परिषदीय विद्यालयों में बीएड अभ्यर्थियों के लिए निकली प्रत्येक शिक्षक भर्ती विवादित रही।फिर चाहे बसपा की मायावती की सरकार हो,सपा की युवा अखिलेश सरकार हो या फिर वर्तमान भाजपा की योगी सरकार हो।
इसके अलावा :
● यूपी में अभी भी तकरीबन दो लाख शिक्षकों के पद अभी भी है खाली
● तकरीबन हर भर्ती रही विवादित
● प्रत्येक नई भर्ती की नियमावली भी नई
● कोर्ट तक पहुँची सारी भर्तियाँ
● प्रत्येक भर्ती के रिजल्ट में हुई थी गड़बड़ी
● प्रत्येक भर्ती में बचे थे रिक्त पद
●रिक्त पदों को किसी भी सरकार ने नहीं किया पूरा
सन 2008 से शिक्षक भर्तियों की अगर बात करें तो अब तक बीते 13 सालों में तीन सरकारों ने परिषदीय शिक्षकों की केवल 4 बार ही बड़ी भर्तियाँ की हैं।2008 सितम्बर में 65000 से अधिक की शिक्षक भर्ती,2011 से 2015 तक चली 72825 भर्ती व जूनियर गणित विज्ञान की 29334 ,सितम्बर 2018 की 68500(जिसमें बीएड शामिल नहीं था)उसके बाद पिछली 69000 शिक्षक भर्ती।
आपको बता दें कि चारों बड़ी शिक्षक भर्तियों में चारों की नियमावली अलग अलग निर्धारित की गई।2011 में शिक्षक पात्रता परीक्षा आने के बाद तो भर्तियों का जो सूखा पड़ा वो आज तक पूरा नहीं हुआ।
विगत वर्षों में हुई 68500 और 69000 शिक्षक भर्ती 137000 शिक्षामित्रों के कोर्ट द्वारा समायोजन रद होने की रिक्तियों से निकली थी जिसमें शिक्षामित्रों को कोर्ट द्वारा दो बात मौका देने की बात कही गयी कुल मिलाकर इस बात में कोई अतिशयोक्ति नहीं कि 68500 व 69000 शिक्षक भर्ती को नई भर्ती न कहा जाए क्योंकि शिक्षा मित्रों से रिक्त पदों को नई भर्ती की संज्ञा देना अनुचित ही है।
बीएड, बीटीसी ,शिक्षामित्रों व डीएलएड के शेष अभ्यर्थी आज भी परिषदीय विद्यालयों में शिक्षक भर्ती का इंतज़ार कर रहे हैं और करें भी तो क्यों न क्योंकि 72825 शिक्षक भर्ती के रिक्त 6170 पद, 68500 के रिक्त 26000 पद एवं 69000 के रिक्त 3000 पद अभी भी रिक्त हैं।इसके अलावा मानक के अनुसार अगर विद्यालयों में शिक्षक छात्र अनुपात के हिसाब से शिक्षकों की भर्तियाँ की जाए तो तकरीबन 1 लाख 95 हज़ार शिक्षकों की अभी और ज़रूरत है।
दूसरी ओर न्यू एड 2012 के 72825 पदों के लिए 2011 के अचयनितों द्वारा लड़ी जा रही कोर्ट की लड़ाई अभी भी गतिमान है जो हर स्तर से अभ्यर्थियों द्वारा आज भी लड़ी जा रही है।
2012 न्यू एड का विज्ञापन सरकार की नजर में भले ही मृतप्राय है मगर सच्चाई भी यही है कि सर्विस रूल के अनुसार कोर्ट ने इसी विज्ञापन को सही माना है औऱ खुद के द्वारा 2011 विज्ञापन पर अंतरिम आदेशों के तहत भर्ती करके नए विज्ञापन को इस उद्देश्य से लिबर्टी दी क्योंकि 2012 से ही तकरीबन 839 याचियों को नियुक्ति भी मिली है।लिबर्टी के तहत सरकार को भर्ती करने की छूट प्रदान की गई थी जिसके तहत कोर्ट का मानना था की भर्ती से अचयनित ओवर एज हो चुके अभ्यर्थियों को भी इसका लाभ मिल चुके।
हाँलाकि मार्च 2017 में जब सीएम योगी आदित्यनाथ ने राज्य की सत्ता संभाली थी तब प्रदेश में बेरोजगारी दर का आंकड़ा 17.5 फीसदी था जो मौजूदा बेरोजगारी दर के मुकाबले करीब ढाई गुना ज्यादा था। गौरतलब है कि लगातार उद्योग और व्यापार बढ़ा रही योगी सरकार ने मार्च 2021 में 4.1 फीसदी के बेरोजगारी दर के न्यूनतम आँकड़े तक पहुँचा दिया था।