बेसिक शिक्षक परिषद द्वारा स्थानांतरण करने के बाद किये गए वेटेज़ को कैंसिलेशन के चलते अधर में लटकी कार्यमुक्ति के लिए पिछले 2 महीने से भटक रही महिला शिक्षकों ने हरितालिका तीज पर निर्जला व्रत रखकर भजन कीर्तन के साथ आंदोलन किया जिसे देखकर आसपास के लोग हतप्रभ रह गए। इस आंदोलन में महिला शिक्षकों के साथ उनके छोटे बच्चे भी शामिल हुए।
उत्तर प्रदेश के परिषदीय शिक्षकों के ऑनलाइन ट्रांसफर एक लिखित शासनादेश के अनुसार ,वेटेज़, कागजात को जनपदीय कमेटी द्वारा गहन सत्यापन पश्चात जिला बेसिक शिक्षाधिकारी के निवेदन और संस्तुति पर सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के आदेश के क्रम में किया गया।
शिक्षकों के कार्यमुक्ति के समय अचानक विभिन्न जनपदों के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा समान श्रेणी के कुछ शिक्षकों को मौखिक आदेश का हवाला देते हुए कार्यमुक्ति से रोक दिया गया कहा गया कि शासनादेश के अनुसार ट्रांसफर पाए सभी अन्य सरकारी विभागों में कार्यरत पति पत्नी (स्पाउस) के वेटेज वाले शिक्षकगणों को अग्रिम आदेश तक कार्यमुक्ति प्रदान नहीं की जाएगी।
विभाग के इस मौखिक निर्देश का हवाला देकर उन सभी शिक्षकों को रोका गया जो इससे पहले विभाग के ही लिखित शासनदेश के आधार पर स्थानांतरित हुए जिसमें बैंक ऑफ बड़ौदा, एसबीआई, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एलआईसी,आर्यावर्त ग्रामीण बैंक, UPPCL बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक, इंडियन बैंक, वायुसेना, BSNL, माध्यमिक शिक्षा विभाग , राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज, FCI, IGL, HAL, IOCL, BPCL, EIL, कोल इंडिया , CBI, पोस्ट ऑफिस आदि विभागों के वेटेज़ शामिल किये गए।
विभाग द्वारा वेटेज़ कैंसिल करने का कारण इन विभागों को अर्ध सरकारी विभाग बताया गया जबकि शिक्षकों का कहना हैं कि परिषदीय शिक्षक भी अर्द्धसरकारी ही होता है लेकिन केवल कार्यमुक्ति के लिए विभाग पूर्ण सरकारी पति पत्नी का ट्रांसफर करने पर तुला है।
शिक्षकों का कहना है कि जनपदीय कमेटी एवं सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के ट्रांसफर आदेश व निर्णय को नकारकर विभाग द्वारा कार्यमुक्ति रोकना भी सरकारी आदेश की ही अवहेलना है।
इससे ज्यादा आश्चर्यजनक बात यह भी है कि जिस मौखिक शासनादेश के कारण आंदोलित टीचर्स का स्थानांतरण रोका गया उसी आदेश के तहत यूपी के अन्य जनपदों में कन्फ्यूजन व निजी वजह से समान श्रेणी के शिक्षकों को कार्यमुक्त भी कर दिया गया है। कहा गया कि जिन शिक्षकों की कार्यमुक्ति की गई ऐसे शिक्षक UPPCL व हिण्डाल्को कम्पनी, सरकारी बैंक कर्मचारी, दिल्ली पुलिस व माध्यमिक ऐडेड विद्यालय के ही कर्मचारी थे।
यूपी के कई जनपदों में जिला बेसिक शिक्षक कार्यालय स्तर से स्थानांतरित हुए टीचर्स की कार्य मुक्ति लिस्ट ही छुपा ली गई। टीचर्स की मांग के बावजूद ऐसी लिस्ट को बाराबंकी, श्रावस्ती, सिद्धार्थ नगर, मीरजापुर, अम्बेडकर नगर आदि जनपदों में सार्वजनिक नहीं किया गया जिससे यूपी टीचर ट्रांसफर में घालमेल का पता चलता है।
ट्रांसफर के बावजूद विभाग द्वारा वेटेज कैंसिल करने के बाद कार्यमुक्ति से वंचित महिला शिक्षकों ने आरोप लगाया कि जब उक्त सारे विभागों को ट्रांसफर के लाभ लेने की वेटेज़ सूची से बाहर कर दिया जाएगा तो ट्रांसफर लेने के लिए आखिरकार बचेगा कौन? फिर स्थानान्तरण का लॉलीपॉप किसके लिए?
