कोटा में रहकर नीट के लिए तैयारी कर रही एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली। यहां लगातार बढ़ रहे सुसाइड के मामलों ने चिंताजनक स्थिति पैदा कर दी है। सूचना के मुताबिक नीट की तैयारी कर रही छात्रा ने खुदकुशी का रास्ता अपनाकर अपनी जान दे दी।
पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार NEET की तैयारी कर रही 16 वर्षीय कोचिंग छात्रा ने गले में फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया। बता दें कि छात्रा ऋचा सिन्हा पुत्री रविंद्र कुमार झारखंड की राजधानी रांची की रहने वाली थी। फिलहाल वो ब्लेज हॉस्टल इलेक्ट्रॉनिक कंपलेक्स रोड नंबर एक विज्ञान नगर में रह रही थीं। मृतक छात्रा के शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया है।
कोटा में एक और बच्ची की आत्महत्या पर राजस्थान सरकार में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा, “हम कोचिंग संस्थानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे। वे सिर्फ पैसा इकट्ठे नहीं कर सकते…
कोचिंग संस्थानों को बच्चों की काउंसलिंग, मनोरंजन, फिल्म आदि चीजें भी करनी होगी। आप कुछ साधन भी निकालेंगे या हमेशा फीस ही बढ़ाते रहेंगे? मैं अभिभावकों से भी कहुंगा कि अपने सपने बच्चों पर ना डालें। बच्चों को अपना दोस्त बनाएं… हम आत्महत्या रोकने के लिए हर संभव कोशिश करेंगे।”
इधर, सुसाइड के मामले में शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि बच्चों का आईक्यू टेस्ट कर कोचिंग के लिए भेजना चाहिए।
यहां कोचिंग छात्रों की आत्महत्याओं ने पूरे ‘सिस्टम’ को सोचने पर मजबूर कर दिया है। इस साल की शुरुआत से अब तक हुए 25 छात्रों की सुसाइड की घटनाओं ने राज्य में छात्रों की आत्महत्याओं ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
घटना मंगलवार रात करीब 10 बजे विद्याधर नगर थाना क्षेत्र के इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पलेक्स स्थित हॉस्टल की है। घटना के दौरान छात्रा के रूम का गेट खुला था। रूममेट ने उसे फंदे से झूलता देखा तो उसने शोर मचाया और दूसरे स्टूडेंट्स को जानकारी दी।
वार्डन अर्चना ने बताया कि एक महीने पहले बच्ची के पिता से बात हुई थी। तब कॉल कर उन्हें बेटी से आकर मिलने का कहा था। इस पर उन्होंने बताया था कि वे वे कुछ ही दिनों में आएंगे, लेकिन आए नहीं।
रिचा की रूममेट आयशा ने बताया कि वह अपने पिता से बालकनी में बात कर रही थी, तभी रिचा ने बालकनी का गेट लगा दिया। रिचा सिन्हा ने जैसे ही फंदा लगाया तो वह शोर मचाने लगी। शोर मचाने पर स्टूडेंट और हॉस्टल के दूसरा स्टाफ रूम में पहुंचा और रिचा को निजी हॉस्पिटल ले गए, जहां उसे मृत घोषित कर दिया।
पिछले दिनों राह नाम की एक संस्था ने कोटा में सर्वे किया। काउंसलिंग और हेल्पलाइन चलाई। इस दौरान दो बच्चियों अपने मन की बात बताई जो लगभग हर कोचिंग छात्र की परेशानी लगती है।
एनजीओ ने इस छात्रा को बुलाकर काउंसलिंग की तो सामने आया कि बच्ची अपना शेड्यूल ढंग से फॉलो नहीं कर पा रही थी। बीच-बीच में मम्मी-पापा के बिना अकेलापन भी महसूस हो रहा था। घर पर जब बात करते वह रोने लगती तो उल्टा डांट पड़ती। इसलिए पढ़ाई डिस्टर्ब तो हो ही रही थी, साथ ही वह मन की बात किसी को बता नहीं पा रही थी।
एक स्टूडेंट का खुद को खत्म कर देना कोचिंग फैक्ट्री शहर के लिए तो महज आत्महत्या का एक और मामला बढ़ जाना है लेकिन उस बच्चे के मां-पिता की दुनिया उसी समय खत्म हो जाती है। वे कितनी उम्मीदों और भरे मन से अपने घर के खिलते फूल को वहां छोड़कर आए होते हैं। और बदले में बच्चे की मय्यत उठाने को मिलती है। मां-पिता अपने बच्चे की अर्थी को कांधा दें, दुनिया में इससे ज्यादा बुरा उनके लिए कुछ भी नहीं हो सकता।
एंट्रेंस टेस्ट्स की दम घोट देने वाली तैयारी का प्रेशर जिन बच्चों की ज़िंदगी खा गया उनकी गिनती इस तरह है। 2015- में 7 बच्चों ने अपनी ज़िंदगी खत्म कर दी, 2016 में 16 ने, 2017 में 7 ने, 2018 में 20 ने, 2019 में 8, 2020 में 4, 2021- कोरोना काल, 2022 में 15 और 2023 में 13 सितंबर तक 24 बच्चों को मर जाने के आंकड़ें हैं।
कोटा में 400 हॉस्टल हैं और 40 हजार PG हैं। इसके अलावा कोचिंग संस्थानों के करीबी इलाके के घरों में बतौर पेइंग गेस्ट रहने का चलन भी है। यहां पर हॉस्टल/ pg की फीस करीब फीस 10 हजार रुपए महीना है। कोटा के कुल जमा कोचिंग संस्थानों का सालाना कारोबार 5 हजार करोड़ रुपए है।
इस बीच, छात्रों की आत्महत्या का मामला राजस्थान हाई कोर्ट पहुंच गया है। राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य के कोचिंग संस्थानों, विशेषकर कोटा में छात्रों द्वारा आत्महत्या को रोकने के लिए सिफारिशें मांगी हैं। अदालत ने बच्चों की मनोवैज्ञानिक परामर्श पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। इस बीच कोचिंग संस्थानों के लिए तैयार राजस्थान कोचिंग संस्थान (नियंत्रण और विनियमन) विधेयक 2023 पेश करने पर विचार कर रही है।
बता दें कि कोटा में हो रहे सुसाइड को रोकने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक कमेटी बनाई है, जिसमें कोचिंग संस्थानों के प्रतिनिधि, माता-पिता और डॉक्टर समेत सभी हितधारक शामिल हैं। कमेटी अपनी रिपोर्ट सीएम गहलोत सौंपेगी। दो महीने तक रूटीन टेस्ट आयोजित करने पर भी रोक लगाई गई है।
पुलिस ने कोटा में स्टूडेंट सेल नाम से एक हेल्पलाइन शुरू की है। इस हेल्पलाइन का कार्य कोचिंग, हॉस्टल, मैस आदि के आस पास रहना और स्टूडेंट्स से बातचीत करना है। उनकी समस्याएं जानना, उनका समाधान तलाश कर उनका तनाव दूर करना है। इसके बावजूद भी कोटा में मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।