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हिंदू पंचांग के अनुसार हरतालिका तीज भाद्रपद की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह तिथि 9 सितंबर को है ।9 सितम्बर को मनाई जाने वाली हरतालिका तीज पर 14 वर्ष बाद रवियोग बन रहा है। इस दिन माता पार्वती और भगवान शंकर की पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन निर्जला रहकर भोलेशंकर की आराधना करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य का भी लाभ मिलता है। हरतालिका तीज, कजरी और हरियाली तीज के बाद आती है।
क्यों बन रहा रवियोग
हरतालिका तीज पर रवियोग 14 वर्ष बाद चित्रा नक्षत्र के कारण बन रहा है जो 9 सितंबर दोपहर 2 बजकर 30 मिनट से अगले दिन 10 सितंबर 12 बजकर 57 मिनट तक रहेगा।
हरतालिका तीज व्रत शुभ मुहूर्त
सुबह का मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 03 मिनट से सुबह 08 बजकर 33 मिनट तक हरतालिका तीज की पूजा का शुभ मुहूर्त है। पूजा के लिए आपको कुल समय 02 घंटे30 मिनट का समय मिलेगा।
प्रदोष काल पूजा मुहूर्त- शाम को 06 बजकर 33 मिनट से रात 08 बजकर 51 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है।
हरतालिका तीज के व्रत की पूजन सामग्री
हरतालिका तीज के व्रत की पूजन सामग्री में गीली काली मिट्टी या बालू, बेलपत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल एवं फूल, आंक का फूल, मंजरी, जनेऊ, वस्त्र, फल एवं फूल पत्ते, श्रीफल, कलश, अबीर,चंदन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम, दीपक, फुलहरा, विशेष प्रकार की 16 पत्तियां और 2 सुहाग पिटारा की आवश्यकता पड़ती है।
हरतालिका तीज की पूजन विधि
हरतालिका तीज की पूजा प्रात:काल करना शुभ माना जाता है लेकिन अगर ये संभव न हो सके तो सूर्यास्त के बाद प्रदोषकाल में भी पूजा कर सकते हैं। इस दिन भगवान शिव माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू रेत या काली मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजा जाता है।इस पूजा में माता पार्वती को सुहाग की सारी वस्तुएं चढ़ाएं और भगवान शिव को धोती और अंगोछा चढ़ाएं जिसके बाद में ये सभी चीजें किसी ब्राह्मण को दान दें। पूजा के बाद तीज की कथा सुनें और रात्रि जागरण करें।अगले दिन सुबह आरती के बाद माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं और हलवे का भोग लगाकर व्रत खोलें।
चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि
तीज पर संध्या को पूजा करने के बाद चंद्रमा को अर्ध्य दिया जाता है। फिर उन्हें भी रोली, अक्षत और मौली अर्पित करें। चांदी की अंगूठी और गेंहू के दानों को हाथ में लेकर चंद्रमा के अर्ध्य देते हुए अपने स्थान पर खड़े होकर परिक्रमा करें।
हरतालिका का अर्थ
हरतालिका का शाब्दिक अर्थ की बात करें तो यह दो शब्दों से मिलकर बना है। हर और तालिका। हर का अर्थ होता है हरण अर्थात अपहरण और तालिका का अर्थ सखी है। यह व्रत तृतीया तिथि को रखते हैं, इसलिए इसका पूरा नाम हरतालिका तीज है।
हरतालिका तीज व्रत कथा
इस संबंध में एक पौराणिक कथा मिलती है जिसके अनुसार पिता के यज्ञ में अपने पति शिव का अपमान देवी सती सह न सकीं उन्होंने खुद को यज्ञ की अग्नि में भस्म कर दिया। अगले जन्म में उन्होंने राजा हिमाचल के यहाँ जन्म लिया और पूर्व जन्म की स्मृति शेष रहने के कारण इस जन्म में भी उन्होंने भगवान शंकर को ही पति के रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या की। देवी पार्वती ने तो मन ही मन भगवान शिव को अपना पति मान लिया था और वह सदैव भगवान शिव की तपस्या में लीन रहतीं।
पुत्री की यह हालत देखकर राजा हिमाचल को चिंता होने लगी। इस संबंध में उन्होंने नारदजी से चर्चा की तो उनके कहने पर उन्होंने अपनी पुत्री उमा का विवाह भगवान विष्णु से कराने का निश्चय किया। पार्वतीजी विष्णुजी से विवाह नहीं करना चाहती थीं। पार्वतीजी के मन की बात जानकर उनकी सखियां उन्हें लेकर घने जंगल में चली गईं। ताकि पार्वती जी के पिता उनका विवाह इच्छा के विरुद्ध भगवान विष्णु से न कर दें। अपनी सखियों की सलाह से पार्वती जी ने घने वन में एक गुफा में भगवान शिव को पाने के लिए भाद्रपद तृतीया शुक्ल के दिन हस्त नक्षत्र में मिट्टी से शिवलिंग बनाकर विधिवत पूजा की और रातभर जागरण किया।
पार्वतीजी तब तक शिवजी की तपस्या करती रहीं जब तक उन्हें भगवान शिव पति के रूप में प्राप्त नहीं हुए। पार्वती जी के तप से खुश होकर भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया था।सखियों द्वारा उनका हरण कर लेने की वजह से इस व्रत का नाम हरतालिका व्रत पड़ा। इस तरह तभी से पार्वतीजी के प्रति सच्ची श्रृद्धा के साथ यह व्रत किया जाता है।
