शारदीय नवरात्रि के नौ दिन समाप्त होने के बाद दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है। दशहरा का पर्व इस बार 15 अक्टूबर को अर्थात आज मनाया जा रहा है। इस पर्व को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है।
इस दिन कई जगह रावण का दहन किया जाता है। ये परंपरा बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में निभायी जाती है। इस दिन शस्त्र पूजन भी किया जाता है। दशहरा आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था।वहीं इसी दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का अंत करके बुराई पर अच्छाई के जीत का परचम लहराया था। भक्त इस दिन मां दुर्गा तथा भगवान श्री राम की पूजा-अर्चना करते हैं। माना गया है इस दिन मां दुर्गा और भगवान श्री राम की पूजा-आराधना करने से जीवन में सकारात्मकता आती है।
शुभ मुहूर्त
विजय दशमी 14 अक्टूबर शाम 6 बजे 54 मिनट से शुरू होगी जो 15 अक्टूबर शाम 6 बजे 2 मिनट तक रहेगी। आज 15 अक्टूबर को दोपहर 2 बजकर एक मिनट से लेकर 2 बजकर 47 मिनट तक विजय मुहूर्त रहेगा।वहीं, 1 बजकर 15 मिनट से 3 बजकर 33 मिनट कर अपराह्न पूजा का समय रहेगा।
शुभ योग का समय
इस साल दशहरे पर तीन शुभ योग बनते हुए दिख रहे हैं। सबसे पहले रवि योग जो 14 अक्टूबर शाम 9 बजकर 34 मिनट पर शुरू हुआ है जो 16 अक्टूबर की सुबह 9 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। वहीं, सर्वार्थ सिद्ध योग 15 अक्टूबर प्रात: 6 बजकर 2 मिनट से 9 बजकर 15 तक रहेगा। वहीं कुमार योग सुबह 9 बजकर 16 मिनट तक रहेगा।
दशहरा पूजा विधि
दशहरा की पूजा अभिजीत, विजयी या अपराह्न काल में की जाती है।इस पूजा को करने के लिए घर की पूर्व दिशा और ईशान कोण सबसे शुभ माना गया है।जिस स्थान पर पूजा करनी है उसे साफ करके चंदन के लेप के साथ 8 कमल की पंखुडियों से अष्टदल चक्र बनाएं इसके बाद आप एक चौकी पर लाल रंग के कपड़े को बिछाकर भगवान श्री राम संग मां दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित करें।अब संकल्प करते हुए देवी अपराजिता से परिवार की सुख और समृद्धि की कामना करें। लाल पुष्पों से पूजा करें और गुड़ के बने पकवानों का भोग लगाएं।
अब अष्टदल चक्र के मध्य में ‘अपराजिताय नमः’ मंत्र के साथ मां देवी की प्रतिमा विराजमान कर उनका आह्वान करें इसके बाद अब मां जया को दाईं तरफ और मां विजया को बाईं तरफ विराजमान करके उनके मंत्र क्रियाशक्त्यै नमः और उमायै नमः से उनका आह्वान करें। अब तीनों माताओं की विधि विधान पूजा-अर्चना करें। पूजा के बाद दान-दक्षिणा दें जरूरतमंदों को खाना खिलाएं।
इसमें 1. पाद्य 2. अर्घ्य 3. आचमन 4. स्नान 5. वस्त्र 6. आभूषण 7. गन्ध 8. पुष्प 9. धूप 10. दीप 11. नैवेद्य 12. आचमन 13. ताम्बूल 14. स्तवन पाठ 15. तर्पण 16. नमस्कार शामिल है।
–
-अंत में माता की आरती उतारकर सभी को प्रसाद बांटें।