केंद्र सरकार ने सोमवार को चुनाव सुधार से जुड़ा एक अहम विधेयक लोकसभा में पास करा लिया है। ‘चुनाव अधिनियम संशोधन विधेयक 2021’ को पास कराने के बाद लोकसभा मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। इस सुधार से संबंधित प्रस्ताव चुनाव आयोग (इलेक्शन कमीशन) ने कानून मंत्रालय को दिया था।
केंद्र सरकार की तरफ से यह विधेयक ऐसे समय में पेश किया जा रहा है जब उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा, मणिपुर के विधानसभा चुनावों में छह महीने से भी कम का समय बचा है।ऐसे में 5 राज्यों में चुनाव से पहले केंद्र सरकार का यह बड़ा कदम है। सरकार ने सोमवार को लोकसभा में चुनाव अधिनियम संशोधन विधेयक पेश किया। इसका मकसद वोटर आईडी को आधार कार्ड के साथ जोड़ना है।
कानून मंत्री किरण रिजिजू ने बिल पर चर्चा के लिए इसे निचले सदन में इंट्रोड्यूस किया। विपक्ष के भारी विरोध के बीच यह लोकसभा से पारित हो गया है। बिल के कुछ प्रावधानों पर विपक्ष को काफी आपत्ति है। उसने बिल को संसद की स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की हालांकि सरकार ने इन आपत्तियों को खारिज किया।
कानून मंत्री ने बताया कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत केवल सेवारत (सर्विस) मतदाताओं की “पत्नियों” को वोट देने की अनुमति थी।इसने एक ऐसी विसंगति पैदा कर दी जहाँ सेवारत महिला अधिकारियों के पति मतदान नहीं कर सकते थे।इसका समाधान करने के लिए कानून मंत्री ने समझाया कि कानूनों को लिंग-तटस्थ बनाने के लिए “पत्नी” शब्द को “जीवनसाथी” शब्द से बदल दिया जाएगा।
यह पूरा बिल क्या है, इससे क्या होगा, विपक्ष की किस तरह की आपत्तियां हैं? आइए यहां इन सभी पहलुओं को समझते हैं।
क्या है ख़ास
● चुनाव सुधार के नजरिये से यह बहुत ही अहम बिल है।
●अभी की प्रणाली में अगर 2 जनवरी तक आपका नाम मतदाता सूची में नहीं आया तो आपको 1 साल इंतजार करना पड़ता था।
● अब इसके लिए साल में 4 बार विंडो खुलेगी।
● रिजिजू ने बताया है कि अधिनियम (1951 के लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम) में ‘पत्नी’ शब्द को बदलकर स्पाउस (जीवनसाथी) किया गया है।
●जाने-माने एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय के अनुसार देश में अभी करोड़ों की संख्या में डुप्लीकेट वोटर आईडी बने हुए हैं। नया कानून बनने के बाद ये सभी गायब हो जाएंगे।
●वोटर आईडी को आधार से लिंक करने पर घुसपैठियों को पकड़ने में मदद मिलेगी।
● फेक वोटर आईडी के जरिये जो और कई तरह की गैर-कानूनी गतिविधियां हो रही थीं, उन पर भी अंकुश लगेगा।
● कानूनी एक्सपर्ट के मुताबिक अभी फेक वोटर आईडी की मदद से मोबाइल कनेक्शन लिए जा रहे थे।उस पर रोक लगेगी।
●राशन कार्ड भी बनवाए जा रहे थे।अन्य कई तरह की सरकारी सुविधाएं भी ली जा रही थीं। इन सभी पर कंट्रोल होगा। ● बड़ी संख्या में रोहिंग्या बांग्लादेशियों ने वोटर आईडी बनवा लिए हैं। उन्हें भी पकड़ने में मदद मिलेगी।
●फर्जी वोटर आईडी के जरिये जो भी खेल चल रहा था अब उन सभी चीजों पर रोक लगेगी।
●देखने में आया है कि अभी एक ही व्यक्ति का शहर और उसके गांव में भी वोटर लिस्ट में नाम होता है। इस तरह उसके लिए दोनों जगह वोट देने का रास्ता खुला रहता है। यह फर्जीवाड़े को जन्म देता है।
