Table of Contents
दीपावली के एक दिन पहले नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है।यह नरक चतुर्दशी का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है।इस साल नरक चतुर्दशी का पर्व 03 नवंबर को मनाया जाएगा।
आपको बता दें कि इस दिन यमराज की पूजा का विधान है। नरक चतुर्दशी को नरक चौदस, रूप चतुर्दशी और छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था इसलिए इसी दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है।वाल्मीकि रचित रमायण के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि मंगलवार के दिन हनुमान का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन हनुमान जी की पूजा भी की जाती है। कहते हैं नरक चतुर्दशी के दिन हनुमान जी के ये कुछ उपाय करने से बड़े से बड़ा संकट भी टल जाता है।
आइए जानते हैं इस दिन मनाए जाने वाले पर्वों और पूजन के विधान के विषय में
● नरक चतुर्दशी
पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था। उसके नाम पर ही इस दिन को नरकचौदस के नाम से जाना जाता है। इस दिन नरक की यातनाओं की मुक्ति के लिए कूड़े के ढेर पर दीपक जलाया जाता है।
● हनुमान जंयती
रामायण की कथा के अनुसार हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास चतुर्दशी पर स्वाति नक्षत्र में हुआ था। इस मान्यता के अनुसार इस दिन हनुमान जंयती मनाई जाती है। हालांकि कुछ और प्रमाणों के आधार पर हनुमान जयंति चैत्र पूर्णिमा के दिन भी माना जाता है।
● रूप चौदस
नरक चतुर्दशी को रूप चौदस भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन तिल के तेल से मालिश करके, स्नान करने से भगवान कृष्ण रूप और सौन्दर्य प्रदान करते हैं। इसके साथ ही नहाते समय पानी में चिरचिरा के पत्ते डालने चाहिए।
● यम दीपक
पौराणिक मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन मृत्यु के देवता यमराज के नाम से आटे का चौमुखी दीपक जलाया जाता है। ऐसा करने से यमराज अकाल मृत्यु से मुक्ति प्रदान करते हैं तथा मृत्यु के बाद नरक की यातनाएं नहीं भोगनी पड़ती हैं। इस दीपक को यम दीपक कहा जाता है।
● काली चौदसी
नरक चतुर्दशी के दिन मध्य रात्रि में मां काली का पूजन करने का विधान है। इसे बंगाल प्रांत में काली चौदस कहा जाता है।
●नरक चौदस पर करें ये उपाय
इस बार नरक चौदस 3 नवंबर, 2021 बुधवार की पड़ रही है आइए जानते हैं नरक चौदस या छोटी दिवाली पर ये कुछ उपाय करने से आपके हर कष्ट और संकट से छुटकारा मिल जाएगा।
● गोधूलि बेला में होगा दीपदान
• नरक चौदस के दिन प्रदोष काल गोधूलि बेला में शाम 5:30 से 6:12 तक दीपदान किया जा सकता है।
● नरकासुर का किया था वध
• भगवान वामन ने पृथ्वी एवं राजा बलि के शरीर को 3 पगों में इसी दिन नाप लिया था। आज के दिन भगवान श्री कृष्ण की धर्मपत्नी सत्यभामा ने नरकासुर राक्षस का वध किया था। इस व्रत को करने से नरक की प्राप्ति नहीं होती।
● कथा
• पौराणिक कथा है कि इसी दिन कृष्ण ने एक दैत्य नरकासुर का संहार किया था। सूर्योदय से पूर्व उठकर, स्नानादि से निपट कर यमराज का तर्पण करके तीन अंजलि जल अर्पित करने का विधान है। संध्या के समय दीपक जलाए जाते हैं।
•इस दिन के व्रत और पूजा के संदर्भ में एक अन्य कथा यह है कि रन्ति देव नामक एक पुण्यात्मा और धर्मात्मा राजा थे। उन्होंने अनजाने में भी कोई पाप नहीं किया था लेकिन जब मृत्यु का समय आया तो उनके सामने यमदूत आ खड़े हुए। यमदूत को सामने देख राजा अचंभित हुए और बोले मैंने तो कभी कोई पाप कर्म नहीं किया फिर आप लोग मुझे लेने क्यों आए हो क्योंकि आपके यहां आने का मतलब है कि मुझे नर्क जाना होगा। आप मुझ पर कृपा करें और बताएं कि मेरे किस अपराध के कारण मुझे नरक जाना पड़ रहा है। पुण्यात्मा राजा की अनुनय भरी वाणी सुनकर यमदूत ने कहा हे राजन् एक बार आपके द्वार से एक भूखा ब्राह्मण लौट गया यह उसी पापकर्म का फल है।
दूतों की इस प्रकार कहने पर राजा ने यमदूतों से कहा कि मैं आपसे विनती करता हूं कि मुझे वर्ष का और समय दे दे। यमदूतों ने राजा को एक वर्ष की मोहलत दे दी। राजा अपनी परेशानी लेकर ऋषियों के पास पहुंचा और उन्हें सब वृतान्त कहकर उनसे पूछा कि कृपया इस पाप से मुक्ति का क्या उपाय है। ऋषि बोले हे राजन् आप कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत करें और ब्रह्मणों को भोजन करवा कर उनसे अनके प्रति हुए अपने अपराधों के लिए क्षमा याचना करें।
