उत्तर प्रदेश में चुनाव का तापमान जैसे-जैसे बढ़ रहा है नेताओं की सक्रियता भी वैसे वैसे ही बढ़ रही है। एक तरफ जहाँ बसपा प्रमुख मायावती भी चुनाव प्रचार में उतर चुकी हैं। वहीं दूसरी ओर यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को घेरने के लिए चला गया सपा का दांव संकट में नजर आ रहा है।इसके अलावा यह भी बड़ी खबर है कि भाजपा से सपा में आए पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी इस बार लड़ाई का मैदान बदल लिया है।
गौरतलब है कि बीजेपी में बड़े-बड़े धूमधाम से लाए गए स्वामी प्रसाद मौर्य पांच साल सरकार में मंत्री रहने के बाद भी बीजेपी पर ही फट पड़े। आरोपों का लंबा पुलिंदा लेकर स्वामी ने साइकिल की सवारी कर ली। इस दौरान उन्होंने यह भी घोषणा कर दी कि वह बीजेपी के ताबूत में आखिरी कील ठोकेंगे।हालांकि, बड़े-बड़े दावों के बीच स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनी परंपरागत विधानसभा सीट ही इस बार बदल ली है।
स्वामी प्रसाद मौर्य को समाजवादी पार्टी ने कुशीनगर जिले की फाजिलनगर सीट से उम्मीदवार बनाया है जबकि स्वामी पडरौना सीट से लगातार तीन बार विधायक थे। माना जा रहा है कि यहाँ से कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह के बीजेपी में आने के बाद से ही स्वामी के नए ठौर खोजने की अटकलें थी। आरपीएन ने 2009 के लोकसभा चुनाव में स्वामी को कुशीनगर से हरा दिया था हालांकि स्वामी उपचुनाव में खाली हुई पड़रौना विधानसभा सीट से आरपीएन की मां को ही हराकर विधानसभा पहुंचे थे। इस बार बीजेपी में भी स्वामी को लेकर स्थानीय स्तर पर बहुत विरोध था।
केशव प्रसाद मौर्य के सामने फंसा सपा का दांव!
बीजेपी ने करहल विधानसभा सीट से सपा मुखिया अखिलेश यादव के सामने केंद्रीय मंत्री को उतारकर चुनौती दी तो सपा ने भी पलटवार करते हुए उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की सिराथू सीट से घेराबंदी तेज कर दी है। पार्टी ने वहां सहयोगी अपना दल (कमेरावादी) की उपाध्यक्ष पल्लवी पटेल को उम्मीदवार बनाया है। कुर्मी-पटेल बहुल सीट पर पल्लवी को उम्मीदवार बना सपा की कोशिश केशव की राह कठिन बनाने की है लेकिन उनका यह दांव फंसता नजर आ रहा है। पल्लवी पटेल और उनकी पार्टी सीटों के बंटवारे को लेकर खुश नहीं है इसलिए उनके सिराथू से लड़ने को लेकर संशय खड़ा हो गया है। वहीं बसपा से आए विधायक असलम राईनी को टिकट देने से नाराज सपा के मटेरा प्रत्याशी मो.रमजान ने भी अपना टिकट लौटा दिया है।
बसपा प्रमुख मायावती इस विधानसभा चुनाव में पहली बार अपने घर से बाहर चुनावी प्रचार के लिए निकलीं। मायावती ने बुधवार को आगरा में पहली जनसभा की। इस दौरान उन्होंने मुकदमा वापसी का दांव चला। माया ने ऐलान किया कि हमारी सरकार बनने पर जाति, धर्म और राजनीतिक द्वेष के कारण धरना-प्रदर्शनों के दौरान किए गए मुकदमों की जांच होगी। बेवजह गलत धाराओं में फंसाकर किए गए मुकदमे वापस होंगे। बीजेपी सरकार में ऐसे लोगों से जेलें भर दी गई हैं। उनको भी खाली कराकर अपराधियों को जेल के अंदर भेजा जाएगा। यह भी सबको पता है कि मेरी सरकार में अपराधियों की जगह जेल के अंदर होती है।
बयानों ने बढ़ाई गर्मी
तल्ख बयानों ने उत्तर प्रदेश की सियासी गर्मी बढ़ा दी है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों विपक्ष के प्रत्याशियों को माफिया बताते हुए कह दिया कि जो गर्मी दिखा रहे हैं, 10 मार्च के बाद उनकी गर्मी ठीक हो जाएगी। इस पर पलटवार करते हुए अखिलेश यादव ने शामली में कहा कि सीएम को मनचाहा टिकट नहीं मिला, इसलिए उनकी गर्मी आरोपों में दिख रही है। सपा के गठबंधन पार्टनर रालोद के मुखिया जयंत चौधरी ने तो वोटरों से भाजपा के नेताओं की चर्बी उतारने की अपील कर डाली। इस बीच योगी ने अखिलेश पर आरोप लगाया कि मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान ‘लखनऊ वाला लड़का वहां बैठकर हत्या करा रहा था।’ वर्चुअल से एक्चुअल की ओर बढ़ते प्रचार के साथ ही अभी बयानों की दिशा और निजी व तल्ख होने की उम्मीद हैं। इन सबके बीच दांव पर चुनाव आयोग की साख है, जिस पर इन्हें आचार संहिता की कसौटी पर कसने की जिम्मेदारी है।