(इस पोस्ट में आपको अपने गुरूजनों पर शायरी , पंक्तियाँ मिलेंगी जिसको आप शिक्षक दिवस के अवसर पर भाषण और निबंध में प्रयोग कर सकते हैं तो आइए देखते हैं गुरुजनों पर विशेष शायरी और पंक्तियाँ
ज्ञान देने वाले गुरू का बंदन है,
उनके चरणों की धूल भी चंदन है।
शिक्षा से बड़ा कोई वरदान नहीं है,
गुरू का आशीर्वाद मिले इससे बड़ा कोई सम्मान नहीं है।
बन्द हो जाएँ सब दरवाजे, नया रास्ता दिखाते हैं गुरु,
सिर्फ किताबी ज्ञान नही, जीवन जीना सिखाते हैं गुरू।
गुरू बखान में छोटा तो अंबर पड़ जाएँ,
ऐसे गुरू चरणों में श्रद्धा के सुमन अर्पित करते जाएँ।
जिसे देता हैं हर व्यक्ति सम्मान, जो करता हैं वीरों का निर्माण,
जो बनाता हैं इंसान को इंसान, ऐसे गुरु को हम करते हैं प्रणाम।
गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वर
गुरु साक्षात् परमं ब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम:
गुरु आपकी ये अमृत वाणी हमेशा मुझको याद रहे,
जो अच्छा है जो बुरा है उसकी हम पहचान करे।
गुरूजी आपकी दुआएं और सर पर हाथ चाहता हूँ,
मैं ज्यादा कुछ नहीं आपका आशीर्वाद चाहता हूँ।
गुरू के बिना ज्ञान कहाँ, ज्ञान बिना मान कहाँ,
गुरु ने दी शिक्षा जहाँ, सुख की सुख हैं वहाँ।
अज्ञान को मिटा कर, ज्ञान का दीपक जलाया हैं,
गुरू कृपा से मैने ये अनमोल शिक्षा पाया हैं।
सत्य का पाठ जो पढ़ाएँ वही सच्चा गुरू कहलाये,
जो ज्ञान से जीवन को आसन बनाये वही सच्चा गुरू कहलाये।
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जल जाता है वो दिए की तरह,
कई जीवन रोशन कर जाता है।
कुछ इसी तरह से हर गुरु,
अपना फर्ज निभाता है।
गुरू में वो शक्ति हैं जो कुछ भी कर सकती हैं,
ज्ञान ही हैं जो बाटने पर बढ़ती हैं।
लक्ष्य प्राप्त कर सकू, आपने मुझे इस योग्य बनाया,
जब महसूस किया मैंने हारा,
आपका दिया ज्ञान बहुत काम आया… गुरु को मेरा नमन।
गुरू जो सीखता है उसे सीख लो
वरना वक्त की मार खाओगे,
जो शिक्षा गुरू मुफ्त में देते है,
उसे हाथ जोड़कर मांगने से भी न पाओगे।
अक्षर अक्षर हमें सिखाते,
शब्द शब्द का अर्थ बताते,
कभी प्यार से कभी डांट से,
जीवन जीना हमें सिखाते।
गुरू गोविन्द दोउ खड़े, काके लागू पाव,
बलिहारी गुरू आपने, गोविन्द दियो बताय।
वाणी शीतल चन्द्रमाम मुख मण्डल सूर्य समान,
गुरू चरनन त्रिलोक है, गुरू अमृत की खान।
गुरू गुरूतर मन को करे छिछली परत हटाय,
जइसे सूरज गगन में छन-छन चढ़ता जाये।
मुझ पर मेरे गुरूओं का
प्यार और उनका आशीर्वाद यूँ ही उधार रहने दो,
बड़ा हसीन है ये कर्ज, मुझे कर्जदार रहने दो।
गुरू से ही जीवन को आधार मिलता है,
ज्ञान से ही जीवन को आकार मिलता है।
ऐसा गुरू जिसको सब अपना रहनुमा बना ले,
ज्ञान ऐसा दे जो जिन्दगी को खुशनुमा बना दे।
पड़ा रेत जब लगता है सर पे वो चंदन हो जाता हैं,
पड़े गुरू का हाथ जिस पे उसका जग में बंदन हो जाता हैं।
जीवन जितना सजता है माँ-बाप के प्यार से,
उतना ही महकता है गुरू के आशीर्वाद से।
गुमनामी के अंधेरे में था
पहचान बना दिया
दुनिया के गम से मुझे
अनजान बना दिया
उनकी ऐसी कृपा हुई
गुरू ने मुझे एक अच्छा
इंसान बना दिया।
पिता जन्म देता महज, कच्ची माटी होय,
गुरूजनों के शिल्प से, मिट्टी मूरत होय।
सही क्या है? गलत क्या है? यह सबक पढ़ते हैं आप,
झूठ क्या है? सच क्या है? यह बात समझते हैं आप,
जब सूझता नहीं कुछ भी, राहों को सरल बनाते हैं आप।
गुरु का महत्व कभी होगा ना कम,
भले कर ले कितनी भी उन्नति हम।
शांति का पढ़ाया पाठ,
अज्ञान का मिटाया अंधकार,
गुरू ने सिखाया हमें
नफरत पर विजय है प्यार।
दिया ज्ञान भण्डार हमें,
किया भविष्य के लिए तैयार हमें,
है आभारी उन गुरुओं के हम
जो किया कृतज्ञ अपार हमे।
गुरु की ऊर्जा सूर्य सी,
अम्बर सा विस्तार,
गुरु की गरिमा से बड़ा,
नहीं कही आकार
गुरु का सद्सानिध्य ही,
जग में है उपहार
प्रस्तर को क्षण – क्षण
