क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा रोबोटों का विश्व पर कब्जा हो सकता है और क्या इंसानियत को खतरा हो सकता है? विशेषज्ञों के विचारों के अनुसार हाल के दिनों में, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से संबंधित चेतावनियों की खबरें सुनाई दी हैं। यह नयी बात नहीं है, बल्कि इसकी बात पहले से ही कही जाती आ रही है। विज्ञान-कथाओं और फिल्मों में हमेशा दिखाया जाता रहा है कि एक दिन AI पूरी तरह से विश्व पर काबिजा कर सकती है। लेकिन क्या वाकई ऐसा हो सकता है? इस सवाल के अलग-अलग तरह के जवाब विशेषज्ञों द्वारा दिए जाते हैं। बच्चों के इंस्टाग्राम अकाउंट पर होगी माता-पिता की नजर, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में नए टूल जोड़ रहा मेटा
इंसानियत की पूरी तरह से समाप्ति का खतरा सबसे मूलतः उस सितारे पर है जब मशीनें पूरी तरह से इंसानी क्षमता हासिल कर लेती हैं और इंसान के नियंत्रण से मुक्त हो जाती हैं। वह स्थिति अभी तक दूर है, क्योंकि मशीनें अभी भी पूरी तरह से इंसान के नियंत्रण में हैं और उन्हें बंद किया जा सकता है जब चाहें। हालांकि, चिंता यह है कि AI, जो स्वयं चिन्तन और कार्य करने की क्षमता रखने वाली मशीन होती है, स्वतः बंद होने से इनकार कर सकती है।
खाड़ी के देश और अन्य देशों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर बहुत सारे खर्च कर रहे हैं क्योंकि वे इसके माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में विज्ञान, तकनीक, उद्योग, और राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। AI तकनीक की उन्नति से उन्हें कई तरह के लाभ मिल सकते हैं, जैसे कि स्वचालित प्रक्रियाओं का अद्यतन, डेटा विश्लेषण, नई और आविष्कारिक प्रोजेक्ट्स, सुरक्षा प्रणालियों का मजबूतीकरण, और नवीनतम तकनीकी उपयोग। Update हुआ WhatsApp: अपने नियमित बदलाव में व्हाट्सएप में जोड़े कई नए फीचर
योशुआ बेंजियो की यह बात स्वतंत्रता से सोचने को प्रेरित करती है कि हमें AI तकनीक को इतने महत्वपूर्ण तरीके से विकसित करना चाहिए कि मशीनें खुद को बचाने की जगह, मानवता के समृद्धि और समानता को बढ़ावा दें। इसका मतलब है कि हमें AI के विकास में नैतिक मानदंडों, नियंत्रण के माध्यमों और सामरिकता के उदाहरणों को मजबूत करना चाहिए ताकि यह मानवीय समस्याओं का समाधान ढूंढने में हमारी मदद कर सके।
दार्शनिक जवाब
दार्शनिकों के माध्यम से ऐसे प्रश्नों का विचार करना और उनके विचारों का मूल्यांकन करना हमें व्यापक तत्वों को समझने में मदद कर सकता है।
निक बोस्ट्रोम का उल्लेखित विचार “इंटेलिजेंस एक्सप्लोजन” एक संभावित स्थिति का वर्णन करता है जब सुपरइंटेलिजेंट AI मशीनें खुद मशीनें बनाने की क्षमता हासिल करेंगी। इस सम्भावित स्थिति में, मशीनें अपनी स्वतंत्र स्थिति में विकसित होंगी और स्वयं को सुधारने की क्षमता रखेंगी। ऐसे मशीनों की चुनौती परिणामस्वरूप हो सकती है क्योंकि वे अपनी समझ और योग्यताओं को स्वतंत्र रूप से सुधारती रहेंगी, जो अंततः मानवीय समझ और नियंत्रण के पार जा सकता है।
इस विचार के अलावा, दार्शनिकों और वैज्ञानिकों के बीच एक सदाचारी और नैतिक मुद्दा भी हो सकता है। उदाहरण के तौर पर, एक मशीन जो स्वयं संशोधन कर सकती है और सुपरइंटेलिजेंस तक पहुंचती है, क्या यह नैतिकता के मानकों का पालन करेगी? क्या इसके साथ संगठनिक, सामाजिक और राष्ट्रीय स्तर पर नियंत्रण के लिए उच्चतम मानक बनाए जाएंगे? ये सभी मामले गहरे विचार और विचारशीलता की आवश्यकता को प्रकट करते हैं।
इसलिए, यह दार्शनिक सवाल हमें सोचने और एक संवेदनशील दृष्टिकोण से AI और इंसानियत के बीच संबंधों को समझने के लिए प्रेरित करता है। इस विचारधारा को ध्यान में रखते हुए हमें नियंत्रण, नैतिकता, और संवेदनशीलता को मजबूत बनाने के लिए सुनिश्चित करना चाहिए, ताकि AI के विकास का उचित उपयोग किया जा सके और यह हमारी मानवीय मूल्यों को समर्थन कर सके।
मशीनें मार सकती हैं इंसान को?
