शाहजहाँपुर के छावनी परिषद स्थित नालन्दा स्कूल ऑफ एक्सीलेंस में आज रक्षा सम्पदा दिवस बच्चों के सांस्कृतिक आयोजन के साथ धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम में छावनी परिषद की सीईओ जिज्ञासा राज भी मौज़ूद रही।
रक्षा संपदा दिवस के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीईओ जिज्ञासा राज ने बच्चों को इस दिवस के विशेष महत्व को बताया उन्होंने कहा कि सन 1940 में सेना भूमि व छावनी सेवा सृजित की गई। 16 दिसंबर 1985 को इस सेवा का नाम रक्षा भूमि तथा छावनी सेवा से बदलकर भारतीय रक्षा संपदा सेवा कर दिया। तब से इस 16 दिसंबर को समूचे भारत में छावनी परिषदों में रक्षा संपदा दिवस के तौर पर रक्षा संपदा दिवस मनाया जाता है।
इससे पहले CEO जिज्ञासा राज ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुवात की जिसके बाद बच्चों के द्वारा एक ग्रुप सॉन्ग प्रस्तुत किया। छात्रा पूजा ने तेरी मिट्टी में मिल जावा गीत पर सुंदर नृत्य प्रस्तुत किया साथ ही रंगोली प्रतियोगिता, देश भक्ति गीत प्रतियोगिता में विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कृत भी किया गया। अंत में विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती अनीता श्रीवास्तव ने सभी को रक्षा संपंदा दिवस की शुभकामनाए दी तथा मिष्ठान वितरण कर सभी का धन्यवाद दिया। कार्यक्रम का संचालन स्वरूप कुमार ने किया इस अवसर पर विद्यालय का सम्पूर्ण स्टॉफ मौजूद रहा l
आपको बता दें कि पहली छावनी की स्थापना कोलकता के वैरकपुर में किया गया था। छावनी अधिनियम 1924 में प्रख्यापित किया गया है। संगठन रक्षा भूमि के प्रबंधन के अलावा देश भर में स्थित 62 छावनियों की प्रशासनिक जिम्मेदारी का निर्वहन भी करता है।इसकी स्थापना 16 दिसम्बर 1926 को हुई थी। भारत के विभिन्न भागों में छावनियों की स्थापना ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा नवाव सिराज दौला के विरुद्ध 1757 में प्लासी की लड़ाई के बाद की गई थी।
गौरतलब है कि वर्तमान में भारतीय रक्षा सेवा में 189 अधिकारी है । समूचे देश में 62 छावनी परिषद तथा 37 रक्षा संपदा कार्यालय सर्किल है । 62 कैंट बोर्डो में से छह कैंट बोर्ड आजादी के बाद बने है । यह विभाग छावनी बोर्डो के माध्यम से छावनियों में नागरिकों के कार्यों की देखरेख करता है तथा प्रत्येक छावनी परिषद में भारतीय रक्षा संपदा सेवा का मुख्य अधिशाषी अधिकारी होता है। कैंट बोर्ड प्रशासन हर साल 16 दिसंबर को रक्षा संपदा दिवस बडे हर्षोल्लास से मनाता है।
CEO जिज्ञासा राज ने अपने संबोधन में क्या कहा देखें वीडियो