परिषदीय विद्यालयों में 2011 की तत्कालीन मायावती की बसपा सरकार के समय शुरू हुई विवादित 72825 शिक्षक भर्ती का सपा सरकार की अखिलेश सरकार में न्यू एड विज्ञापित करने के बाद सत्ता में आई भाजपा की यूपी सरकार ने सभी स्थिति परिस्थितियों को अपनाकर रिक्त 6170 पदों के मुद्दों का पटाक्षेप कर दिया।
रिक्त 6170 पदों पर आज की सुनवाई में कोर्ट ने अपने अप्रत्याशित फ़ैसले में बिना सरकार से ज़बाब लिए रिक्त 6170 पदों पर सभी याचिकाओं को एकत्र करके ख़ारिज कर दिया। कोर्ट के इस फैसले से सभी याची बेहद नाराज़ है और सभी ने इस फैसले को अन्यायपूर्ण फ़ैसला बताया ।
■ याचिका के ये थे स्ट्रांग पहलू
● रिक्त 6170 पर कोर्ट ने इससे पूर्व याचियों को दिया था नियुक्ति का आदेश
● सरकार ने कोर्ट में रिक्त पदों को 68500 भर्ती में जोड़ने का दिया था झूठा हलफनामा
● RTI में रिक्त 6170 पदों को न जोड़ने की जानकारी दी थी NCERT ने
● रिक्त 6170 पर बुरी तरह फंस गई थी सरकार
● रिक्त पदों पर ज़बाब दाख़िल करने से पिछले 2 वर्षो से बच रही थी यूपी सरकार
● कोर्ट ने ही सरकार को ज़बाब दाख़िल करने का दिया था आदेश
●रिक्त 6170 पदों पर 99% जीत सुनिश्चित थी याचियों की
■ याचिका के स्ट्रांग पहलू ऐसे हुए ज़मींदोज़
● झूठे हलफ़नामे से कोर्ट को 2 साल सरकार ने किया गुमराह
● कोर्ट के ज़बाब दाख़िल करने के आदेश को भी नकारा
●मुख्य याचिका के अधिवक्ता को बहस के लिए नहीं मिली कोई डेट,अर्जेंसी का प्रार्थना पत्र भी हुआ धराशायी
● याचिका ख़ारिज कराने के उद्देश्य से मुख्य याचिका से कनेक्ट की गई एक नई याचिका
● समस्त याचिकाओं को एकत्र कर सुनवाई का कोर्ट का अप्रत्याशित आदेश
● नई याचिका की सुनवाई की आड़ में ख़ारिज की सारी याचिकाएँ
● सरकार से ज़बाब दाख़िल कराने की बात पर कोर्ट ने साधी चुप्पी
● एक ही सुनवाई पर सारी कहानी कर दी खत्म
● रिक्त 6170 पद रह गए रिक्त
●मज़बूत पक्ष के बाबजूद हार गए सभी याची
गौरतलब है कि 72825 भर्ती के अवशेष 6170 पदों पर नियुक्ति के लिए वर्षों से सैकड़ों याचियों ने न्याय मिलने की आस में कोर्ट में प्रदेश की यूपी सरकार के ख़िलाफ़ न्यायायिक लड़ाई छेड़ रखी थी जो तकरीबन जीत की दहलीज तक भी पहुँच चुकी थी मगर सत्ता की हनक ने उसे ज़मींदोज़ कर दिया। ऐसा कहते हुए इस केस के मुख्य याचिका कर्ता वेद प्रकाश ने सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा ज़ाहिर करते हुए लिखा कि कुलदीप नारायण मिश्रा के द्वारा दाखिल कराई गई याचिका सरकार की पूरी तरह से प्रायोजित याचिका थी जिस पर बिना कोई कार्रवाई और बिना काउंटर मंगाए बगैर किसी आधार के समस्त याचिकाओं को ब्रिटिश सरकार की दमनकारी व अन्यायपूर्ण नीति के तहत ख़ारिज़ करवा दिया गया।वेद ने कहा इस याचिका को बग़ैर सुने ख़ारिज़ करना पूर्व जज द्वारा दिये गए सरकार को ज़बाब दाख़िल करने जैसे आदेश पर तमाचा है।
जब कोर्ट के ही जज ने जिस याचिका पर 2019 से सरकार को काउंटर मांग रखा था उसको बिना बहस के बिना सरकार के जवाब लिए समस्त केस को बंच करकें प्रायोजित तरीके से खारिज करना न्याय प्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाता है जबकि सुनवाई में कोर्ट ने केवल कुलदीप नारायण मिश्रा की याचिका को खारिज किया था लेकिन केस के मुख्य अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी ने बताया है कि विश्वस्त स्रोत की सूचना के आधार पर जानकारी मिली है कि जज अश्वनी कुमार मिश्रा ने समस्त याचिका को सुनियोजित तरीके से एक साथ बंच करके खारिज कर अचयनितों के साथ अन्याय किया है।
वेद ने बताया कि अवशेष 6170 पदों को वाली हमारी याचिका को खारिज करवाने के लिए राज्य सरकार ने महाधिवक्ता समेत सारी कायनात को लगा दिया और आज छल करके हम अचयनितों को हरा दिया । हम सब इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि याचिका में कितना दम था जिसका दमन करने के लिए सरकार की सारी कायनात को लगना पड़ा और आज छल करके अन्य याचिका पर सुनवाई करने के साथ मुख्य याचिका से टैग करके हमारी याचिका को जानबूझकर खारिज करवा दिया ।सबसे दुःखद यह कि याचिका पर जज महोदय ने सरकार से बिना ज़बाब लिए ही याचिका ख़ारिज कर दी।
अप्रत्याशित सुनवाई
परिषदीय विद्यालयों में 2011 में शुरू हुई 72825 भर्ती में 6170 पद रिक्त रह गए रहे थे जिस पर सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने भर्ती करने कक आदेश दिया था। रिक्त पदों पर सरकार द्वारा कोई भी निर्णय न लेने पर अचयनित अभ्यर्थियों ने कोर्ट का सहारा लिया जिसमें रिक्त पदों पर नियुक्ति देने की मांग की गई।
72825 केस के 25 जुलाई 2017 को आये मुख्य अंतिम आदेश के बाद से रिक्त पदों का मुद्दा गरमा गया था जिसकी लड़ाई अचयनित पिछले 4 साल से बड़ी भी मज़बूती से लड़ रहे थे और 2 साल पहले कोर्ट ने इन अभ्यर्थियों को नियुक्ति का आदेश भी दे दिया जिस पर सरकार द्वारा झूठे हलफ़नामे से कोर्ट को गुमराह कर नियुक्ति में बाधा पैदा कर दी गयी।
याचियों का कहना है कि हमारा पक्ष तकनीकी रूप से बहुत मजबूत था जिसमें सरकार को ज़बाब दाखिल करके कोर्ट को रिक्त 6170 पदों पर सही जानकारी देनी थी।