एनडीटीवी के प्राइम टाइम पेश करने वाले प्रख्यात पत्रकार रवीश कुमार ने अपने फेसबुक अकाउंट पर एक आर्टिकल के द्वारा भारत की गोदी मीडिया पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए भड़के उन्होंने कहा कि बीबीसी के पीएम मोदी वाली डॉक्यूमेंट्री पर अगर भारत सरकार बैन लगा सकती है तो यह सोचने वाली बात होगी कि गोदी मीडिया द्वारा दिखाई जा रही खबरें कैसे नाली में बहा दी जाती होंगी।
एनपीआर मीडिया को यह आर्टिकल रवीश कुमार के फेसबुक अकाउंट से मिला है पूरा आर्टिकल हूबहू ऐसे ही दिया गया है, पढ़िए विस्तार से क्या कहा रवीश कुमार ने
भारत सरकार ने BBC की डॉक्यूमेंट्री को बैन कर दिया है। यू-ट्यूब पर यह ब्लॉक हो गया है। ब्लॉक करने की जगह सरकार चाहती तो BBC की डॉक्यूमेंट्री के भीतर और बाहर अपना पक्ष रख सकती थी।
डॉक्यूमेंट्री के शुरु में ही लिखा है कि आधिकारिक प्रतिक्रिया के लिए संपर्क किया गया था मगर जवाब नहीं आया। सरकार ने तब क्यों नहीं अपना पक्ष रखा? अब जब यह डॉक्यूमेंट्री ब्रिटेन में दिखाई जा चुकी है तो भारत के दर्शकों के लिए ब्लॉक करने का क्या तुक है? भारत सरकार चाहती तो लंदन में मीडिया नियामक संस्था के पास भी शिकायत कर सकती थी लेकिन सीधा ब्लॉक कर दिया।
BBC की डॉक्यूमेंट्री ब्लॉक हुई है। भारत में मीडिया स्वायत्तता की मिसाल के रूप में BBC को ही सामने रखा जाता है।मुझे नहीं पता कि भारत में BBC पर इसे लेकर कितना कवरेज है और दुनिया भर में BBC के तमाम चैनलों पर कितना कवरेज है? क्या अपनी डॉक्यूमेंट्री ब्लॉक किए जाने पर BBC बोल रहा है? BBC की साइट पर ख़बर तो है लेकिन बोलने की तरह बोलना है क्या?
ऐसा नहीं है कि इस डॉक्यूमेंट्री में किसी का पक्ष नहीं है। बीजेपी के नेता और सांसद रहे स्वपन दासगुप्ता का लंबा इंटरव्यू है। उनका जवाब कई बार आता है। बीजेपी के एक और नेता स्वदेश दीपक का भी बयान है। तब फिर इससे क्या डर है?
डॉक्यूमेंट्री की शुरूआत में लिखा है कि तीस लोगों से संपर्क किया था, सबने डर के कारण मना कर दिया। भारत की जनता समझ ले। जब BBC की डॉक्यूमेंट्री बंद की जा सकती है तो भारत के गोदी मीडिया में कितनी ही ख़बरें नाले में बहा दी जाती होंगी। आप तक तो कुछ पहुँचता ही नहीं होगा।
आर्टिकल में दिया गया विचार लेखक रवीश कुमार के अपने निजी हैं।