गढ़े, मूरत हो तैयार।
सूरज प्रकाश से प्रकाशित करता हैं,
जीवन को गुरू ज्ञान से प्रकाशित करता है।
धरती कहती है, नदियां कहती है,
अंबर कहते बस यही तराना,
गुरू आप ही वो पावन नूर है
जिनसे रौशन हुआ जमाना।
शिक्षक दिवस के अवसर पर,
मेरे गुरू के चरणों में प्रणाम,
मेरे गुरू जी कृपा राखियों
तुझे ही अर्पण मेरे प्राण।
गुरू ज्ञान की दीप की ज्योति से,
मन आलोकित कर देता है,
विद्या का धन देकर
जीवन खुशियों से भर देता हैं।
हमारी गलतियां भी हमें बहुत कुछ सिखाती है,
पर शिक्षक दिवस पर बधाई नहीं पाती है।
शिक्षक ही ये जिम्मेदारी लेता है,
बुराईयों को दूर भगाता है,
दीप, सूर्य-तारा बन सको तुम
ज्ञान रुपी ऐसा आग जलाता है।
अयोग्य से योग्य बनाते है,
मुसीबतों से लड़ना हमे सिखाते हैं।
जल जाता है वो दिए की तरह,
कई जीवन रोशन कर जाता है।
कुछ इसी तरह से हर गुरु,
अपना फर्ज निभाता है।
अज्ञान को मिटा कर,
ज्ञान का दीपक जलाया है।
गुरु कृपा से मैंने,
ये अनमोल शिक्षा पाया है।
जिसे देता है हर व्यक्ति सम्मान,
जो करता है वीरों का निर्माण।
जो बनाता है इंसान को इंसान,
ऐसे गुरु को हम करते हैं प्रणाम।
गुमनामी के अंधेरे में था
पहचान बना दिया
दुनिया के गम से मुझे
अनजान बना दिया
उनकी ऐसी कृपा हुई
गुरू ने मुझे एक अच्छा
इंसान बना दिया।
गुरू बिना ज्ञान कहाँ,
उसके ज्ञान का आदि न अंत यहाँ,
गुरू ने दी शिक्षा जहां,
उठी शिष्टाचार की मूरत वहाँ।
दिया ज्ञान का भण्डार हमें,
किया भविष्य के लिए तैयार हमें
हैं आभारी उन गुरुओं के हम
जो किया कृतज्ञ अपार हमें।
जो बनाए हमें इंसान,
दे सही-गलत की पहचान,
उन शिक्षकों को प्रणाम।
माता गुरु हैं, पिता भी गुरु हैं,
विद्यालय के अध्यापक भी गुरु है
जिससे भी कुछ सिखा हैं हमने,
हमारे लिए हर वो शख्स गुरु हैं।
गुरु तेरे उपकार का,
कैसे चुकाऊं मैं मोल,
लाख कीमती धन भला,
गुरु हैं मेरे अनमोल।
आपसे ही सीखा, आपसे ही जाना,
आप ही को हमने गुरु हैं माना,
सीखा हैं सब कुछ आपसे हमने,
कलम का मतलब आपसे हैं जाना।
जल जाता है वो दीये की तरह कई जीवन रोशन कर जाता है ,
कुछ इसी तरह से
गुरु अपना फर्ज निभाता है ।
नई राह दिखा कर हमको ,
सभी संशय मिटाता है
सागर से ज्ञान के भरा हुआ ,
बस वही गुरु कहलाता है ।
जो फंसा हो जीवन के मझधारों में उसका भी उद्धार हो जाता है ,
गुरु के चरणों में जाने से
सबका बड़ा पार हो जाता है ।
जो झुक जाता है उसके आगे ,
वो सबसे ऊपर उठ जाता है ,
गुरु की छत्र छाया में ,
सबका जीवन सुधर जाता है ।
जिसके प्रति मन में सम्मान होता है जिसकी डांट में भी एक अद्भुत ज्ञान होता है ,
जन्म देता है कई महान शख्सियतों को वो गुरु तो सबसे महान होता है ।
वो नींव की भांति दबा रहे ,
खड़ी कर देता है मिसाल नई ,
ले शिक्षा शिष्य बढ़े आगे ,
गुरु का रहता हाल वही ।
माँ – बाप ने हमको जन्म दिया ,
गुरु ने पढ़ना सिखाया है ,
शिक्षा देकर हमको
अपने जीवन में आगे बढ़ाया है ।
जीवन का पथ जहाँ से शुरू होता है ,
वो राह दिखाने वाला ही गुरु होता है । जिसके मन में गुरु के लिए सम्मान होता है ,
उसके क़दमों में एक दिन ये सारा जहान होता है ।
तुम गुरु पर ध्यान दो ,
गुरु तुम्हें ज्ञान देगा ,
तुम गुरु को सम्मान दो ,
गुरु ऊंची उड़ान देगा ।
वो नव जीवन देता सबको ,
नई शक्ति का संचार करे ,
जो झुक जाए उसके आगे ,
उसका ही गुरु उद्धार करे ।
जीवन अपना कर अर्पण,
जो देश को उन्नति की ओर बढ़ाता है , रच देता जो इतिहास नए ,
वो समाज का भाग्य विधाता है ।
देता है जमाने को कई ,
नाम खुद वो गुमनाम ही रह जाता है , गुरु में इतनी शक्ति होती है ,,
कि ख़ामोशी में भी बहुत कुछ कह जाता है ।
बुरे वक्त में जो बनता सहारा है ,
दुनिया में बस एक वही हमारा,
लोगों को प्यारे होंगे महबूब उनके ,
हमें तो हमारा गुरु ही प्यारा है ।
विद्यालय है मंदिर मेरा ,
गुरु मेरे भगवान् हैं ,
हमारे हृदय में नित ,
उनके लिए सम्मान है ।