शिक्षकों का आरोप है कि कार्यमुक्ति से वंचित टीचर्स को आंदोलन से रोकने के लिए विभाग हर तरह के हथकंडे अपना रहा है और सीएम योगी आदित्यनाथ के महिला शिक्षकों के ट्रांसफर के आदेश की अवहेलना कर रहा है। मिली जानकारी के मुताबिक 69000 शिक्षकों के धरना प्रदर्शन आंदोलन के चलते सरकार ने उन्हें कार्यमुक्त और ज्वाइनिंग के लिए 12-13 अगस्त में करने का आदेश तो दे दिया है लेकिन इस दशा में भी मौखिक आदेश के चलते इन टीचर्स की कार्यमुक्ति रोक दी गई।
महिला शिक्षकों ने ऐसे मौखिक आदेश पर विरोध दर्ज करते हुए कहा कि इससे तो स्थानान्तरण की मूल भावना का ही विनाश हो गया। ट्रांसफर के बाद दूध इस तरह से कार्य मुक्ति को रोकने के चलते सबसे अधिक महिला शिक्षकों को नुकसान हुआ है जो अपने-अपने छोटे बच्चों को लेकर न्याय और कर कार्यमुक्ति के लिए 200 से 300 किलोमीटर दौड़कर शिक्षा के आला अधिकारियों के घर के चक्कर काट रही हैं।
यूपी के टीचर ट्रांसफर के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा किए गए पूर्व के तबादलों में अन्य किसी विभाग के सरकारी कर्मचारियों का ट्रांसफर करने से नहीं रोका गया तो इस बार ऐसा नया प्रयोग करना शिक्षक विरोधी आदेश है।
ट्रांसफर से वंचित अधिकतर महिला टीचर्स ने एनपीआर टुडे को बताया कि हम सब के साथ हो रहे भेदभाव व अन्याय से हम सब बेहद कष्ट में है। हम सब व हमारे पति नियमित सरकारी कर्मचारी हैं, कोई संविदा कर्मी नहीं हैं। हमारा स्थानान्तरण जनपदीय कमेटी के सत्यापन पश्चात सचिव बेसिक शिक्षा महोदय के आदेश से ही हुआ है।
महिला शिक्षकों ने यूपी के मुखिया सीएम योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाते हुए कहा कि आपके राज्य में महिलाओं का ट्रांसफर होने के बावजूद कार्य मुक्ति ना करना भी महिलाओं के प्रति अत्याचार है। शासनादेश के बाद हुए स्थानांतरण के बावजूद गुमनाम अदृश्य मौखिक आदेश के कारण कार्य मुक्ति रोक दी गई जो हम सभी महिला शिक्षकों के साथ घोर अन्याय है।हम सभी महिला शिक्षक पिछली 1 जुलाई से शिक्षा के अलग-अलग आला अधिकारियों, सचिव के पास जाकर कार्य मुक्ति की गुहार लगा रहे हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं। अब जब कि 20 सितम्बर से विद्यालय आवंटन होने वाले हैं ऐसे में स्थानान्तरित हो चुकी शिक्षिकाओं को भी कार्यमुक्ति/ ज्वाइनिंग व विद्यालय आवंटन का अधिकार है ।