हाईकोर्ट द्वारा शिक्षकों के अंतर जिला तबादलों के संबंध में दिव्या गोस्वामी केस में पारित आदेश से सत्र मध्य तबादलों पर रोक लगा दी थी हालाँकि बेसिक शिक्षा परिषद ने आदेश को संशोधित करके तबादले की जिसको माननीय उच्च न्यायालय ने गतिमान प्रक्रिया को सम्पन्न करने हेतु सरकार की मोडिफिकेशन अपील स्वीकार कर लिया।
एक ही शिक्षक भर्ती के लिए पाँचवी बार जारी होगा विज्ञापन
कोर्ट की सुनवाई में उपस्थित महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनन्द ने सरकार द्वारा उठाये गए सवालों पर जवाब दिया। इसके अतिरिक्त सरकारी अधिवक्ता ने भी इस सत्र के स्थानांतरण हेतु dgse सर की बातों को पुनः रखते हुए अनुमति देने की प्रेयर की।
साथ ही शिक्षकों की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता सीमान्त सिंह ने तर्क देते हुए सरकार को बताया कि नई भर्ती से पर्याप्त पद सरकार भर चुकी है और इस स्थानांतरण की प्रक्रिया से शैक्षणिक कार्यो पर प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह स्थानांतरण रिक्त पदों पर किये जा रहे है।
बीच सत्र में स्थानांतरण करने के तर्क में बेसिक शिक्षा परिषद का कहना है कि इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण विद्यालयों में छात्र नहीं आ रहे हैं। इससे पढ़ाई भी नहीं हो रही है, इसलिए बीच सत्र में स्थानांतरण करने से छात्रों की पढ़ाई में बाधा नहीं आएगी। ऐसी स्थिति में सत्र के बीच में स्थानांतरण करने की अनुमति देने से कोई विधिक नुकसान नहीं होगा।
दिव्या गोस्वामी के अधिवक्ता नवीन शर्मा ने भी स्थानांतरण तुरन्त करने हेतु सरकार द्वारा माँगी गयी अनुमति का समर्थन किया।
बेसिक शिक्षकों के अंतर जिला स्थानांतरण को लेकर प्रदेश सरकार ने दिसंबर 2019 को शासनादेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि जो शिक्षक एक बार अंतर जिला स्थानांतरण ले चुके हैं वह दोबारा तबादला की मांग नहीं कर सकते हैं इसी के चलते दिव्या गोस्वामी सहित अन्य दर्जनों याचिकाओं में इस शासनादेश को चुनौती दी गई थी वही हाईकोर्ट ने शासनादेश में सिर्फ अध्यापिकाओं को रियायत देते हुए कहा कि यदि शिक्षिका ने विवाह पूर्व अंतर जिला स्थानांतरण लिया है। इसके बाद उनका विवाह हुआ है तो वह दोबारा स्थानांतरण की मांग कर सकती हैं। इसके अलावा चिकित्सकीय आधार पर भी दोबारा स्थानांतरण की मांग की जा सकती है। इस आदेश में कोर्ट ने कहा था कि बीच सत्र में अध्यापकों के स्थानांतरण न किए जाएं जिससे स्थानांतरण प्रक्रिया लंबित हों गयी।