भारतीय जनता पार्टी मुसलमान प्रत्याशियों को टिकट नहीं देती है। यह आरोप उस पर लगते आए हैं। अब इस सवाल का जवाब खुद पार्टी के चुनावी रणनीतिकार और गृहमंत्री अमित शाह ने दिया है।
हर चुनाव में भारतीय जनता पार्टी पर विशेषकर मुसलमान कैंडिडेट को टिकट नहीं देने का आरोप लगता रहा है। यूपी के इस विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने मुस्लिम प्रत्याशियों से परहेज किया है।
आपको बता दें कि यही ट्रेंड 2017 में भी देखने को मिला था। जबकि दिलचस्प बात यह है कि यूपी की राजनीति में मुसलमान वोटों की खासी अहमियत रही है फ़िर भी BJP ने इस परंपरागत सोच से हटकर अलग लकीर खींची। पिछले विधानसभा चुनाव में उसने एक भी मुसलमान प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया था। इस बार भी उसका वही रुख है। जब बीजेपी के चुनावी रणनीतिकार और गृह मंत्री अमित शाह से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने इसका दो-टूक जवाब दिया।
पत्रकार का सवाल :आखिर बीजेपी मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट क्यों नहीं देती है। जबकि पार्टी सबका साथ सबका विकास का नारा देती है।
अमित शाह का जबाब: चुनावों में कौन वोट देता है यह भी देखना पड़ता है। यह राजनीतिक शिष्टाचार है। एक पार्टी होने के नाते चुनाव जीतना भी जरूरी है।
सवाल: बीजेपी का मुसलमानों के साथ क्या रिश्ता है
ज़बाब: सरकार और एक जिम्मेदार राजनीतिक दल के नाते उसका जो रिश्ता होना चाहिए वही रिश्ता है। चुनाव जीतने के बाद अगर उनके कल्याण में कोई भेदभाव हो तो आरोप लगाया जा सकता है। सरकार संविधान के आधार पर चलती है। वह चुनकर आती है। जो वोटरों के हाथ में होता है। राजनीतिक प्रतिनिधित्व भी इसके साथ ही जुड़ा हुआ है।
क्या कहता है आंकड़ों का इतिहास…
• पिछले विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बहुल 29 जिलों की 163 विधानसभा सीटों में बीजेपी ने 137 सीटें जीती थीं।
• दलितों के लिए आरक्षित 31 सीटों में बीजेपी को 29 सीटें मिली थीं।
• समाजवादी पार्टी इनमें से सिर्फ 21 सीटें जीत पाई थी और कांग्रेस को 2 सीटें मिली थीं।
• पिछले विधानसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस का गठबंधन था।
• बसपा को सिर्फ एक सीट पर ही जीत नसीब हुई थी।
• एक-एक सीट आरएलडी और अपना दल को मिली थी।