उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री और इटवा विधायक डॉ. सतीश द्विवेदी के भाई अरुण द्विवेदी को सिद्धार्थ नगर स्थित सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) कोटे से मनोविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर बना दिया गया है जिससे इस नियुक्ति को लेकर विवाद खड़ा हो गया है जिससे सतीश द्विवेदी के भाई अरुण द्विवेदी को नौकरी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। मामला राजभवन तक पहुंच गया है।
क्या है पूरा मामला?
डॉक्टर सतीश द्विवेदी खुद भी PHD धारक हैं अर्थात उनके पास डॉक्टरेट की डिग्री है। वे सिद्धार्थनगर जिले की इटवा विधानसभा सीट से विधायक के साथ साथ राज्य के बेसिक शिक्षा मंत्री हैं उनके भाई डॉक्टर अरुण द्विवेदी भी PHD डिग्री धारक हैं लेकिन अब इसलिए चर्चा में हैं क्योंकि उनका चयन सिद्धार्थनगर जिले के सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर हुआ है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक मनोविज्ञान विषय के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर के दो पद थे जिसमें से एक पद पर डॉ हरेंद्र शर्मा को ओबीसी कोटे से नियुक्त किया गया जबकि दूसरे पद पर डॉ अरुण कुमार द्विवेदी को EWS (आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य उम्मीदवार ) श्रेणी में नियुक्त किया गया।
क्या कहा जिलाधिकारी ने
डीएम दीपक मीणा ने कहा कि अरुण द्विवेदी सभी पात्रता पूरी कर रहे थे। प्रमाणपत्र के लिए पांच एकड़ से कम कृषि योग्य भूमि होनी चाहिए। एक हजार वर्ग फीट से कम का मकान चाहिए साथ ही सालाना आय आठ लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए। जिस समय अरुण का प्रमाणपत्र बना था, वह वनस्थली की नौकरी छोड़ चुके थे। जांच के बाद पात्रता मिलने पर ही प्रमाणपत्र जारी किया गया है।
क्या कहा कुलपति ने…
कुलपति डॉ सुरेंद्र दुबे ने कहा कि उन्हें लगभग 150 आवेदन प्राप्त हुए थे जिनमें से 10 को मेरिट के आधार पर शॉर्टलिस्ट किया गया था ।अरुण द्विवेदी दूसरे स्थान पर थे लेकिन इंटरव्यू, एकेडमिक और अन्य अंकों को जोड़ने पर वह पहले स्थान पर आए गए। इसी वजह से अरुण को पात्र माना गया। कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे ने कहा कि अरुण के पास शैक्षणिक प्रमाणपत्र थे उनके इंटरव्यू की वीडियो रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध है। EWS प्रमाणपत्र प्रशासन जारी करता है। मुझे भी नहीं पता था कि वह मंत्री के भाई हैं और मेरे पास इस संबंध में कोई सिफारिश नहीं आई। कुलपति ने कहा “अगर ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र फर्जी होगा तो दंड के भागी होंगे।”
बीते शुक्रवार ( 21 मई) को जॉइनिंग के बाद मचा था बवाल
अरुण द्विवेदी को बीते शुक्रवार को सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार द्वारा नियुक्ति पत्र दिया गया। शुक्रवार 21 मई को अरुण के विश्वविद्यालय में ज्वाइन करने के बाद से ही सोशल मीडिया पर तमाम पोस्ट वायरल हो रहे हैं जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ा और सोशल मीडिया में इसको लेकर चर्चा होने लगी। पत्रकार पंकज झा ने इसको लेकर एक ट्वीट किया है। उन्होने लिखा “यूपी सरकार के एक मंत्री ने जुगाड़ लगा कर अपने सगे भाई को यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर की नौकरी लगवा दी । आपदा के समय भी अवसर पा कर मंत्री जी ने अपने भाई को आत्मनिर्भर बना दिया।”
कुलपति का कार्यकाल भी बढ़ाया गया…
पूरे मामले में सबसे ज्यादा दिलचस्प बात यह है कि कुलपति सुरेंद्र दुबे का कार्यकाल 21 मई को समाप्त हो रहा था, लेकिन सरकार ने एक दिन पहले 20 मई को उनका कार्यकाल नियमित कुलपति की नियुक्ति तक बढ़ा दिया है।
विपक्ष ने नियुक्ति को लेकर किया हमला…
● अरुण द्विवेदी की नियुक्ति को लेकर विपक्षी पार्टियों ने निशाना साधा है। आम आदमी पार्टी ने इसे नौकरी के लिए लाठी खा रहे युवाओं का अपमान बताया है।
● वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने फेसबुक पोस्ट पर आरोप लगाया कि जहाँ हजारों शिक्षक अपनी नौकरी की प्रतीक्षा कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर राज्य के शिक्षा मंत्री ने ‘आपदा में अवसर’ के तहत अपने भाई के लिए एक नौकरी का प्रबंध किया। प्रियंका ने यह भी पूँछा कि क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मामले का संज्ञान लेंगे और कार्रवाई करेंगे?
