उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Polls 2022) से पहले भारतीय जनता पार्टी में मची भगदड़ ने सियासी गहमा-गहमी बढ़ा दी है।चुनाव से ऐन वक्त पहले नेताओं का इस तरह से पार्टी छोड़कर जाना बीजेपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। अभी तक जिन विधायक और मंत्रियों ने पार्टी छोड़ा है, उनमें ज्यादातर ओबीसी हैं। ऐसे में एक भाषा में योगी सरकार पर दलित-पिछड़ों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगा रहे हैं।
स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, “इन विधायकों के बीजेपी छोड़ने के कई कारण हैं, कुछ अपने निजी फायदे के लिए जा रहे हैं, अन्य को डर है कि उन्हें अपनी पसंद के निर्वाचन क्षेत्र से टिकट नहीं मिलेगा। इन लोगों ने 5 साल तक बीजेपी के साथ रहकर मलाई खाने का काम किया।”
There are several reasons for these MLAs to leave BJP, some are going for their personal benefit, others fear they won't get the ticket from the constituency of their choice… In logo ne 5 saal tak BJP ke saath rahkar malai kaane ka kaam kiya: UP Minister Sidharth Nath Singh pic.twitter.com/wImNVal5Sl
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 14, 2022
बता दें कि बीजेपी सरकार से इस्तीफा देने वाले दो मंत्रियों स्वामी प्रसाद मौर्य और धर्म सिंह सैनी ने शुक्रवार को अखिलेश यादव की मौजूदगी में सपा का दामन थाम लिया।
पिछले 5 सालों में पिछड़ों, दलितों का राजनीतिक, आर्थिक, रोजगार और आरक्षण के क्षेत्र में पूरी तरह से शोषण हुआ। इसे देखते हुए हम पिछड़े, दलित वर्ग के लोग मकर संक्रांति के समय समाजवादी पार्टी में शामिल होने जा रहे हैं: धर्म सिंह सैनी pic.twitter.com/5aJvKmoVWM
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 14, 2022
आज भाजपा के खात्मे का शंखनाद बज गया है। भाजपा ने देश और प्रदेश की जनता को गुमराह कर उनकी आंखों में धूल झोंकी है और जनता का शोषण किया है। अब भाजपा का खात्मा करके उत्तर प्रदेश को भाजपा के शोषण से मुक्त कराना है: स्वामी प्रसाद मौर्य pic.twitter.com/E8OrRPUpkN
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 14, 2022
मौर्य और सैनी के अलावा मंत्री दौरा सिंह चौहान, दो विधायक विनय शाक्य और भगवती सागर भी BJP छोड़ समाजवादी पार्टी से जुड़ गए हैं।
सहारनपुर के नकुड़ सीट से विधायक और योगी सरकार में आयुष मंत्री धर्म सिंह, शिकोहाबाद के विधायक मुकेश वर्मा, औरया से बिधूना विधायक विनय शाक्य और लखीमपुर खीरी से विधायक बाला प्रसाद अवस्थी ने इस्तीफा दे दिया है। इसके अलावा सुल्तानपुर सदर से विधायक सीताराम वर्मा ने भी इस्तीफा दे दिया है।बता दें अब तक भाजपा से करीब 14 लोगों ने इस्तीफा दिया और अधिकतर समाजवादी पार्टी में शामिल हो रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में भाजपा छोड़ने वाले विधायक
• स्वामी प्रसाद मौर्य,
• धर्म सिंह सैनी,
• भगवती सागर,
• विनय शाक्य,
• रोशन लाल वर्मा,
• मुकेश वर्मा,
• बृजेश कुमार प्रजापति
उत्तर प्रदेश: भाजपा छोड़ने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य, धर्म सिंह सैनी, भगवती सागर, विनय शाक्य, रोशन लाल वर्मा, मुकेश वर्मा, बृजेश कुमार प्रजापति समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की मौजूदगी में पार्टी में शामिल हुए। pic.twitter.com/rlo5kCUWJC
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 14, 2022
बीजेपी छोड़ रहे मंत्रियों और विधायक ज्यादातर ओबीसी समुदाय से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा जिन तीनों मंत्रियों ने इस्तीफा दिया है, वो 2017 के चुनाव में बसपा से बीजेपी में आए थे। बीजेपी छोड़ने वाले विधायक भी स्वामी प्रसाद मौर्य के करीबी माने जाते हैं, जिसके चलते साफ जाहिर होता है कि इन सभी नेताओं के इस्तीफों की भाषा एक ही जगह लिखी गई है।इस्तीफे में जिस तरह से योगी सरकार और बीजेपी पर दलित, पिछड़ों, वंचितों को लेकर आरोप लगाए गए है इससे साफ है कि इस्तीफे के जरिए ओबीसी और दलित वोटों को सियासी संदेश देने की रणनीति है।
इस दौरान लखनऊ में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि मुझे लगता है कि सरकार के लोगों को पहले ही पता लग गया था कि स्वामी प्रसाद मौर्य और धर्म सिंह सैनी के साथ बड़ी संख्या में लोग आ रहे होंगे इसलिए हमारे मुख्यमंत्री पहले ही गोरखपुर चले गए। हालांकि उनकी 11 मार्च की किसी ने टिकट बुक कर रखी है:
मुझे लगता है कि सरकार के लोगों को पहले ही पता लग गया था कि स्वामी प्रसाद मौर्य और धर्म सिंह सैनी के साथ बड़ी संख्या में लोग आ रहे होंगे इसलिए हमारे मुख्यमंत्री पहले ही गोरखपुर चले गए। हालांकि उनकी 11 मार्च की किसी ने टिकट बुक कर रखी है: लखनऊ में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव pic.twitter.com/PDdQGG4Zff
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 14, 2022
बीजेपी की यह भगदड़ का सर्वाधिक नुकसान सीएम योगी आदित्यनाथ की छवि को हो रहा है। वह भी ऐसे समय, जब पार्टी ‘योगी उत्तर प्रदेश के लिए उपयोगी’ के नारे से चुनाव मैदान में है। जाहिर तौर पर ओबीसी नेताओं के इस भगदड़ के कारण योगी की स्थिति को कमजोर कर रहा है क्योंकि सभी नेता एक सुर में दलित-पिछड़ो के साथ भेदभाव किए जाने के आरोप लगा रहे है।
दूसरी ओर यूपी चुनाव से पहले बीजेपी के कई बड़े चेहरों ने इस्तीफा दे दिया है। इस बीच पार्टी छोड़कर जाने वाले नेताओं पर तंज कसते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वंशवाद और परिवार की राजनीति करने वाले सामाजिक न्याय की लड़ाई नहीं लड़ सकते उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी की सरकार ने 5 साल में सिर्फ 18,000 आवास दिए थे। गरीबों की जमीनों, मकानों पर कब्जा करना अगर सामाजिक समरसता है तो उसका मैं विरोध करता हूँ।
स्वामी प्रसाद मौर्य और बाकी विधायकों के इस्तीफों से पहले ही अखिलेश यादव ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव पार्टी, केशवदेव मौर्य की महान दल, जनवादी पार्टी से समझौता कर चुके थे। अपना दल की अनुप्रिया पटेल की मां कृष्णा पटेल भी अखिलेश खेमे में हैं. ऐसे में निश्चित तौर पर बीजेपी की चिंता बढ़ गई है।