महिलाओं के लिए शादी की न्यूनतम उम्र को 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 साल करने के प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2020 को इस प्रस्ताव की घोषणा करते हुए इसकी जानकारी दी थी। वर्तमान में देश में पुरुषों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष है, जबकि महिलाओं के लिए 18 वर्ष है। PM मोदी ने महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र बढ़ाने के फैसले को लड़कियों को कुपोषण से बचाने के लिए जरूरी बताया था।
केंद्र सरकार ने देश में समाज सुधार से जुड़ा एक बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय कैबिनेट ने लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है यानी अब लड़कों की तरह ही लड़कियों की शादी की आधिकारिक उम्र 21 साल होने जा रही है।मौजूदा सत्र में ही सरकार इस विधेयक को पेश करेगी। देश में विवाह की उम्र में बदलाव 43 वर्ष बाद किया जा रहा है इससे पहले 1978 में ये बदलाव किया गया था। तब 1929 के शारदा एक्ट में संशोधन किया गया और शादी की उम्र 15 से बढ़ाकर 18 वर्ष की गई थी।
लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु 18 साल से बढ़ाकर 21 किए जाने के प्रस्ताव पर समाजवादी पार्टी (सपा) के कई नेता आपत्ति जाहिर कर चुके हैं। अबु आजमी, के बाद शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा कि लड़कियों की ज्यादा उम्र बढ़ा देने से हालात बिगड़ेंगे और जो 18 साल कि उम्र काफी थी इनके लिए और वो हमेशा चली आ रही थी। इससे ज्यादा आवारगी का मौका मिलेगा। सपा सांसद एसटी हसन ने बर्क से दो हाथ निकलते हुए शुक्रवार को केंद्र के प्रस्ताव का विरोध करने के साथ अजीबोगरीब दलीलें दीं। हसन ने कहा कि जब लड़कियां बच्चे पैदा करने लायक हो जाएं तो उनकी शादी कर देनी चाहिए। अपने तर्कों में उन्होंने यह भी कह डाला कि उम्र बढ़ने पर बच्चे पोर्न फिल्में देखने लगते हैं और उनमें अनुशासनहीनता बढ़ जाती है।
ANI से बात करते हुए हसन ने कहा, ”महिलाओं की प्रजनन आयु 16-17 वर्ष से 30 वर्ष तक होती है। 16 साल की उम्र से ही शादी के प्रस्ताव आने लगते हैं।यदि वह 18 की उम्र में वोट कर सकती है तो वह शादी क्यों नहीं कर सकती है? बच्चे जब बड़े होते हैं तो अनुशानहीनता बढ़ जाती है, जब वे पोर्न वीडियो और फोटो देखने लगते हैं।” वहीं यदि शादी में देर की जाती है तो इसके दो नुकसान हैं, एक है बांझपन की संभावना। दूसरी यह कि दूसरा यह है कि जब कोई बूढ़ा हो जाता है तो बच्चे व्यवस्थित नहीं होते हैं। जब आप जिंदगी के आखिरी दशक में तब भी आपके बच्चे स्टूडेंट ही होते हैं। हम प्राकृतिक प्रक्रिया को तोड़ रहे हैं।”
सांसद ने आगे कहा, ”हमने लिव इन रिलेशन को मंजूरी दे दी है, जो दिखाता है कि अनुशासनहीनता बढ़ गई है। इस उम्र में हार्मोनल बदलवा अपराध की ओर ले जा सकते हैं। इससे पहले गुरुवार को सपा नेता अबु आजमी ने भी कहा था कि शादी की उम्र बढ़ाए जाने से लड़कियां गलत रास्ते पर जा सकती हैं।
दूसरी ओर लोकसभा सांसद ओवैसी ने ट्वीट करके कहा है कि ’18 साल की आयु के महिला-पुरुष व्यापार शुरू कर सकते हैं, समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते हैं, प्रधानमंत्री चुन सकते हैं लेकिन शादी नहीं कर सकते हैं।’
दूसरी तरफ़ इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने शुक्रवार को संसद में लड़कियों की शादी की उम्र 18 से 21 साल करने के सरकार के प्रस्ताव का विरोध करते हुए स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था. IUML ने कहा है कि यह मुस्लिम पर्सनल लॉ में अतिक्रमण है।
IUML के नेता और राज्यसभा सांसद अब्दुल वहाब ने लिखा है, ”लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रस्ताव, जिसे कैबिनेट ने मंज़ूरी दे दी है, उसका मक़सद मुस्लिम पर्सनल लॉ में अतिक्रमण करना भी है।”
इन ऐक्ट में होंगे बदलाव?
महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाने के लिए सरकार हिंदू मैरिज ऐक्ट, 1955 के सेक्शन 5 (iii), स्पेशल मैरिज ऐक्ट, 1954 और बाल विवाह निषेध ऐक्ट, 2006 में बदलाव करेगी, इन तीनों में ही सहमति से महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष और पुरुषों के लिए 21 वर्ष होने का जिक्र है।
जया जेटली के नेतृत्व में हुआ था टास्क फोर्स का गठन
● पीएम मोदी ने जून 2020 में ही जया जेटली के नेतृत्व में एक टास्क फोर्स का गठन कर दिया था जिसने शादी की उम्र बढ़ाने के हर पहलू पर विचार कर रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी।
● अपनी रिपोर्ट में टास्क फोर्स ने बताया कि पहले बच्चे को जन्म देते समय महिलाओं की उम्र कम से कम 21 वर्ष होनी चाहिए। इससे ना सिर्फ महिलाओं का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा बल्कि स्वस्थ शिशु का भी जन्म होगा।
● 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत में लड़कियों की शादी करने की औसत उम्र 21 वर्ष 2 महीने है।
● अगर लड़कों की बात करें तो कानूनन लड़के 21 वर्ष की उम्र में शादी कर सकते हैं लेकिन देश में लड़कों के शादी करने की औसत उम्र साढ़े 23 साल है। ये लड़कियों से दो साल ज्यादा है।
● ये आंकड़े भी लड़कियों की वास्तविक स्थिति नहीं बताते हैं। देश में अक्सर ही 18 साल से पहले ही लड़कियों की शादी करने की खबरें आती रहती हैं जबकि कानून कहता है कि आप 18 साल की उम्र से पहले लड़की की शादी नहीं कर सकते, ये कानूनन जुर्म है।
● इस बिल के जरिए सरकार की कोशिश महिलाओं के विकास की है खासतौर से उन महिलाओं के विकास की जिनके सपने सामाजिक बंधनों की जंजीर में जकड़ कर रह जाते हैं।