उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अत्यावश्यक सेवाओं के अनुरक्षण, 1996 की धारा 3 की उपधारा (1) के द्वारा दी गई शक्ति का प्रयोग करते हुए उत्तर प्रदेश में एस्मा लागू कर दिया है। इसका मतलब हुआ कि एस्मा एक्ट (आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून) लागू होने के बाद अगले 6 महीने तक सरकार के नियंत्रण वाले निगम और प्राधिकरणों आदि में कार्यरत सरकारी कर्मचारी किसी भी तरह की हड़ताल पर नहीं जा सकेंगे अर्थात उसे हड़ताल करने की अनुमति नहीं होगी।
चूँकि सरकार ने सरकारी कर्मियों की हड़ताल पर छह महीने तक पूरी तरह से रोक लगा दी है इसलिए फिर भी अगर कोई कर्मी हड़ताल करता है तो इसके खिलाफ सरकार सख्त एक्शन ले सकती है। इस संबंध में अपर मुख्य सचिव कार्मिक मुकुल सिंघल ने अधिसूचना जारी कर आदेश में कहा कि कर्मचारी 25 मई 2020 तक हड़ताल पर नहीं जा सकेंगे।
क्या है एस्मा ( ESSENTIAL SERVICES MAINTENANCE ACT , 1968 या आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून )…
एस्मा सामान्य जीवन हेतु आवश्यक सेवाओं ( इस एक्ट की धारा 2 में उल्लेखित सेवाएं -परिवहन , स्वास्थ्य आदि ) को यथापूर्वक बनाए रखने के लिए एक कानून है । इसके अन्तर्गत सरकार सामाजिक क्षेत्र की कुछ महत्वपूर्ण सेवाओं को सुचारू रूप से बनाए रखने हेतु , एक सार्वजनिक घोषणा ( समाचार पत्र , रेडियों आदि ) के द्वारा इस एक्ट को लागू कर सकती है । इस एक्ट के लागू हो जाने के उपरान्त इससे प्रभावित होने वाले सभी कर्मचारी हड़ताल नहीं कर सकते , यदि वे ऐसा करते है तो वह अवैध और दण्डनीय है । एक बार में एस्मा को अधिकतम 6 माह के लिए लगाया जा सकता है।
एस्मा में क्या प्रावधान है…
एस्मा एक्ट को कुल 9 धाराओं में बांटा गया है …
धारा 1- इसमें एक्ट का नाम भारत में कहाँ कहाँ पर लागू किया जा सकता है तथा कितने समय अंतराल के लिए लगाया जा सकता है उल्लेखित किया गया है।
धारा 2- एक्ट की परिभाषा तथा “ आवश्यक सेवाओं ” की सूची।
धारा 3- कुछ नियोजनों में हड़ताल को प्रतिबंधित करने की शक्ति- यदि केन्द्र सरकार इस बात से संतुष्ट है कि सार्वजनिक हित में ऐसा करना आवश्यक है तो वह एक आदेश द्वारा इस एक्ट को लागू कर हड़तालों पर प्रतिबंध लगा सकती है ।
धारा 4- अवैध हड़तालों हेतु जुर्माना- यदि इस अधिनियम के अन्तर्गत आने वाला कोई व्यक्ति इस एक्ट के लागू होने के बाद हड़ताल शुरू करता है या उसमें भाग लेता है तो वह 6 माह के कारावास या 200 रू 0 जुर्माना या दोना से दण्डित होगा ।
धारा 5- हड़ताल हेतु उकसाने के लिए दण्ड कोई भी व्यक्ति जो अन्य व्यक्तियों को हड़ताल के लिए उकसाता है तो वह 1 साल के कारावास या 1000 रू 0 जुर्माना या दोनों से दण्डित होगा ।
धारा 6- अवैध हड़तालों को वित्तीय सहायता देने के लिए जुर्माना- यदि कोई व्यक्ति एस्मा एक्ट के अन्तर्गत अवैध हड़तालों को वित्तपोषित करता है तो वह 1 साल के कारावास या 1000 रू 0 जुर्माना या दोनों से दण्डित होगा ।
धारा 7- बिना वारंट के गिरफ्तारी की शक्ति कोई भी पुलिस अधिकारी बिना वारंट के किसी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है , जिस पर इस अधिनियम के तहत कोई भी अपराध करने का संदेह है ।
धारा 8- अन्य कानूनों को रद्द करने की शक्ति अधिनियम की इस धारा के अनुसार यदि को अन्य अधिनियम ( औद्योगिक विवाद अधिनियम , 1947 आदि ) का टकराव इस अधिनियम की किसी धारा से होता है तो एस्मा एक्ट को प्राथमिकता दी जायेगी ।
धारा 9- अधिनियम को निरस्त / निरसन करने की शक्ति – सरकार कभी भी इस एक्ट को निरस्त कर सकती है । इस तरह के निरसन के बावजूद भी , उक्त एक्ट के तहत की गई किसी भी कार्यवाही को वैध माना जाएगा ।