● आजाद समाज पार्टी के प्रवक्ता सूरज कुमार ने भी सतीश द्विवेदी के भाई की नियुक्ति को लेकर ट्वीट किया है।
● समाजवादी युवजन सभा के अध्यक्ष अरविंद गिरी ने सतीश द्विवेदी और सीएम योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधती हुई पोस्ट ट्वीट की है।
● NSUI के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन ने भी ट्वीट के जरिए बेसिक शिक्षा मंत्री को घेरा है।
● अरुण द्विवेदी के चयन को लेकर सोशल एक्टिविस्ट अमिताभ ठाकुर और नूतन ठाकुर ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को पत्र लिखकर अरुण द्विवेदी के EWS सर्टिफिकेट की जांच कराने की मांग की और कहा है कि अरुण द्विवेदी इससे पहले बनस्थली विद्यापीठ राजस्थान में असिस्टेंट प्रोफेसर थे ऐसे में इनके द्वारा EWS सर्टिफिकेट हासिल करना जांच का विषय लगता है।
● इस पर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजीव राय ने लिखा “पंकज भाई जिस राज्य में सरकार ने लाशों को आत्मनिर्भर बना दिया, वहाँ मंत्री जी ने अपने भाई को आत्मनिर्भर बना दिया तो ये कोई न्यूज़ है?”
● झा ने एक अन्य ट्वीट कर लिखा “प्रभु .. लाखों क़ाबिल लोग सड़क पर हैं और किसी को सिर्फ़ मंत्री के भाई के नाते नौकरी मिल जाए .. तो चाल, चरित्र और चेहरा वाले दावे का क्या।”
● उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार ‘लल्लू’ ने बेसिक शिक्षा मंत्री और सरकार को कटघरे में खड़ा किया है उन्होंने प्रदेश के मुखिया से पूछा है कि क्या वह अपने मंत्री द्वारा किए गए नियम विरुद्ध किए गए कार्य पर कार्रवाई करेंगे साथ ही बेसिक शिक्षा मंत्री के संलिप्तता की भी जांच कराने की मांग भी अजय कुमार ‘लल्लू’ ने की है.
शिक्षा मंत्री ने दी सफाई…
पहले तो शिक्षा मंत्री सतीश चंद्र ने मीडिया से बचते फिरे लेकिन बाद में उन्होंने इन आरोपों निराधार करार दिया है। सोनभद्र में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए सतीश द्विवेदी ने कहा कि विश्वविद्यालय ने निर्धारित प्रक्रिया के तहत उनके भाई का चयन किया है। चयन के लिए विश्वविद्यालय को जो प्रक्रिया करनी थी उसमें उन्होंने कोई हस्तक्षेप नहीं किया। EWS कोटे पर उन्होंने कहा कि उनके और भाई की आय में अंतर है साथ ही मंत्री ने भी यह भी स्पष्ट किया कि अगर किसी को कुछ भी गलत लगता है तो वह जांच के लिए तैयार हैं उन्होंने कहा कि ये दुर्भाग्य है कि वह हमारा भाई है।
क्या है EWS सर्टिफिकेट..
आपको बता दें कि बेसिक शिक्षा मंत्री के भाई अरुण द्विवेदी का चयन EWS कोटे के तहत हुआ है मतलब उनके पास इस बात का सर्टिफिकेट है कि वह आर्थिक रूप से कमजोर हैं। गौरतलब है कि ये सर्टिफिकेट तहसील स्तर से बनता है और इसके लिए सरकारी जांच भी होती है। यदि किसी की सालाना आमदनी 8 लाख रुपये से कम है, तब वह इस श्रेणी का सर्टिफिकेट हासिल कर सकता है। सरकारी नौकरी में EWS वालों को 10 फीसदी आरक्षण दिया जाता है। सवर्ण गरीबों को आरक्षण इसी के तहत मिलता है।