अमावस्या 31 जनवरी दिन सोमवार को है। अमावस्या तिथि हर महीने में आती है लेकिन इनमें कुछ अमावस्या तिथि का खास महत्व है। इनमें सोमवार, मंगलवार और शनिवार की अमावस्या विशेष है। इस साल 2022 में केवल दो बार सोमवती अमावस्या लगने जा रही है।अमावस्या दो दिनों की होती है तो पहले दिन श्राद्ध आदि की अमावस्या मनायी जाती है और अगले दिन स्नान-दान की अमावस्या मनायी जाती है।
शास्त्रों के अनुसार, सोमवार को सूर्यास्त से पहले कुछ समय के लिए भी अमावस्या तिथि लगे तो उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं। इस अमावस्या को सुहाग और सौभाग्य दायक कहते हैं। इसलिए इस अमावस्या के दिन भगवान शिव पार्वती के साथ बट यानी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। इसके अलावा इस अमावस्या के दिन कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है, जिससे शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
शुभ मुहूर्त
माघ कृष्ण पक्ष की उदया तिथि चतुर्दशी 31 जनवरी दोपहर 2 बजकर 19 मिनट तक रहेगी | उसके बाद अमावस्या तिथि लग जाएगी। अमावस्या तिथि 31 जनवरी दोपहर 2 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर 1 फरवरी सुबह 11 बजकर 16 मिनट तक रहेगी।
दो दिनों की अमावस्या
मान्यता के अनुसार जब अमावस्या दो दिनों की होती है, तो पहले दिन श्राद्ध आदि की अमावस्या मनायी जाती है और अगले दिन स्नान-दान की अमावस्या मनायी जाती है इसलिए 31 जनवरी को माघ महीने की श्राद्ध, तर्पण की अमावस्या है। इस मौके पर पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए।
कैसे करें
● पितृ दोष से मुक्ति के लिये और अपने पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए सोमवार के दिन दूध, चावल की खीर बनाकर, गोबर के उपले या कंडे की कोर जलाकर, उस पर पितरों के निमित्त खीर का भोग लगाना चाहिए।
● भोग लगाने के बाद थोड़ा-सा पानी लेकर अपने दाएं हाथ की तरफ, यानि भोग की बाईं ओर में छोड़ दें ।
● अगर आप दूध-चावल की खीर नहीं बना सकते, तो आज घर में जो भी शुद्ध ताजा खाना बना है, उसका ही पितरों को भोग लगा दें, साथ ही एक लोटे में जल भरकर उसमें गंगाजल, थोड़ा-सा दूध, चावल के दाने और तिल डालकर दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके पितरों का तर्पण करना चाहिए। इससे भी आपको लाभ मिलेगा।
नोट- यह सूचना जन सामान्य सूचनाओं पर आधारित है। NPR मीडिया इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता इसलिए पहले ज्योतिष एक्सपर्ट से जरूर सलाह लें।
न करें यह काम
• तकिया का प्रयोग न करें।
• सूई धागे का प्रयोग न करें।
• पलंग पर न सोएं।
• नमक का सेवन न करें।