एक नए अध्ययन ने कोरोनावायरस के नए स्ट्रेन से संबंधित जानकारी साझा की है। इसके अनुसार प्रजनन नंबर 1.1 से 1.3 के बीच है। इसेआर नंबर के नाम से भी जानते हैं। आर नंबर का मतलब होता है कि कोई भी संक्रमित व्यक्ति कितने व्यक्तियों को संक्रमित कर सकता है। अगर आर नंबर एक से ज्यादा आता है तो यह महामारी बढ़ने का संकेत देता है। मान लीजिए किसी बीमारी का आर नंबर 10 है। तो इसका मतलब है कि एक व्यक्ति लगभग 10 व्यक्तियों में संक्रमण फैला सकता है। आर नंबर को ज्ञात करने के लिए वायरस से संक्रमित या मरने वाले व्यक्तियों की संख्या का इस्तेमाल होता है। अगर आर नंबर 1 से कम आता है तो इसका फैलाव रुक सकता है।
अगर देखा जाए तो वायरस के दोनों प्रकारों में काफी अंतर है। वायरस का नया प्रकार आसानी से फैल सकता है। इस महामारी की शुरुआत के बाद से सामने आने वाला यह सबसे ज्यादा गंभीर बदलाव है। एक अध्ययन के अनुसार इंग्लैंड में नवंबर के लॉक डाउन के दौरान नया संक्रमण 3 गुना हो गया था जबकि पुराना संक्रमण घटकर मात्र एक तिहाई रह गया था यह नया वायरस 20 साल से कम उम्र के लोगों में तेजी से फैलता है लेकिन कुछ वैज्ञानिकों का यह भी दावा है कि यह हर उम्र के लोगों में तेजी से फैल रहा है।कोरोनावायरस का यह नया स्ट्रेन नवंबर महीने में सामने आया था और इसकी शुरुआत इंग्लैंड में हुई थी इसके साथ साथ यह अब कई देशों में फैल चुका है। कोरोना के नए स्ट्रेन को जानने के लिए जिनोम सीक्वेंसिंग करनी होती है। इसमें काफी खर्च आता है। हमारे देश में अभी इसकी प्रयोगशाला अभी बहुत कम है।
इसके लक्षणों में बुखार, खांसी, थकान, सर दर्द, डायरिया, त्वचा पर रैशेज आदि हैं। लेकिन इन लक्षणों के आधार पर यह नहीं पहचाना जा सकता है कि व्यक्ति के अंदर कौन सा स्ट्रेन है। नया स्ट्रेन पहले की तुलना में 70 फ़ीसदी तेजी से फैलता है। यह एक चिंताजनक बात है क्योंकि इससे ज्यादा लोग बीमार होंगे और महामारी भी बढ़ती जाएगी।
बचाव के तौर पर देखा जाए तो सावधानी बहुत जरूरी है। उचित दूरी रखना, मास्क पहनना, हाथों को सैनिटाइज करना बहुत आवश्यक है। वैक्सीनेशन के तौर पर प्रथम चरण में उन लोगों को वैक्सीन नहीं दी जाएगी जो लोग संक्रमित हो चुके हैं क्योंकि कोरोना से ठीक होने के बाद शरीर में जो एंटीबॉडी बनती है वह 7 महीने तक रहती है।