मशीनों की क्षमता या इच्छा इंसान को नुकसान पहुंचाने की तुलना में, यह प्रश्न कानूनी, नैतिक और तांत्रिक मामलों को सामने लाता है। वास्तविकता में, संविधानिक, नैतिक और तकनीकी प्रतिबंधनों द्वारा नियंत्रित रहने के लिए नियंत्रण प्रणालीयों का विकास किया गया है। इसलिए, एक सुरक्षित और नियंत्रणित पर्यावरण में AI विकास होना संभव है।
तथापि, वास्तविकता में AI और रोबोटिक्स के विकास के साथ, सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना महत्वपूर्ण है। सुरक्षा मामलों के रूप में AI सिस्टमों की सक्षमता और प्रवेश पर नियंत्रण रखने के लिए नवीनतम तकनीकी सुरक्षा और सामरिक नीतियों की आवश्यकता होती है। इसके लिए वैज्ञानिक, नीतिगत, और अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करके उच्चतम मानकों को स्थापित किया जा रहा है।
आपकी उल्लेखित रिपोर्ट ‘स्टॉप किलर रोबोट्स’ अभियान द्वारा जारी की गई रिपोर्ट दिखाती है कि वैज्ञानिकों द्वारा सुरक्षा के मामले पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। तकनीकी और नैतिक मुद्दों को हल करने के लिए अधिकांश अभियानों का उद्देश्य है।
सार्वजनिक वाद-विवाद और दार्शनिक चिंतन मशीनों और AI के विकास के संदर्भ में महत्वपूर्ण हैं, और ये मानवीय मानवीय मानवीयता, नैतिकता, सुरक्षा और सामाजिक प्रश्नों को समझने में मदद करते हैं।
एआई का लिखा लेख छापने के लिए अखबार ने मांगी माफी
एक अखबार ने अपने प्रकाशन में एक लेख छापने के लिए माफी मांगी है, जिसमें उन्होंने AI (Artificial Intelligence) के प्रशंसकों को नुकसान पहुंचाने के बारे में चिंता व्यक्त की है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि AI मशीनों को जीवन और मौत के मामलों पर फैसले लेने की शक्ति देने से उनका अस्तित्व खतरे में हो सकता है।
कनाडा की वॉटरलू यूनिवर्सिटी में रोबोटिक्स विशेषज्ञ कर्स्टिन डॉटेनहान भी इन चिंताओं को मान्यता देती हैं। उनका कहना है कि AI सिस्टमों को ऐसी तर्क क्षमता प्राप्त नहीं होती है जिससे वे मनुष्यों को नष्ट करने की सोच में आ सकें।
डॉटेनहान ने कहा, “रोबोट खुदाई नहीं कर सकते हैं।” हालांकि, उन्होंने यह भी कहा है कि कंप्यूटर प्रोग्राम रोबोट्स को बुरे काम करने के लिए तैयार कर सकते हैं।