अपने बच्चों को स्कूल बस से भेजने वालों के लिए यह एक अच्छी खबर है। अब स्कूल संचालक उनसे मनमाना किराया नहीं ले सकेंगे। सरकार ने दूरी के हिसाब से स्कूल का किराया तय करने का रूल बना दिया है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने नया फार्मूला जारी करते हुए विद्यार्थियों को राहत दे दी है। वर्ष 2020-21 को आधार मानते हुए इस वर्ष भी तय किया 1648 रुपये अनुरक्षण शुल्क शासन ने साल 2020-21 को आधार मानते हुए इस साल भी अनुरक्षण व्यय 1648 रुपये ही तय किया है।
यूपी सरकार ने स्कूली बच्चों के पेरेंट्स को नये साल का तोहफा दिया है।सरकार ने स्कूली बसों में दूरी के हिसाब से किराया तय कर दिया है। इतना ही नहीं सरकार ने किराया तय करने का नया फार्मूला भी जारी कर दिया है।
आपको बता दें कि सरकार ने अब स्कूली बसों के किराये को लेकर हो रही मनमानी पर लगाम लगा दिया है। हर वर्ष इसी फार्मूले के हिसाब से किराये तय होंगे। प्रमुख सचिव परिवहन ने ये आदेश जारी किया है। आपको बता दें कि कक्षा एक से लेकर 12 तक के सभी स्कूलों में स्कूल के नाम से पंजीकृत बसों पर यह आदेश लागू होगा। सरकार का इस आदेश से अभिभावकों को बेहद राहत मिली।
अब स्कूली बस छात्रों से नए फार्मूले के तहत ही किराया वसूल सकेंगे।
● स्कूल बस संचालक छात्रों से 5 किलोमीटर तक निर्धारित शुल्क का 50 प्रतिशत किराया लेंगे।
● वहीं 5 से 10 किलोमीटर तक निर्धारित शुल्क का शत-प्रतिशत किराया वसूला जाएगा।
● इसके अलावा जिन स्कूलों की बसें AC होंगी वहाँ निर्धारित शुल्क से 25 फीसदी किराया ज्यादा लगेगा जबकि 10 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तय करने पर छात्रों को निर्धारित शुल्क का 25 फीसदी किराया स्कूली बस को देना होगा।
● सरकार ने फार्मूला तय करते समय बस पर होने वाले मेंटेनेंस को मानक बनाया है। और 2020-21 को आधार वर्ष मानकर 1648 रुपये मेंटेनेंस शुल्क तय किया गया है।
● उत्तर प्रदेश में अधिकतर 42 सीटों वाली बसे हैं लेकिन अब इसमें 5 अतिरिक्त सीटों को जोड़ दिया जाएगा। यानी स्कूली बसों में सीटों की संख्या 47 कर दी जाएगी। जिसके आधार पर ही यूपी शासन ने 1648 रुपए मेंटेनेंस राशि निर्धारित की है। इसी मेंटेनेंस राशि के आधार पर स्कूली बस छात्रों से किराया ले सकेंगे।