोप में एक विमान को इसलिए आपात स्थिति में उतारना पड़ा क्योंकि उसमें सवार एक मुसाफ़िर ने बार-बार दुर्गंध फैलाकर साथ सफ़र कर रहे लोगों को बेहाल कर दिया।
आपको बता दें कि विमान दुबई से नीदरलैंड्स जा रहा था और हालात इतने बिगड़ गए कि बीच ऑस्ट्रिया में उसे उतारना पड़ा। इसे ‘फ़ार्ट अटैक’ का नाम दिया गया है।
तो आइए जानते हैं कि मनुष्य पाद के बारे में सबसे महत्वपूर्ण जानकारी
आपने देखा होगा कि कई घरों में सीवर लाइन से एक पाइप ऊपर की और गैस निकालने के लिए लगाया जाता है।यह न हो तो लाइन में गैस का दबाव बढ़ने पर विस्फोट तक हो सकता है। ऐसे ही मोटर के इंजन से एक इग्ज़ॉस्ट पाइप लगाया जाता है, इंजन में बनने वाली गैसों कि निस्तारण के लिए यही व्यवस्था हमारे शरीर में भी होती है।
वो गैस निकालने के लिए जो आंतों में खाने के पचाने के दौरान बाइप्राडक्ट के रूप में बनती हैं इन्हें निकलने नहीं देंगे तो कुछ घंटे में ही हम बीमार हो जाएंगे। थोड़ी-थोड़ी गैस तो बिना आवाज किये निकलती ही रहती है जिसका हमें पता ही नहीं लगता लेकिन एक साथ बहुत गैस निकलने पर आवाज होती है।
क्या होता है पाद
मनुष्य पाद के बारे में सबसे महत्वपूर्ण जानकारी हवा होती है। वो जो आप खाते-खाते निकल जाते हैं या दूसरी वजहों से फेफड़ों की जगह पेट में चली जाती है। इसके अलावा आपका खाया खाना जब पचते हुए आंत में पहुंचता है तो उस पर बैक्टीरिया काम करने लगते हैं। ये बैक्टीरिया हानिकारक नहीं होते हमारे दोस्त होते हैं। उस स्टार्च और शक्कर को पचाते हैं जिसे हमारा शरीर आसानी से नहीं पचा पाता। इस दौरान भी गैस निकलती है।
क्या पादना वाक़ई बुरी आदत है ?
ऐसा लोग कहतें हैं। बचपन से ही हम सबको सिखा दिया जाता है कि पादना बुरा है तो सबने मान लिया कि पादना बुरा ही होता है और ऐसा पीढ़ी दर पीढ़ी हुआ है इसलिए आज तक किसी महापुरुष की जीवनी में उनके किए तमाम गैरज़रूरी कामों के ज़िक्र के बावजूद उनके पादने का ज़िक्र नहीं मिलता। इससे शायद सिद्ध हो जाता है कि आपने मान लिया है कि पादना बुरा है लेकिन सच इससे बिलकुल उलट है।
आप यह अच्छी तरह से जान लें कि पादना अच्छी सेहत की निशानी है। पाद आना ये बताता है कि आप पर्याप्त मात्रा में फाइबर खा रहे हैं और आपके शरीर में पाचक बैक्टीरिया की अच्छी संख्या मौजूद है |
पाद में ज़्यादा गंध का मतलब
मनुष्य शरीर में पाद वो गैस है जो आपके शरीर में कुछ देर रह कर निकली है। इसलिए वो आपकी सेहत का इंडिकेटर भी होती है। अगर आपकी पाद बेहद बदबूदार है तो इसका मतलब है कि आपकी सेहत खराब है, या डाइट पटरी से उतरी हुई है। यहाँ बात हाज़मा खराब होने से आगे जा सकती है। बेहद बदबूदार पाद लैक्टोस एलर्जी (लैक्टोस डेरी उत्पादों में पाया जाने वाला कंपाउंड) की निशानी हो सकती है। गंभीर मामलों में बात कोलॉन कैंसर तक जा सकती है।
पाद की बदबू सूंघना सेहत के लिए कैसा?