राजा ने वैसा ही किया जैसा ऋषियों ने उन्हें बताया। इस प्रकार राजा पाप मुक्त हुए और उन्हें विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ। उस दिन से पाप और नर्क से मुक्ति हेतु भूलोक में कार्तिक चतुर्दशी के दिन का व्रत प्रचलित है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर तेल लगाकर और पानी में चिरचिरी के पत्ते डालकर उससे स्नान करने का बड़ा महात्मय है। स्नान के पश्चात विष्णु मंदिर और कृष्ण मंदिर में भगवान का दर्शन करना अत्यंत पुण्यदायक कहा गया है। इससे पाप कटता है और रूप सौन्दर्य की प्राप्ति होती है।
● हनुमान बाबा का चोला चढ़ाना
• अगर आपके जीवन में संकट और कष्ट समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा और आप कई तरह के उपाय या कोशिशें कर के थक चुके हैं, तो नरक चौदस के दिन हनुमान बाबा का चोला चढ़ाना चाहिए कहते हैं कि चोला बाबा को अति प्रिय है।
• हनुमान जी चोला चढ़ाने वाले भक्तों के सभी कष्टों को हर लेते हैं। अगर आप हनुमान का चोला चढ़ा रहे हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि इस दौरान श्री राम के नाम का जाप करें।
• इसके अलावा, इस दिन हनुमान जी को बूंदी या बेसन के लड्डू का भोग लगाएं साथ ही एक नारियल को सिर से 7 बार वार कर हनुमान जी के चरणों में रख दें। ऐसा करने से आपके जीवन में कई तरह के बदलाव आएंगे और धीरे-धीरे संकटों से मुक्ति मिलना शुरू हो जाएगी।
● आर्थिक तंगी में करें ये उपाय
• अगर आप पैसों की तंगी से परेशान हैं तो छोटी दिवाली के दिन पीपल के 11 पत्तों पर श्री राम का नाम लिखें और उसकी माला बनाकर हनुमान जी को पहना दें इसके साथ ही उनसे अपनी समस्या के समाधान की प्रार्थना करें। ऐसा करने से बाबा आपकी परेशानी जरूर दूर करेंगे।
• वहीं अगर आप बिजनेस में मुनाफा चाहते हैं तो सिंदूरी रंग का लंगोट हनुमान जी को पहनाने से बिजनेस में फायदा होगा।
● हनुमान को करें ये वस्तुएं अर्पण
• अपने दुश्मनों का नाश करने और बुरे समय को खत्म करने के लिए नरक चतुर्दशी के दिन हनुमान जी को गुलाब की माला पहनाएं। इसके बाद एक नारियल पर स्वस्तिक बनाते हुए नारियल को हनुमान जी के चरणों में अर्पित करें।
• साथ ही उन्हें पांच देसी घी की रोटी का भोग लगाने से बुरा समय जल्द खत्म हो जाएगा और दुश्मनों से भी छुटकारा मिलेगा।
● हनुमान को अर्पित करें ये विशेष चढ़ावा
• कहते हैं कि हनुमान जी को विशेष पान का बीड़ा बहुत पसंद है इसमें सभी मुलायम चीजें जैसे खोपरा बूरा, गुलकंद, बादाम कतरी आदि डलवाएं और उन्हें अर्पित करें।
• कहा जाता है कि हनुमान भक्तों के सिर्फ भाव से ही प्रसन्न हो जाते हैं। ऐसे में भावपूर्वक उन्हें ये चीजें अर्पित करने से वे आपकी हर मनोकामना सुनेंगे और उसे दूर करेंगे।
● नरक चतुर्दशी की पूजन विधि
• इस दिन यमराज, श्रीकृष्ण, काली माता, भगवान शिव, रामदूत हनुमान और भगावन वामन की पूजा की जाती है। ध्यान रहें कि आप घर के ईशान कोण में ही पूजा करें।
• पूजा के समय हमारा मुंह ईशान, पूर्व या उत्तर में होना चाहिए। पूजन के समय पंचदेव की स्थापना जरूर करें। सूर्यदेव, श्रीगणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु को पंचदेव कहा गया है।
• इस दिन सभी 6 देवों की षोडशोपचार पूजा करना चाहिए अर्थात 16 क्रियाओं से पूजा करें। पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य, आचमन, ताम्बुल, स्तवपाठ, तर्पण और नमस्कार।
• इसके बाद सभी के सामने धूप, दीप जलाएं फिर उनके के मस्तक पर हलदी कुंकू, चंदन और चावल लगाएं इसके बाद उन्हें हार और फूल चढ़ाएं। पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी अंगुली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी आदि) लगाना चाहिए।
• इसी तरह उपरोक्त षोडशोपचार की सभी सामग्री से पूजा करें। पूजा करते वक्त उनके मंत्र का जाप करें।पूजन के अंत में सांगता सिद्धि के लिए दक्षिणा भी चढ़ाना चाहिए।
• पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है। अंत में उनकी आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है।
• मुख्य पूजा के बाद अब मुख्य द्वार या आंगन में प्रदोष काल में दीये जलाएं। एक दीया यम के नाम का भी जलाएं। रात्रि में घर के सभी कोने में भी दीए जलाएं।