उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित परिषदीय स्कूलों की तस्वीर और तकदीर पहले की अपेक्षा खासी बदल गई है। परिषदीय स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के द्वारा शासन स्तर से चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रम और योजनाओं का बेहतरीन तरीके से क्रियान्वयन किया जा रहा है।
सैकड़ों ऑनलाइन प्रशिक्षण के साथ-साथ बेसिक शिक्षा में अभूतपूर्व सुधार करने के लिए ऑफलाइन प्रशिक्षण भी शिक्षकों को दिए जा रहे हैं। जिनका इंप्लीमेंट ग्रामीण ग्रामीण परिवेश के बच्चों के ऊपर किया जा रहा है।
बेसिक स्कूलों की बदलती सूरत के विषय से पहले आपको बता दें कि सत्र 2022-23 के लिए बेसिक स्कूलों में वार्षिक परीक्षाएं 20 से 24 मार्च तक आयोजित होंगी जिसके बाद 26 से 30 मार्च तक शिक्षकों को कॉपियों का मूल्यांकन करने के साथ ही परीक्षा परिणाम भी तैयार कराना होगा। 31 मार्च को स्कूलों में परीक्षाफल की घोषणा होगी।
परिषदीय स्कूलों में परीक्षाओं की तिथियां घोषित होने के बाद डीजी स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को 13 मार्च से प्रतिदिन हर ब्लाक के दूरस्थ स्कूलों के निरीक्षण के निर्देश प्रदान किए हैं।
फिलहाल परिषदीय स्कूलों की सूरत और सीरत बदलने के लिए शासन स्तर से कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही। विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों से बच्चों के माता-पिता को जागरूक करने के साथ-साथ बेसिक के बच्चों को नए अंदाज में छोटी-छोटी मगर मोटी बातों के तहत नई जानकारियां दी जा रही हैं। बाल वाटिकाओं में खिलेंगे हुनर के फूल…नए अंदाज़ में छोटी-छोटी मगर मोटी बातें सीखेंगे बेसिक के बच्चे।
बेसिक में फर्नीचर की व्यवस्था
प्री-प्राइमरी शिक्षा के लिए और बेहतर माहौल तैयार करने के लिए आने वाले समय में प्रदेश की सभी बालवाटिकाओं में “शिशु डेस्क व फर्नीचर” उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है।
आंगनबाड़ी शिशुओं के लिए “फर्नीचर शिशु” प्रदेश के 21791 परिषदीय विद्यालयों में मौजूद आंगनबाड़ी केन्द्रों की बालवाटिकाओं में “फर्नीचर शिशु” उपलब्ध कराए गए हैं, जिन पर बैठकर नौनिहाल पढ़ाई कर रहे हैं।
निपुण मिशन के तहत गतिविधियों पर जोर
परिषदीय स्कूलों में शैक्षणिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई तरह के प्रयास कर रही है। बेसिक शिक्षा परिषद की तरफ से निपुण मिशन के तहत नई शैक्षिक सत्र में कई गतिविधियों को जोड़ा जाएगा।
पोर्टल पर 12 सप्ताह के गतिविधि कैलेंडर से जुड़ा ऑडियो विजुअल कैलेंडर भी तैयार किया गया है। इसे अब तक 2.20 लाख लोग देख चुके हैं।
बाल पिटारा ऐप
उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के लिए दीक्षा पोर्टल पर प्री-प्राइमरी शिक्षा से जुड़ी कक्षाएं प्रदर्शित की गई है। बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए “बाल पिटारा ऐप” के जरिए अभिभावकों को सहयोग भी मिल रहा है।
विद्या प्रवेश कार्यक्रम का संचालन
प्री-प्राइमरी शिक्षा से वंचित बच्चों को मिलेगा बेसिक का साथ। निपुण भारत मिशन के “विद्या प्रवेश” कार्यक्रम के तहत एक लाख से अधिक शिक्षकों को विशेष ट्रेनिंग दी गई है ताकि वह नौनिहालों को TLM के जरिए बेहतर शिक्षा दे सकें।
बाला फीचर का उपयोग