पाद में हाइड्रोजन सल्फाइड की वजह से बदबू होती है। हाइड्रोजन सल्फाइड ज़्यादा मात्रा में हानिकारक हो सकती है। लेकिन 2014 में मेडिसिनल केमिस्ट्री कम्यूनिकेशन्स नाम के एक जर्नल में छपी यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सटर की रिसर्च में ये दावा किया गया कि बहुत छोटी मात्रा में (मिसाल के लिए जितनी पादने में निकलती है) हाइड्रोजन सल्फाइड माइटोकॉन्ड्रिया को होने वाले नुकसान से बचा सकती है।माइटोकॉन्ड्रिया हमारे शरीर में मौजूद सेल का पावरहाउस होता है। इस आधार पर रीसर्च में संभावना जताई गई कि हाइड्रोजन सल्फाइड के माइटोकॉन्ड्रिया पर असर के बारे में और जानकारी इकट्ठा होने पर लकवे, अर्थराइटिस और दिल की बीमारी का बेहतर इलाज हो पाएगा। इस खोज का ज़िक्र टाइम मैगज़ीन के जुलाई 2014 अंक में भी था।
आवाज़ और बेआवाज़ पाद
पादते वक्त गैस की मात्रा और शरीर के पॉश्चर के आधार पर तय होता है पादने में आवाज़ होगी कि नहीं। तो दोनों तरह की पादें नॉर्मल हैं। पादने में ये अकेली चीज़ है जिसका आपकी सेहत से ताल्लुक नहीं है। बस इतना है कि आवाज़ के डर से जो लोग पाद को कंट्रोल करते हैं, उन्हें ज़्यादा देर तक ऐसा नहीं करना चाहिए।
बिना गंध वाली पाद
कभी-कभी शरीर सिर्फ वो हवा बाहर निकाल रहा होता है जो खाते-खाते शरीर में चली गई । तो इसमें हाइड्रोजन सल्फाइड नहीं होती। तो इस तरह की पाद में गंध नहीं होती ये डकार की तरह ही होती है जो शरीर की दूसरी तरफ से निकल रही होती है।
क्या लड़कियाँ भी पादती हैं?
पादना एक बेहद सामान्य क्रिया है लेकिन साफ सफाई के कुलीन कॉन्सेप्ट के तहत इसे ‘शर्म’ से जोड़ दिया गया है।मानो ये राष्ट्रीय शर्म का हिस्सा है इसलिए लड़के तो एकबारगी मान भी लें लड़कियों से यही अपेक्षित होता है कि वो लाज-शर्म रखें ,पादने जैसी छिछली बातें करने से झिझकें या फिर ये कह दें कि नहीं हमारे शरीर में तो गैस बनती ही नहीं। मगर ऐसा नहीं है क्योंकि विज्ञान कहता है लड़कों की तरह लड़कियाँ भी पादती हैं और उनके जितना ही पादती हैं लेकिन उनकी कंडीशनिंग इस तरह की कर दी गई है कि वो लड़कों जितना खुल कर इस बारे में कुछ कहती नहीं।
बदबूदार फ़ार्ट से बचने के लिए क्या किया जा सकता है?
● इसके लिए खाना को कम मात्रा में और चबाकर खाना चाहिए इसके अलावा व्यायाम करना ज़रूरी है, क्योंकि उसकी मदद से खाना पचाना आसान होता है।
● खाना आराम से खाना चाहिए क्योंकि चहलकदमी करते हुए और जल्दी-जल्दी खाते वक़्त ज़्यादा हवा शरीर में जाती है।
●ज़्यादा चुइंगम खाने से भी ये दिक्कत पेश आ सकती है। जो लोग दिन भर चुइंगम चबाते रहते हैं, वो ज़्यादा हवा खींचते हैं, जिससे शरीर में गैस ज़्यादा बनती है।
● ऐसा खाना खाने से बचें जो ज़्यादा गैस पैदा करते हैं।इसके लिए कुछ ख़ास कार्बोहाइड्रेट ज़्यादा ज़िम्मेदार हैं, इनमें फ़्रुक्टोज़, लैक्टोज़, इनसॉल्यूबर फ़ाइबर और स्टार्च शामिल हैं। ये सभी चीज़ें आंत में जाती हैं और बाद में खाना पचाने में समस्याएं पैदा करती हैं।
● सोडा, बीयर और दूसरे कार्बोनेटेड बेवरेज भी शरीर में गैस बनाने का काम करते हैं. इनमें जो बुलबुले उठते हैं, वो शरीर में जाकर फ़ार्ट में बदल सकते हैं। इनमें से कुछ हवा डाइजेस्टिव ट्रैक्ट तक पहुंच जाती है और रेक्टम के ज़रिए बाहर निकल जाती है। इनके स्थान पर पानी, चाय, वाइन या जूस पिया जा सकता है।
● हमारे पाचन तंत्र में ऐसे स्वास्थ्यवर्धक बैक्टीरिया होते हैं जो खाना पचाने का काम करते हैं लेकिन इनमें से कुछ हाइड्रोजन गैस को ज़्यादा असरदार तरीके से ख़त्म करते हैं। प्रोबायोटिक फ़ूड ऐसे ही बैक्टीरिया पाए जाते हैं।
● सिगरेट ज़्यादा पीने वालों को भी गैस की दिक्कत होती है इसके अलावा जब मल ज़्यादा वक़्त तक मलाशय में रहता है तो उसका सड़ना तय है और तब गैस ज़्यादा बनती है। यही वजह है कि पेट ख़राब होने पर मल आम दिनों से ज़्यादा दुर्गंध लिए होते हैं।
अनचाही गैस से कैसे बचें?
