जातिगत जनगणना को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है कि ये एक बेहद ही मुश्किल काम है।
देश में जातिगत जनगणना को लेकर लंबे वक्त से बहस छिड़ी है, इस मसले पर अब केंद्र सरकार ने अपना रुख साफ किया है सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर करते हुए केंद्र सरकार ने कहा है कि जनगणना में OBC जातियों की गिनती एक लंबा और कठिन काम है।
ऐसे में 2021 की जनगणना में इसे शामिल नहीं किया जाएगा। सरकार के इस रुख से उन तमाम राजनीतिक दलों, संगठनों को झटका लगा है जो जातिगत जनगणना की मांग कर रहे थे।
दरअसल, महाराष्ट्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें केंद्र सरकार से 2011 की जनगणना के अनुसार, OBC समुदाय का डाटा मांगा गया था।महाराष्ट्र में OBC समुदाय के लिए जिला परिषद, जिला पंचायत चुनाव के लिए 27 फीसदी आरक्षण को लेकर ये डाटा मांगा गया था।
इसी याचिका को लेकर केंद्र सरकार ने अपना जवाब दाखिल किया, जिसमें कहा गया है कि साल 2011 की जनगणना के मद्देनज़र सरकार के पास हर जाति की गिनती का कोई ठोस डाटा नहीं है। सरकार ने माना है कि साल 2011 में किया गया सोशल इकॉनोमिक और कास्ट सेंसस गलतियों से भरा हुआ है।
अपने जवाब में केंद्र ने 2021 की जनगणना में जाति का सेक्शन जोड़ने का विरोध किया है। सरकार ने कहा है कि ऐसा करना बेहद ही कठिन होगा, इससे डाटा में गड़बड़ी हो सकती है।
राजद के वरिष्ठ नेता व बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने जातिगत जनगणना नहीं कराने को लेकर फिर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। तेजस्वी ने कहा कि बिहार विधानसभा ने भी जातीय जनगणना को लेकर दो प्रस्ताव पारित किए थे। इस मसले पर सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में हम सभी ने पीएम मोदी से भी मिले थे। अब हम महागठबंधन की बैठक में इस पर चर्चा कर आगे की रणनीति बनाएंगे। उधर, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने ट्वीट केंद्र पर तंज किया है। उन्होंने कहा जनगणना में साँप-बिच्छू, तोता-मैना, हाथी-घोड़ा, कुत्ता-बिल्ली, सुअर-सियार सहित सभी पशु-पक्षी पेड़-पौधे गिने जाएँगे लेकिन पिछड़े-अतिपिछड़े वर्गों के इंसानों की गिनती नहीं होगी। वाह!
BJP/RSS को पिछड़ों से इतनी नफ़रत क्यों? जातीय जनगणना से सभी वर्गों का भला होगा।सबकी असलियत सामने आएगी।
जनगणना में साँप-बिच्छू,तोता-मैना,हाथी-घोड़ा,कुत्ता-बिल्ली,सुअर-सियार सहित सभी पशु-पक्षी पेड़-पौधे गिने जाएँगे लेकिन पिछड़े-अतिपिछड़े वर्गों के इंसानों की गिनती नहीं होगी। वाह!
BJP/RSS को पिछड़ों से इतनी नफ़रत क्यों? जातीय जनगणना से सभी वर्गों का भला होगा।सबकी असलियत सामने आएगी।
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) September 24, 2021
अब सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्र ने साफ किया है कि इस बार भी जातिगत जनगणना नहीं होगी क्योंकि इस तरह की जनगणना व्यावहारिक नहीं है। 1951 से देश में यह नीति लागू है। इस बार भी सरकार ने इसे जारी रखने का फैसला लिया है। पहले से चली आ रही नीति के तहत इस बार भी सिर्फ अनुसूचित जाति, जनजाति, धार्मिक और भाषाई समूहों की गिनती ही की जाएगी।
हलफनामे में कहा गया है कि इसमें संचालन संबंधी कठिनाइयां इतनी ज्यादा हैं कि जनगणना के आंकड़ों की बुनियादी अखंडता से समझौता होने का खतरा उत्पन्न हो सकता है और जनगणना की मौलिकता भी प्रभावित हो सकती है।
वहीं, गुरुवार को केंद्र सरकार की ओर से हलफनामा दाखिल करने के बाद न्यायाधीश एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 26 अक्तूबर निर्धारित कर दी। सरकार ने हलफनामे में कहा है कि जातियों पर विवरण एकत्र करने के लिए जनगणना आदर्श तरीका नहीं है।