“बाला फीचर” के तहत क्लास रूम की दीवारे बनेंगी ब्लैकबोर्ड। कमरे में कहीं पर भी बैठकर बच्चे कर सकेंगे पढ़ाई। कक्षाओं की दीवारे कहेंगी ककहरा, कविताएं और अक्षर ज्ञान की कहानी।
पीएम श्री और अभ्युदय मॉडल कम्पोजिट स्कूलों में भी बनेंगी बालवाटिकाएं। नन्हें-मुन्ने बच्चों को मिलेगी सौगात। खेल-खेल में “ककहरा” और “Twinkle-Twinkle Little Star” गाएंगे बच्चे।
उत्तर प्रदेश निपुण प्रदेश
हम हैं “निपुण विद्यार्थी” । “निपुण भारत मिशन” के स्कूलों में बच्चों के निपुण एसेसमेंट टेस्ट के जरिए उनकी भाषाई व गणितीय दक्षता का आकलन किया जा रहा है।
“निपुण लक्ष्य ऐप” प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। इसके ज़रिए बच्चों को रोचक तरीके से विषयों का अभ्यास कराया जा रहा है।
डिजिटल होता बेसिक…
निपुण असेसमेंट में “निपुण लक्ष्य ऐप” की विशेष भूमिका है। इसके जरिए शिक्षक व अभिभावक बच्चों को निरन्तर अभ्यास करवा सकते हैं।
प्रदेश के 746 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों का उच्चीकरण कर उनको कक्षा-12 तक किया जा रहा है। इससे कमजोर वर्ग की बालिकाओं को कक्षा-12 तक की निःशुल्क आवासीय शिक्षा प्राथमिकता के आधार पर मिल सकेगी।
बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से निपुण मिशन के तहत नई शैक्षिक सत्र में कई गतिविधियों को जोड़ा जाएगा। सरकारी स्कूलों में शिक्षक और छात्रों के बीच अच्छे संबंधों के लिए चलाए जा रहे इस अभियान के लिए गतिविधि कैलेंडर जारी किया गया है।
हर बच्चा है ख़ास
दिव्यांग बच्चों की समावेशी शिक्षा के सम्बन्ध में शिक्षकों, जिला समन्वयक, खंड शिक्षा अधिकारी, एआरपी, विशेष शिक्षकों को बेहतर जानकारी देने के लिए एक घण्टे का ऑनलाइन सत्र यूट्यूब पर आयोजित किया जा रहा है।
दिव्यांग बच्चों की शैक्षिक आवश्यकताओं के अनुरूप गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में नोडल टीचर्स व आरबीएसके टीम की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस टीम व नोडल टीचर्स के समन्वित प्रयास से “समर्थ एप” द्वारा दिव्यांग बच्चों की स्क्रीनिंग होगी।
दिव्यांग बच्चों की शीघ्र पहचान करने में विद्यालय के नोडल टीचर्स की अहम भूमिका है। विभाग के समन्वित प्रयास द्वारा समान और समावेशी शिक्षा के अवसरों के माध्यम से दिव्यांग बच्चों को मुख्यधारा में शामिल कर निपुण बनाया जा रहा है।
बेसिक के स्मार्ट बच्चे
Smart learning के चलते बेसिक स्कूलों के बच्चे अब ज्यादा खुलकर अपनी बात रख पा रहे हैं। शिक्षकों व अभिभावकों का भी यह Feedback है कि इससे बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ा है।
बच्चों में डाली जा रही है “पढ़ने की आदत”। स्मार्ट क्लास के साथ बच्चों में Reading Skill बढ़ाने के लिए ‘Read Along App’ शुरू किया गया है। इसमें बच्चों के साथ शिक्षक व अभिभावक भी जुड़कर बच्चों में पढ़ने की आदत डालने का प्रयास कर रहे हैं।
यूपी के दो लाख प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों को 2 लाख टैबलेट उपलब्ध कराने का व 30 हजार स्कूलों को पूरी तरह स्मार्ट स्कूल बनाने का लक्ष्य है। अब तक 12 हजार से ज्यादा स्कूल बन चुके हैं स्मार्ट क्लास।
प्रदेश की प्राइमरी शिक्षा को स्मार्ट बनाने के लिए बड़े पैमाने पर स्कूलों को स्मार्ट क्लासेस से लैस किया जा रहा है। बच्चे टैबलेट, कम्प्यूटर से पढ़ाई करके बन रहे हैं स्मार्ट।