अगर आपका शरीर लैक्टोस को पसंद नहीं करता तो डॉक्टर आपको दूध-आधारित सामान कम खाने की सलाह दे सकता है। लैक्टोस सप्लीमेंट इस्तेमाल करने से एंज़ाइम डेयरी उत्पादों को आसानी से पचाने का ज़रिया दे सकते हैं। गैस को घटाना चाहते हैं तो कार्बोनेटेड बेवरेज भी कम करना होगा लेकिन ऐसे हालात होने पर अचानक फ़ाइबर की मात्रा न बढ़ाएं क्योंकि इससे गैस की दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
लेकिन क्या ये चिंता का विषय है?
यही वजह है कि जब पेट साफ़ करने जाते हैं तो भी हवा पास होती है.
इसके अलावा कुछ लोगों के मामले में व्यायाम करते वक़्त और खांसते वक़्त भी गैस पास करने की आदत देखी जाती है.
क्या (पादना) फ़ार्ट आना चिंता का विषय है ?
ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ स्कीम (NHS) की वेबसाइट के मुताबिक़ हर व्यक्ति फ़ार्ट मारता है लेकिन कुछ दूसरों की तुलना में ज़्यादा करते हैं। आमतौर पर एक व्यक्ति दिन में 5-15 बार गैस छोड़ता है इसलिए पादना या फ़ार्ट आना चिंता का विषय नहीं है।
Gon Gas Odour Neutralizer
कुछ लोगों को बार बार पाद आने की समस्या होती है। ऐसे लोगों को शर्मिंदा होना पड़ता है। इससे बचने के लिए वे लोग Gon Gas Odour Neutralizer पेड का प्रयोग कर सकते हैं जिनको charcoal pads flatulence कहा जाता है। आप इनको अमेजन से खरीद सकते हैं। इसके लिए आपको 500 रूपये पे करने होंगे । इसमे आपको 4 पेड मिलेगी। जिनको आप अपनी अंडरवेयर के अंदर लगा सकते हैं।
Charcoal tablets
Charcoal tablets भी भोजन को अच्छे तरीके से पचाने मे मदद करती हैं। यह टेबलेटस ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं। आप इनको खरीद सकते हैं। जब भोजन अच्छी तरीके से पच जाता है। तो गैस कम बनती है और पाद भी कम आता है।वैसे इन दवाओं का प्रयोग बिना डॉक्टर की सलाह से ना करें ।
पादने के रोचक तथ्य
यदि गैस बाहर नहीं निकलती हैं तो दर्द चक्कर आना और डायरिया जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं यदि आपको चक्कर आ रहे हैं और पेट दर्द की समस्या है तो आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए जिससे आपकी समस्या का जल्दी से जल्दी से ईलाज हो सके ।
• एक औसत व्यक्ति प्रति दिन 0.6-1.8 लीटर आंतों की गैस का उत्पादन करता है।
• एक स्वस्थ व्यक्ति दिन के अंदर 12 से 15 बार पादता है।यह उसके खाने के हिसाब से कम या ज्यादा हो सकता है।
•पाद के अंदर केवल 1 प्रतिशत गैसें खराब होती हैं जिसमें हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी दुर्गंधयुक्त गैसें शामिल हैं।
• इंसान की पाद मे नाइट्रोजन 59 % आक्सीजन 4 % हाइड्रोजन 21 % कार्बन डाई आक्साइड 9 % मिथेन 7 % और सल्फर 1 % सम्मिलित होती है
• 99 प्रतिशत से अधिक गैस जो लोग पास करते हैं उनमें सिर्फ नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन और मीथेन होते हैं।