● नया कानून बनने के बाद लोग अलग-अलग स्थानों पर मतदाता सूची में नाम नहीं जुड़वा सकेंगे। इस तरह चुनावों में धांधली की गुंजाइश कम होगी।
● पिछले साल मार्च में कानून मंत्रालय ने संसद को बताया था कि इस बारे में चुनाव आयोग ने वोटर आईडी को आधार नंबर के साथ जोड़ने का प्रस्ताव दिया है।
विपक्ष का विरोध क्यों
लोकसभा में चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक पारित होने के बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इतनी हड़बड़ी किस बात की है।आज ही बिल लाना और आज ही इसे पारित करना। इस जल्दबाजी से लगता है कि सरकार के इरादे ठीक नहीं हैं।विपक्ष का कहना है कि इससे लोगों के बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन होगा।
● विपक्ष का यही भी आरोप है कि बिल आधार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी उल्लंघन करता है।उसने बिल को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजने की मांग की।
● उत्तर प्रदेश चुनाव में इस बिल का गलत तरीके से इस्तेमाल किया जाएगा।
● आधार को वोटर आईडी के साथ लिंक करने के खतरे से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है।
● अभी वोटरों का डेटा चुनाव आयोग के डेटाबेस में रहता है।यह सरकार के किसी भी दूसरे डेटाबेस के साथ लिंक नहीं होता है। आधार और वोटर आईडी के डेटाबेस लिंक होने पर लोगों की जानकारियां एक-दूसरे से जुड़ जाएंगी। ● हाल में डेटा लीक होने और हैकरों के इन्हें हासिल कर लेने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। ऐसे में लोगों की प्राइवेसी खत्म होने की आशंका बढ़ सकती है।
इसके अतिरिक्त
● IDFC के मुताबिक आंध्र प्रदेश में जाति और धर्म जैसे मानदंडों का इस्तेमाल कर राज्य सरकार द्वारा संचालित एक वेबसाइट पर करीब 51.67 लाख परिवारों की लोकेशन को मनचाहे तरीके से ट्रैक किया जा सकता है।
● इतना ही नहीं तेलंगाना में वोटर लिस्ट से फर्जी वोटरों को हटाने की कोशिश के दौरान 22 लाख असल वोटरों के नाम भी लिस्ट से हट गए थे। इनमें बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा का नाम भी शामिल था।
ओवैसी बोले – इससे सुरक्षा और निजता को खतरा
असदुद्दीन ओवैसी ने अपने पत्र में लिखा है कि आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड को जोड़ने से कई नुकसान हैं, जिसमें नागरिकों की सुरक्षा और निजता को खतरा है. आगे दावा किया गया है कि इससे सरकारों को जनता को दबाने, मताधिकार से वंचित करने और भेदभाव करने के अधिकार मिल जाएंगे. यह भी दावा किया गया है कि इससे सीक्रेट बैलेट, फ्री और फेयर इलेक्शन में बाधा पैदा होगी।
Submitted notice to oppose Election Laws (Amendment), Bill 2021 which proposes to link AADHAAR to electoral roll enrolment. pic.twitter.com/dSEq7jhQKA
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) December 20, 2021
बता दें कि कैबिनेट की ओर से इसे मंजूरी मिल चुकी है। इस बिल के कानून बनने के बाद चुनाव आयोग को किसी भी जगह को चुनाव के लिए इस्तेमाल करने का अधिकार भी मिल जाएगा। अभी अगर आयोग किसी चुनाव के लिए स्कूल वगैरह का इस्तेमाल करता था तो कई आपत्तियां होती थीं।