इसका ताजा उदाहरण यूपी में अखिलेश सरकार के समय नियुक्ति के लिए धरना कर रहे बीएड टेट 2011 के साथ वर्तमान डिप्टी CM का धरने पर बैठकर नियुक्ति देने के समर्थन करना था।उस वक्त बीएड टेट 2011 के समस्त उम्मीदवारों की परम हितैषी भाजपा ही बनी थी,जिसने सरकार बनने के बाद सभी को नियुक्ति देने का वायदा किया।
वायदा को सच्चा मानकर बीएड टेट 2011 के अभ्यर्थियों ने भाजपा का खुलकर समर्थन किया ,सोशल मीडिया से अपने सभी साथियों से भाजपा के पक्ष में वोट देने की अपील की और अखिलेश सरकार को शिक्षामित्र हितैषी बताकर खुलकर विरोध किया।नतीजतन भारी बहुमत से 2017 में भाजपा की सरकार बनी और योगी आदित्यनाथ CM चुने गये।
वहीं उसी वक़्त विपक्ष की भूमिका में लखीमपुर खीरी के वर्तमान भाजपा सांसद अजय मिश्र टेनी ने भी बीएड टेट 2011 का मुद्दा संसद में बड़े जोर शोर से उठाया था और बेरोजगारों के आँसू पोंछने का काम किया पर आज 4 साल बीतने के बाद भी योगी सरकार ने अपने खुद के वोटरों को नहीं सुना जिससे नाराज होकर बीएड टेट 2011 के सभी अभ्यर्थियों ने लोकसभा 2019 के चुनाव में नोटा का समर्थन कर चुनाव का बहिष्कार भी किया।
और तो और वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी 2019 की अपनी चुनावी रैलियों में बीएड टेट 2011 का दुःख अपना दुख बताया और जिसका समाधान करने का आश्वासन भी दिया पर अभ्यर्थियों का निराशा ही हाथ लगी।
हाँलाकि जहाँ एकतरफ बीएड टेट 2011 के अभ्यर्थी हार मानते नहीं दिखते और बतौर संगठन लगातार कोर्ट में सुनवाई के लिए अपनी तैयारी के साथ मुस्तैद है वही अभ्यर्थियों का दूसरा धड़ा ट्विटर ट्रेंडिंग करके सरकार का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करने में लगा है।
अब देखना ये है कि वक़्त के अनुसार बीएड टेट 2011 की उम्मीदों का ऊंट किस करवट बैठता है जिससे पता चल सके कि बर्षों से नौकरी की बाट जोह रहे अभ्यर्थियों की जीवन में नौकरी की खुशियाँ आयेंगी या फिर से सरकार के द्वारा लगेगा आश्वासन का पुलिंदा।