करवा चौथ का त्योहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया गया। सुहागिनों ने रविवार को करवाचौथ का व्रत रखकर अपने पतिदेव की लंबी उम्र और सुख समृद्धि की कामना की।व्रत के बाद महिलाओं ने देर रात चांद के दर्शन किए और अपने पति के हाथों जल पीकर व्रत तोड़ा। इस दौरान पतियों ने भी अपनी पत्नियों को आशीर्वाद दिया।
व्रत रखने वाली सुहागिनों ने सुबह चार बजे से पहले उठकर सबसे पहले सरगी (मुंह अटेरना) की तथा उसके बाद दिनभर निर्जला रहकर अपने पतियों की लंबी उम्र की कामना करते हुए व्रत रखा। शाम को करवा चौथ की कथा पढ़ने के साथ उन्होंने विधिपूर्वक पूजा अर्चना की। मिट्टी के बने करवों को सुहागिनों द्वारा बदला गया। करवों में मिठाई पानी भरकर सुहागनों ने इसे एक दूसरे के करवों से बदला। इसी करवे के पानी से रात को जांच निकलने पर उसे अर्क दिया गया तथा उसी पानी को पति के हाथ से पीकर अपना व्रत भी खोला।
अपने पति की लंबी आयु की कामना और परिवार की सुख समृद्धि के लिए किया जाने वाले करवा चौथ व्रत का इंतजार हर वर्ष महिलाओं को बेसब्री से रहता है। बदलते जमाने के साथ करवा चौथ मनाने के तरीकों में बदलाव तो आया है लेकिन लोगों की आस्था आज भी उतनी ही है। आज रविवार सुबह से सुहागिनें सज धज कर करवा चौथ व्रत की तैयारी के लिए जुटी रहीं।महिलाओं ने एकत्रित होकर थाली बदलने की रस्म निभाई।
देह मेरी, हल्दी तुम्हारे नाम की,
सिर मेरा चुनरी तुम्हारे नाम की।
मांग मेरी सिंदूर तुम्हारे नाम का,
माथा, मेरा बिंदिया तुम्हारे नाम की। नाक मेरी नथनी तुम्हारे नाम की,
गला मेरा… सिर्फ पत्नी ही अपना पूरा अस्तित्व अपने पति में ढूंढती है विवाहित महिलाओं को समर्पित और सुहागिनों के लिये सबसे खूबसूरत और चर्चित इस कविता का यथार्थ महिलाओं के लोकप्रिय त्योहार करवाचौथ व्रत पूजन के साथ नजर आया।
इसके अलावा सजना है मुझे सजना के लिए…गीत की पंक्तियां करवा चौथ पर खूब चरितार्थ हुई। सोलह श्रृंगार कर सुहागिनों ने करवा चौथ के व्रत पर आज रविवार को को एक दूसरे को खूब रिझाया। शाम होते ही सुहागिनों ने चांद का दीदार कर अपने पतियों के दर्शन कर उपवास खोला।
आज सुबह से ही देश में सभी महिलाओं ने अपने अखंड सौभाग्य के लिये संकल्प के साथ व्रत रखा।