•जब लोग सो रहे होते हैं तो अधिक पादते हैं।
• शब्द “fart” पुरानी अंग्रेज़ी शब्द “फ़ॉर्टन” से आया है, जिसका अर्थ है “हवा को तोड़ना।”
• समाजशास्त्रियों के द्वारा किये गए साक्षात्कार के अंदर पाया कि पादने मे पुरूष कम शर्म महसूस करते हैं जबकि महिलाएं पुरूषों की तुलना मे काफी ज्यादा शर्म महसूस करती हैं।
• एक इंसान दिन के अंदर इतना पादता है कि एक गुबारा इससे आसानी से फूल सकता है।
• ब्रोकोली, फूलगोभी, केल, अंडे, रेड मीट, डेयरी उत्पाद, लहसुन और खमीर कुछ ऐसी चीजे हैं जिनके खाने से ज्यादा पाद आता है।
• रेक्टल कैथेटर एक ऐसा उपकरण होता है जिसकी मदद से पाद को भी मापा जा सकता है।यह एक ऐसा उपकरण होता है जोकि गैस की मात्रा को निर्धारित करता है।
• यदि पाद की स्पीड की बात करें तो यह 10 फीट प्रति सेकंड या लगभग 9.5 किमी / घंटा है।
• बासी सड़े हुए अंडे की गंध हाइड्रोजन सल्फाइड नामक एक गैस से आती है, जो 1% पाद के अंदर भी होती है।
• महिलाओं के फार्ट में उच्च हाइड्रोजन सल्फाइड सामग्री की वजह से पुरुषों के फार्ट से भी ज्यादा बदबू आती है।
• आपको बता दें कि खुद का पाद उतना बुरा कभी भी नहीं लगेगा जितना की दूसरों का बुरा लगता है। यह वैज्ञानिक रूप से सिद्व हो चुका है।
• बहुत समय पहले जापान के अंदर एक ऐसी प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। जिसके अंदर यह देखा गया था कि कौन जोर से पाद सकता है।
• यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स ने कहा था कि पादना आवश्यक है।अनुसंधान साबित करता है कि हाइड्रोजन सल्फाइड की थोड़ी मात्रा सूँघने से माइटोकॉन्ड्रियल क्षति को दूर किया जा सकता है और औसत स्ट्रोक, मनोभ्रंश, कैंसर और दिल के दौरे में मदद मिल सकती है।
• मिस्टर मीथेन पैसे से एक संगीत कलाकार था लेकिन उसकी सबसे बड़ी बात यह थी की वह पाद से भी एक टयून पैदा कर सकता था उसने ऐसा करके दर्शकों को लुभाया था।
• केवल पाचक से संबंधित सममस्याओं का निदान करने के बदले एक चीनी डॉक्टर $ 50,000 तक कमा कर जीवनयापन कर सकता है।
• दक्षिण अमेरिका में यानोमामी जनजाति रहती है उसकी सबसे बड़ी खास बात तो यह है कि यह पादने के बाद एक दूसरे को बधाई देती हैं।
• कुत्तों को पाद पसंद होता है और वे मनुष्य का अच्छा दोस्त भी होते हैं।
फार्ट-फ़िल्टरिंग कपड़े भी आते हैं जोकि पाद को फिल्टर करने का काम करते हैं।
पाद सूंघने के फायदे
पाद को सूंघना तो कोई नहीं चाहता है। लेकिन मजबूरी के अंदर सूंघना पड़ता है। वैसे बहुत से लोग पाद सूंघने से बचने के लिए अपनी नाक बंद कर लेते हैं। लेकिन वास्तव मे पाद तो हमारे मुंह से अंदर चला जाता है। बस हमें महसूस नहीं होता है लेकिन कुछ भी हो क्या पाद सूंघने के फायदे हैं ?
तो आइए जानते हैं पाद सूंघने के फायदों के बारे मे क्या कहता है विज्ञान ?
