2011 की सबसे विवादित 72825 शिक्षक भर्ती जितने हिचकोले लेकर पूर्ण हुई उतनी 68000 और 69000 शिक्षक भर्ती दोनों भर्तियां मिलाकर पूर्ण हुई जो कि शिक्षामित्रों के समायोजन रद होने के बाद रिक्त हुई।
इससे पहले प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में 72825 शिक्षक भर्ती में जारी हुए नियुक्ति पत्र में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आया था जिसमें अभ्यर्थियों का आरोप था कि SCERT की चयन सूची में जारी मेरिट एवं यूपी बोर्ड की ओर से जारी टीईटी रिजल्ट की पहली सूची का मिलान करने पर अंकों का बड़ा अंतर सामने आया है यही अंतर फर्जीवाड़ा का सबसे बड़ा सबब बना।
फ़िलहाल जैसे तैसे कोर्ट के सहारे 72825 की भर्ती पूर्ण हुई पर उसमें भी 6170 पद रिक्त रह गए जिसमें अभ्यर्थियों को अनुमान था कि एक और कॉउंसलिंग होने पर निम्न मेरिट वाले अभ्यर्थियों का भी चयन हो जायेगा लेकिन कोर्ट ने 6170 पदों पर भर्ती के लिए सरकार को स्वतंत्रता दे दी कि बगैर विवाद के बचे पदों पर शिक्षकों कक चयन कर लिया जाए।
कोर्ट द्वारा विवाद शब्द का प्रयोग इस बात को ही दर्शाता था कि 72825 जो कि टेट मेरिट पर हुई है इससे बचा जाए क्योंकि कोर्ट ने तब टी ई टी को शिक्षकों की पात्रता परीक्षा माना था न कि योग्यता के आधार पर भर्ती पर चयन।मतलब साफ़ है कि रिक्त 6170 पदों पर चयन के लिए अब अलग नियमावली बनेगी या फ़िर टी ई टी के इतर कुछ और होगा।
हाल फ़िलहाल 2017 के सुप्रीमकोर्ट के निर्णय में रिक्त 6170 पदों पर शिक्षक चयन की बात गुमनामी के अंधेरों में खो गयी जबकि अचयनित अभ्यर्थियों ने रिक्त 6170 पदों पर चयन के लिए कोर्ट में जोरदार तरीक़े से लड़ाई लड़ी मगर अभी पिछले कुछ दिनों पहले अप्रत्याशित तरीके से कोर्ट ने रिक्त 6170 पदों पर समस्त याचिकाओं को एक साथ टैग करते हुए सुनवाई की और पुरानी याचिकाओं के साथ नई याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट में वर्षों से चली आ रही रिक्त 6170 पदों पर चयन की लड़ाई का अवसान कर दिया जबकि हक़ीक़त इससे कुछ इतर थी।
कोर्ट ने जिस तरह रिक्त पद 6170 का जानबूझकर खात्मा किया उसमें अभ्यर्थियों का मानना था कि हम सरकार से कोर्ट में तथ्यों के आधार पर ही लड़ सकते थे जिसमें हम लड़े।उनका मानना है कि रिक्त 6170 पदों की लड़ाई अगर तथ्यों के आधार पर नहीं लड़ी जा रही होती तो कोर्ट से सरकार को कोई नोटिस नहीं जाता। कोर्ट द्वारा सरकार को नोटिस जाना ही इस लड़ाई का प्रमुख बिंदु है। कोर्ट ने सरकार को भेजे गये नोटिस में यही पूँछा था कि कैसे सरकार द्वारा 6170 पदों को अन्य भर्ती में जोड़ने की बात का झूठा हलफनामा कोर्ट में दिया गया जबकि याचियों के पास SCERT द्वारा भेजी गई RTI का ज़बाब है कि 6170 पदों को किसी भी भर्ती में नहीं जोड़ा गया।
इसके बावजूद कोर्ट में हुई पिछली सुनवाई में सरकार को भेजे गए किसी भी नोटिस का न तो कोई जिक्र था और न ही पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता को कोई नोटिस था जिससे उन्हें याचियों का पक्ष रखने का मौका मिलता।कुलमिलाकर याचियों का कहना था कि कोर्ट की यह सुनवाई किसी बहस को सुनने के लिए नहीं थी केवल और केवल याचियों के रिट को ठिकाने लगाने के उद्देश्य से की गई।
आपको बता दें कि भले ही रिक्त 6170 पदों पर चयन की लड़ाई याची कोर्ट द्वारा उनके अधिवक्ता को बगैर सुने सिंगल बेंच से हार गए हों पर यह भी तय है कि अभी भी 6170 की कोर्ट की लड़ाई पूरी तरह से खत्म नहीं हुई।
कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा ? जब इस प्रश्न का ज़बाब फिल्म बाहुबली: द बिगनिंग के डॉयरेक्टर एसएस राजमौली, स्क्रिप्ट राइटर केवी विजयेंद्र प्रसाद ने बाहुबली 2: द कॉन्क्लूज़न) में दिया है तो फ़िर इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं कि रिक्त 6170 पर झूठे हलफ़नामे का ज़बाब आने वाले समय में अचयनित याचियों को न मिले।
महत्वपूर्ण:
आपके लिए यह जानना भी ज़रूरी है कि वर्ष 2011 की 72,825 पदों पर प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती में केवल 66,625 पदों पर ही भर्ती हुई है और इस भर्ती प्रक्रिया के लिए कोर्ट की प्रक्रियाधीन 6,170 पद अभी भी शेष हैं, जिसमें तकरीबन 3400 पदों पर अनुसूचित जाति-जनजाति के अभ्यर्थियो की सीटें रिक्त हैं।