ट्विटर पे एक पोस्ट शेयर करते हुए कहा आज कश्मीर शहीद दिवस के अवसर पर, हम जम्मू और कश्मीर के अवैध और दमनकारी भारतीय कब्जे के खिलाफ उनके चल रहे संघर्ष के लिए कश्मीर के लोगों को सलाम करते हैं। 13 जुलाई, 1931 के शहीद आज के कश्मीरी प्रतिरोध के पूर्वज थे।
उनके वंशजों ने पीढ़ी-दर-पीढ़ी आजादी की खातिर अपने प्राणों की आहुति दी थी और आज भी वे कश्मीरियों के उन्मूलन के लिए जातिवादी हिंदुत्व सरकार के खिलाफ बहादुरी और साहस से लड़ रहे हैं और आबादी की कृत्रिम इंजीनियरिंग के जरिए अपनी पहचान खो रहे हैं।
पाकिस्तान ने कश्मीर के लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का हमेशा सख्ती से समर्थन किया है और जम्मू-कश्मीर के कब्जे वाले भारतीय वर्चस्व से पूरी तरह से आज़ादी के लिए इस संघर्ष का समर्थन करना जारी रखेगा। आजादी का वह दिन दूर नहीं है।