पाद के अंदर हाइड्रोजन सल्फाइड नामक एक गैस होती है। यही वो गैस होती है। जिसकी वजह से पाद बदबू मारता है। हाइड्रोजन सल्फाइड गैस दिल के दौरे, स्ट्रोक, कैंसर के जोखिम को कम करने और मनोभ्रंश को दूर करने में मदद कर सकती है ऐसा रिसर्च के अंदर पता चला है। जब हम अस्वस्थ होते हैं तो हमारे शरीर की कोशिकाएं स्वयं का हाइड्रोजन सल्फाइड बनाती हैं जोकि माइटोकॉन्ड्रिया को सही तरीके से काम करने मे मदद करता है।बिना इस गैस के कोशिकाएं मर जाती हैं या काम करना बंद कर देती हैं।
एक्सेटर विश्वविद्यालय के रिसर्च कर्ताओं ने शरीर के अंदर हाइड्रोजन सल्फाइड की सही मात्रा उत्पादन करने के लिए वैज्ञानिकों ने AP39 नामक एक यौगिक बनाया है। यह यौगिक रिवर्स माइटोकॉन्ड्रियल क्षति, स्ट्रोक, दिल की विफलता और मधुमेह जैसी समस्याओं का उपचार कर सकता है। मार्क वुड ने कहा कि हाइड्रोजन सल्फाइड को सड़े अंडे और पेट फूलने में तीखी, दुर्गंधयुक्त गैस के रूप मे जाना जाता है। यह गैस स्वास्थ्य के लिए अच्छी हो सकती है।
इंग्लैंड में यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर के शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि बदबूदार पाद से निकलने वाली गैस कई प्रकार की बीमारियों का ईलाज कर सकती है।
पाद लाने के उपाय
पेट के अंदर गैस बनने का सबसे बड़ा कारण तो यही है कि हमारा पेट खाने को अच्छे तरीके से पचा नहीं पाता है। अब तो यह वैज्ञानिक रूप से सिद्व हो चुका है कि पाद आना भी हमारे शरीर के लिए बहुत फायदे मंद है। आपको बतादें कि इससे शरीर के अंदर बनने वाली विषैली गैसे बाहर निकल जाती है।
पाद लाने के कुछ घरेलू उपाय
• सेंधा नमक को हल्के गर्म पानी के अंदर मिलाएं और इसे खाना खाने के बाद पी सकते हैं।इससे आप के पेट के अंदर गैस की समस्या दूर हो जाएगी और पाद भी कम आएगा या आना ही बंद हो जाएगा।
• खाने की चीजों के अंदर अजवाइन और काले जीरे का प्रयोग करनें ।ऐसा करने से पेट गैस की समस्या से छूटकारा मिल सकता है। आप इनका रोज ही सेवन करें।
• जब भी आप खाना खा ले तो उसके बाद एक लौंग और एक ईलाइची खाएं, यह सब तरह के पेट रोगों की समस्या को दूर करने का सबसे आसान तरीका है। इससे आपके पेट मे गैस भी नहीं बनेगी।
•भोजन करने के तुरन्त बाद रोजाना 10 ग्राम गुड़ का सेवन करें। यह एक आजमाया हुआ घरेलू नुस्का है यदि आप रोजाना गुड़ का सेवन करते हैं तो यह आपको पेट गैस से हमेशा दूर रखेगा।
•यदि आप पेट गैस की समस्या से परेशान हैं मतलब आपको कुछ ज्यादा ही पाद आने की समस्या है तो आप दिन के अंदर दो से तीन बार नींबू को चूस सकते हैं। सब्जी के अंदर नींबू मिलाकर खाने से पेट गैस की समस्या दूर हो जाती है।
• पेट गैस की समस्या का सबसे अच्छा उपाय है आप कुछ जीरे को मुंह के अंदर अच्छी तरीके से चबा कर खाले और उसके बाद गर्म पानी पीलें ऐसा करने से आपको आराम मिलेगा।
• दिन मे दो से तीन बार हींग को हल्के पानी के अंदर घोलकर पीने से पेट के अंदर गैस बनने की समस्या से छुटकारा मिल जाता है।
पादने के फायदे
• पाद मारने वाला इन्सान पेट दर्द से बचा रहता है।जो इंसान पाद को रोकता है , उसे पेट दर्द की समस्या होने की सम्भावना ज्यादा रहती है , इसलिए जब भी पाद आए उसी समय पर पाद लेना चाहिए ।
• एक रिसर्च में यह भी जानकारी सामने आई है कि छोटी मात्रा में पाद को सूंघना हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है इसका कारण पाद में शामिल हाइड्रोजन सल्फाइड गैस है।यदि यह गैस थोड़ी सी मात्रा में हमारे शरीर में प्रवेश करती है तो हमें कैंसर , दिल का आघात , दौरा और गठिया से बचाती है।
• पाद को रोकने से आंत में बनने वाली गैस के कारण पेट में सूजन हो जाती है। पेट की गैस यदि पाद के माध्यम से ना निकले तो सरदर्द भी हो सकता है इसलिए पाद को रोकने की गलती कभी ना करें।
• पाद मारने से हमें पेट की गैस से राहत मिलती है और हमें सकुन बहुत मिलता है इसलिए आज के बाद जब भी पाद आए तो उसे रोकिए नहीं बल्कि खुल कर बाहर निकालिये।
हमें लगता है कि पाद के बारे में आपको सम्पूर्ण जानकारी मिल गयी होगी।तो कमेंट बॉक्स में हमें ज़रूर बताएं कि यह आर्टिकल आपके लिए कितना फायदेमंद रहा।