हरतालिका तीज के व्रत का महत्व
हरतालिका तीज के दिन माता पार्वती और भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाती है माना जाता है कि इस व्रत को रखने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है। माना जाता है कि हरतालिका तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। इस तप को देखकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और माता पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से मनचाहे पति की इच्छा और लंबी आयु के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। इस व्रत पर सुहागिन स्त्रियां नए वस्त्र पहनकर, मेंहदी लगाकर, सोलह श्रृंगार कर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करती हैं।
हरतालिका तीज व्रत नियम
1. हरितालिका तीज पर तृतीया तिथि में ही पूजन करना चाहिए। तृतीया तिथि में पूजा गोधली और प्रदोष काल में की जाती है। चतुर्थी तिथि में पूजा मान्य नहीं, चतुर्थी में पारण किया जाता है।
2. नवविवाहिताएं पहले इस तरह को जिस तरह रख लेंगी हमेशा उन्हें उसी प्रकार इस व्रत को करना होगा। इसलिए इस बात का ध्यान रखना है कि पहले व्रत से जो नियम आप उठाएं उनका पालन करें। अगर निर्जला ही व्रत रखा था तो फिर हमेशा निर्जला ही व्रत रखें। आप इस व्रत में बीच में पानी नहीं पी सकते।
3. तीज व्रत में अन्न, जल, फल 24 घंटे कुछ नहीं खाना होता। इसलिए इस व्रत का श्रद्धा पूर्वक पालन करना चाहिए।
4. तीज का व्रत एक बार आपने शुरू कर दिया है तो आपको इसे हर साल ही रखना होगा। अगर किसी साल बीमार हैं तो व्रत छोड़ नहीं सकते। ऐसे में आपको उदयापन करना होगा या अपनी सास, देवरानी को देना होगा।
5. इस व्रत में भूलकर भी सोना नहीं चाहिए। इस व्रत में सोने की मनाही है। व्रती महिलाओं को रातभर जागकर भगवान शिव का स्मरण करना चाहिए। इस दिन व्रती महिलाओं को सोलह श्रृंगार करना चाहिए और साथ ही सुहाग का सामान सुहागिन महिलाओं को दान करना चाहिए।
6. चतुर्थी तिथि यानी अगले दिन व्रत को खोला जाता है। व्रत की पारण विधि के अनुसार ही व्रत का पारण करना चाहिए।
एक बार शुरू करने के बाद जीवनपर्यंत रखना होता है व्रत
मान्यताओं की मानें तो हरतालिका व्रत को रखने के बाद इस व्रत को जीवनपर्यंत रखना अनिवार्य होता है।
गंभीर रूप से बीमार पड़ जाने की स्थिति में इस व्रत को छोड़ा जा सकता है फिर भी ऐसी स्थिति में व्रत रखने वाली महिला के पति या किसी दूसरी महिला को ये व्रत रखना होता है। आपको बता दें कि हरतालिका तीज का व्रत पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। माना जाता है कि ये व्रत अविवाहित कन्याएं भी रख सकती हैं। व्रत को पूर्ण रूप से विधि विधान और कठोर नियमों का पालन करते हुए पूर्ण करना चाहिए।
इस रंग के कपड़े नहीं पहनें
हरतालिका तीज पर पूजन के दौरान महिलाओं को काले, नीले और बैंगनी रंग के वस्त्र नहीं पहनना चाहिए। इस दौरान महिलाओं को लाल, महरूम, गुलाबी, पीले और हरे रंग के वस्त्रों को धारण करना चाहिये।
हरतालिका तीज के व्रत के दौरान किन चीजों का करें सेवन
हरतालिका तीज के व्रत के दौरान अनार का जूस और ताजे फलों का करें इसके अलावा यदि आप व्रत शुरू करने से पहले नारियल पानी पी लें तो दिनभर आपका शरीर हाइड्रेटेड रहेगा और निर्जल व्रत के बावजूद शरीर में पानी की कमी नहीं होगी। एक्सपर्ट्स की मानें तो नारियल पानी शरीर की इम्यूनिटी भी बढ़ाता है। आप व्रत शुरू करने से पहले आप अनार खा सकती हैं या फिर अनार का जूस पी सकती हैं। इससे आपको एनर्जी मिलेगी। अनार के जूस से विटमिन सी की डेली जरूरत का 40 फीसदी हिस्सा पूरा हो जाता है और इसके सेवन से प्यास बहुत कम लगती है। ताजे फलों में पानी की मात्रा काफी अधिक होती है। ताजे फल खाने से आपको दिन भर शरीर में हाइड्रेशन की कमी महसूस नहीं होगी साथ ही नारियल पानी, काजू, बादाम, किशमिश और पिस्ता जैसे ड्राई फ्रूट्स आपको व्रत वाले दिन एनर्जी से भरपूर रखेंगे। लिहाजा आप पोषक तत्वों से भरपूर ड्राई फ्रूट्स का सेवन करें।
हरितालिका तीज के व्रत में इन चीजों के सेवन से बचना चाहिए
हरतालिका तीज व्रत रखने के एक दिन पहले महिलाएं ज्यादा तला-भुना खा लेती हैं लेकिन इसके बाद निर्जला व्रत के दौरान उन्हें बहुत परेशानियां होती है। पूरे दिन गला सूखता है भूख लगती है। तो आपको बता दें कि व्रत से एक दिन पहले तला-भुना खाने से बचें। व्रत से एक दिन पूर्व आप दिन में रोज की तरह हल्का भोजन लें।जैसे खिचड़ी, हरी सब्जियों को अपने खाने में शामिल करें। बहुत से लोग शाम को रबड़ी या मिठाई खा लेते हैं, इसके सेवन से व्रत के दौरान प्यास बहुत लगेगी।