28 मई को होने वाले उद्घाटन समारोह को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच घमासान जारी है। जहां विपक्ष पीएम मोदी को उद्घाटन करने की बात पर विरोध कर रहा है वहीं सत्ता पक्ष की बीजेपी सरकार विपक्ष पर हमलावर हो रही है।
वहीं वित्त मंत्रालय 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन के उपलक्ष्य में 75 रुपए का विशेष सिक्का लॉन्च करेगा और आपको बता दें कि इसी दिन विनायक दामोदर सावरकर की 140वीं जयंती है जबकि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का अंतिम संस्कार भी इसी दिन हुआ।
* जनवरी 2021 में शुरू हुआ था 65000 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैले नए संसद भवन का निर्माण
* 971 करोड़ रुपए की लागत से बने संसद में लोकसभा के 888 और राज्यसभा के 384 सांसद बैठेंगे।
* नए संसद भवन में संयुक्त सत्र में 1272 सदस्यों के बैठने का प्रबंध
*नए संसद के उद्घाटन पर रार , विपक्ष का बॉयकॉट, बीजेपी का विपक्ष पर जोरदार हमला
28 मई को पीएम मोदी के द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन की सूचना आने के बाद महात्मा गाँधी के प्रपौत्र तुषार गाँधी ने ट्वीट कर कहा, कि “प्रधानमंत्री 28 मई को वीडी सावरकर की जयंती पर नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। उन्हें भवन का नाम ‘सावरकर सदन’ और सेंट्रल हॉल का नाम ‘माफ़ी कक्ष’ रखना चाहिए।”
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने वाली अधिकांश पार्टियों को क्या जोड़ता है? उत्तर सरल है- वे राजवंश द्वारा संचालित राजनीतिक दल हैं, जिनकी राजशाही पद्धतियां हमारे संविधान में गणतंत्रवाद और लोकतंत्र के सिद्धांतों के विरुद्ध हैं। जो पार्टियां संसद के उद्घाटन का बहिष्कार कर रही हैं उनमें लोकतंत्र के प्रति कोई प्रतिबद्धता नहीं है क्योंकि उनका एकमात्र उद्देश्य राजवंशों के एक चुनिंदा समूह को कायम रखना है।
विपक्षी दलों द्वारा नए संसद के उद्घाटन का बहिष्कार करने पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने गुजरात में कहा कि मुझे लगता है कि संसद भवन का उद्घाटन लोकतंत्र का एक उत्सव है और हमें उसी तरह इसे लेना चाहिए। ये विवाद का विषय नहीं बनना चाहिए। अगर ये विवाद का विषय बनता है तो ये दुर्भाग्य है। कुछ लोगों की ये कोशिश चल रही है लेकिन हमें इस उत्सव को मिलकर मनाना चाहिए।
देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि 28 मई को पीएम मोदी नए संसद भवन को राष्ट्र को समर्पित कर भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में नया अध्याय जोड़ने जा रहे हैं।नया संसद भवन भारत के लोकतांत्रिक संकल्प के साथ 140 करोड़ भारतीयों के स्वाभिमान और उनकी आकांक्षाओं की भी अभिव्यक्ति है।
संसद भवन का उद्घाटन एक एतिहासिक अवसर है जो 21वीं सदी में फिर नहीं आएगा। हमें संवैधानिक सत्र और सार्वजनिक समारोह में अंतर समझना चाहिए। मैं आग्रह करूंगा कि जिन राजनीतिक दलों ने बहिष्कार का निर्णय लिया है वे अपने फैसले पर राजनीतिक लाभ हानी से परे जाकर फिर विचार करें:
JDS नेता HD कुमारस्वामी ने बेंगलुरु में कहा कि इस तरह का उद्घाटन समारोह छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में भी किया गया। कर्नाटक में जब विकास सौधा का उद्घाटन हुआ था तब उन्होंने रमा देवी को उस समय आमंत्रित नहीं किया था जबकि वह उस समय कर्नाटक की राज्यपाल थी। तो अब ये राजनीति क्यों…मैं उनसे पूछना चाहता हूं। अब वे राष्ट्रपति के प्रति बहुत स्नेह और सम्मान दिखा रहे हैं।
कुमारस्वामी ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव के समय उन्होंने उनके खिलाफ उम्मीदवार क्यों खड़ा किया? अब वे कह रहे हैं कि भाजपा आदिवासियों का अपमान कर रही है। यह सब केवल लोगों का ध्यान हटाने और समाज के एक वर्ग से वोट हासिल करने के लिए है।
उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने मुंबई में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे लेकिन उनके आमंत्रण पत्र में राष्ट्रपति जी का नाम ही नहीं है। कम से कम उन्हें आमंत्रित तो कीजिए। उन्होंने उपराष्ट्रपति और पूर्व राष्ट्रपति को भी आमंत्रित नहीं किया है तो क्या ये एक पार्टी (बीजेपी) का कार्यक्रम है। इसके बारे में वो लोग कुछ नहीं बोल रहे। इस पर उन्हें जवाब देना चाहिए। विपक्ष का विरोध देश के सम्मान के लिए है।
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने अगरतला में कहा कि मैं नया संसद भवन देखने के लिए उत्साहित हूं। अभी तक नए संसद भवन को सिर्फ तस्वीरों में ही देखा है… सबको (विपक्षी दल) आना चाहिए उन्होंने बिना वजह का विवाद पैदा किया हुआ है। जनता उनकी इस बात को स्वीकार नहीं करेगी।