शुकनासोपदेश : टीजीटी संस्कृत के उपयोगी 28 प्रश्नों के उत्तर
1. किस प्रकार का व्यक्ति उपदेश देने का पात्र होता है?
(a) ज्ञानी
(b) पठनशील
(c) प्रौढ़
(d) सांसारिक विषयास्वाद से रहित
उत्तर- (d)
T.G.T. परीक्षा, 2005
चन्द्रापीड के राज्याभिषेक के अवसर पर तारापीड का मन्त्री ‘शुकनास’ चन्द्रापीड को उपदेश देता है कि आप जैसे व्यक्ति ही उपदेश देने के पात्र होते हैं क्योंकि उपदेश के गुण निर्मल अन्तःकरण में उसी तरह अनायास प्रवेश करते हैं जैसे स्फटिक मणि में सूर्य की किरणें।
तुम्हारे जैसे व्यक्ति ही उपदेशों के उपयुक्त भाजन (सुपात्र) होते हैं। जिसके मन की मैल दूर हो चुकी है उसमें उपदेश के गुण सरलता से प्रविष्ट होते हैं-ठीक ऐसे जैसे कि मल से रहित (स्वच्छ) स्फटिकमणि में चन्द्रमा की किरणें प्रविष्ट होती हैं।
2. चन्द्रापीड को राज्याभिषेक पर उपदेश देता है-
(a) तारापीड
(b) शुकनास
(c) वैशम्पायन
(d) जाबालि
उत्तर-(b)
T.G.T. परीक्षा, 2004
चन्द्रापीड के राज्याभिषेक के अवसर पर तारापीड का मंत्री ‘शुकनास’ ने चन्द्रापीड को उपदेश देता है।
3.शुकनास ने किसे उपदेश दिया ?
(a) तारापीड को
(b) वैशम्पायन को
(c) चन्द्रापीड को
(d) पुण्डरीक को
उत्तर-(c)
Also Read: कादम्बरी – कथामुखम् के उपयोगी 91 प्रश्नों के व्याख्या सहित उत्तर
T.G.T. परीक्षा, 1999
4. ‘लब्धापि खलु दुःखेन परिपाल्यते’ किसका कथन है ?
(a) शुकनाश का
(b) चन्द्रापीड का
(c) तारापीड का
(d) विलासवती का
उत्तर- (a)
P.G.T. परीक्षा, 2005
‘लब्धापि खलु दुःखेन परिपाल्यते’ यह कथन शुकनास का है। चंद्रपीड़ के राज्यभिषेक के अवसर पर तारापीड के मंत्री शुकनास ने चंद्रपीड को उपदेश देते समय लक्ष्मी के सन्दर्भ में कहा कि लक्ष्मी को पा लेने पर भी दुःख से परिपालन होता है।
5 .शुकनास के उपदेश के पश्चात् प्रसन्न हृदय वाला राजा कहाँ गया-
(a) दरबार में
(b) उद्यान में
(c) अपने भवन में
(d) वन में
उत्तर-(c)
T.G.T. परीक्षा, 2013
कादम्बरी कथा में वर्णित राजा तारापीड के महामंत्री शुकनास के उपदेश के पश्चात् प्रसन्न हृदय वाला राजा अपने भवन में गया।
6. राजतन्त्र शासन परम्परा में उपदेश दिये जाते हैं-
(a) विवाह-संस्कार के अवसर पर
(b) राज्याभिषेक के अवसर पर
(c) विद्योपार्जन के अवसर पर
(d) वानप्रस्थ जाने के अवसर पर
उत्तर-(b)
T.G.T. परीक्षा, 2011
7. किसके गुण-दोषों का वर्णन शुकनास ने किया है-
(a) राजा के
(b) अर्जुन के
(c) लक्ष्मी के
(d) प्रजा के
उत्तर-(c)
T.G.T. परीक्षा, 2011
लक्ष्मी के गुण-दोषों का वर्णन शुकनास ने किया है। यह प्रसंग तारापीड के मंत्री शुकनास ने चन्द्रापीड को युवराज बनने से पहले लक्ष्मी के गुणों- दोषों का शुकनासोपदेश में उल्लेख किया है जो इस प्रकार है- राग, वक्रता चञ्चलता, मोहन शक्ति (काल कूट), मद और निष्ठुरता- जो लक्ष्मी में स्वभावतः पाई जाती है।
यह न परिचय की रक्षा करती है, न कुल, न सौन्दर्य, न वंश परम्परा, न सच्चरित्रता, न पाण्डित्य का आदर करती है, न शास्त्र को सुनती, न धर्म को मानती, न त्याग को महत्व देती, न विशेषता पर विचार करती है, न आचार का पालन करती है, न सत्य को जानती है और न लक्षण (सामुद्रिक शास्त्र में कहे हुए भाग्य के) को प्रमाणित करती है, (यह, लक्ष्मी) गन्धर्वनगर की रेखा के समान देखते ही नष्ट हो जाती है। अनार्या, दुष्ट अनाड़ी लक्ष्मी अर्थात् यह अनाड़ी लक्ष्मी किसी से जान-पहचान नहीं रखती, जाने हुए को छोड़ देती है और अनजाने के पास चली जाती है।
8. ‘शुकनासोपदेश’ में शुकनास के अतिरिक्त दूसरा पात्र है-
(a) वैशम्पायन 2000
(b) चन्द्रमापीड
(C) तारापीड
(d) शूद्रक
उत्तर-(b)
T.G.T. परीक्षा, 2011
9. ‘शुकनासोपदेश’ किस ग्रन्थ का अंश विशेष है ?
(a) रघुवंश
(b) नलोपाख्यानम्
(c) कादम्बरी
(d) हर्षचरित
उत्तर-(c)
T.G.T. परीक्षा, 2010
शुकनासोपदेश प्रश्नोत्तरी PDF | डाउनलोड शुकनासोपदेश प्रश्नोत्तरी PDF (28 प्रश्न)