हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि मंगलवार को पड़ रही है। मंगलवार के प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की विधि विधान से पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में करने की परंपरा है। प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद और रात्रि के पूर्व के समय को कहते हैं। प्रदोष व्रत हर मास में दो बार त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है।
हाँलाकि धनतेरस पांच दिन तक चलने वाले दिवाली पर्व का पहला दिन है और ये कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर आने वाला ये त्योहार इस साल 2 नवंबर को मनाया जा रहा है। पौराणिक कथाओं व मान्यताओं के अनुसार भगवान धन्वंतरि सागर मंथन के दौरान हाथ में कलश लिए उत्पन्न हुए थे।इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है।
प्रदोष पर व्रत व पूजा कैसे करें और इस दिन क्या उपाय करने से आपका भाग्योदय हो सकता है, जानिए…
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। प्रदोष व्रत में भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा की जाती है। मान्यता है कि भक्ति भाव के साथ प्रदोष व्रत रखने वालों को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। यह महीने में दो बार होता है। पहला प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष में आता है।
कार्तिक महीने शास्त्रों में बेहद शुभ माना जाता है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।
प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त-
भौम प्रदोष व्रत तिथि 2 नवंबर को दोपहर 02 बजकर 01 मिनट से प्रारंभ होगी जो कि 3 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी।
भौम प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ समय शाम 06 बजकर 42 मिनट से रात 08 बजकर 49 मिनट तक है।
प्रदोष काल और वृषभ काल
धनतेरस के दिन प्रदोष काल: शाम 05:35 से 08:11 तक चलेगा। वहीं वृषभ काल: शाम 06:18 से शाम 08:14 तक होगा।
धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने से घर में लक्ष्मी का प्रवेश होता है। इस दिन मिट्टी के दीये खरीदना भी बहुत शुभ माना गया है। धनतेरस के दिन प्रदोष काल में घर के मुख्य द्वार या आंगन में दीया जलाएं।
प्रदोष व्रत सामग्री
●कुश आसन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद
● तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, गंगा जल,रोली, मौली जनेऊ
●कपूर, धूप, दीप, रूई,पंच रस, इत्र, गंध
● पुष्प, पंच फल, पंच मेवा, रत्न,
● सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन,
● पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग,
● बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,
● ईख का रस,मलयागिरी, चंदन,
● शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।
प्रदोष व्रत पूजा – विधि
● इस दिन ब्रह्म मूहूर्त में स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें। पूजा स्थल को साफ करके गंगाजल छिड़कें फ़िर घर के मंदिर में दीप प्रज्ज्वलित करें।अगर संभव है तो व्रत करें
●अब चौकी पर सफेद रंग का कपड़ा बिछाकर मौली बांधें। भगवान शिवशंकर की प्रतिमा या शिवलिंग विराजित करें। अब कच्चा दूध मिले जल से अभिषेक करें और गंगाजल अर्पित करके फूल, धतूरा, भांग अथवा मौसमी फल चढ़ाएं। धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं तथा शिवजी की आरती करें भोग लगाएं।
● भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।भगवान शिव की आरती करें।
●इसी तरह सायंकाल को भी मुहूर्त के अनुसार शुभ समय में शिवजी का पूजन करें।भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें।
● भौम प्रदोष का व्रत बहुत प्रभावकारी माना गया है। इस बार भक्त भगवान धन्वंतरि, लक्ष्मी जी, कुबेर तथा भगवान भोलेनाथ का पूजन भी करेंगे।
कथा
एक नगर में एक वृद्धा रहती थी।उसका एक ही पुत्र था। वृद्धा की हनुमानजी पर गहरी आस्था थी। वह प्रत्येक मंगलवार को नियमपूर्वक व्रत रखकर हनुमानजी की आराधना करती थी।
एक बार हनुमानजी ने उसकी श्रद्धा की परीक्षा लेने की सोची।हनुमानजी साधु का वेश धारण कर वृद्धा के घर गए और पुकारने लगे- है कोई हनुमान भक्त, जो हमारी इच्छा पूर्ण करे? पुकार सुन वृद्धा बाहर आई और बोली- आज्ञा महाराज।
हनुमान (वेशधारी साधु) बोले- मैं भूखा हूँ भोजन करूँगा, तू थोड़ी जमीन लीप दे। वृद्धा दुविधा में पड़ गई। अंतत: हाथ जोड़कर बोली- महाराज। लीपने और मिट्टी खोदने के अतिरिक्त आप कोई दूसरी आज्ञा दें, मैं अवश्य पूर्ण करूंगी।
साधु ने तीन बार प्रतिज्ञा कराने के बाद कहा- तू अपने बेटे को बुला। मैं उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन बनाऊंगा। यह सुनकर वृद्धा घबरा गई परंतु वह प्रतिज्ञाबद्ध थी उसने अपने पुत्र को बुलाकर साधु के सुपुर्द कर दिया।वेशधारी साधु हनुमानजी ने वृद्धा के हाथों से ही उसके पुत्र को पेट के बल लिटवाया और उसकी पीठ पर आग जलवाई। आग जलाकर दु:खी मन से वृद्धा अपने घर में चली गई। इधर भोजन बनाकर साधु ने वृद्धा को बुलाकर कहा- तुम अपने पुत्र को पुकारो ताकि वह भी आकर भोग लगा ले।इस पर वृद्धा बोली- उसका नाम लेकर मुझे और कष्ट न पहुंचाओ लेकिन जब साधु महाराज नहीं माने तो वृद्धा ने अपने पुत्र को आवाज लगाई। अपने पुत्र को जीवित देख वृद्धा को बहुत आश्चर्य हुआ और वह साधु के चरणों में गिर पड़ी। हनुमानजी अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए और वृद्धा को भक्ति का आशीर्वाद दिया।
भगवान कुबेर का मंत्र
इस दिन भगवान कुबेर के मंत्र ‘ओम कुबेराय नम:’ का जाप कर आप भगवान कुबेर को प्रसन्न कर सकते हैं। वहीं, आप भगवान धन्वंतरि को प्रसन्न कर अपने घर में सुख-समृद्धि पाना चाहते हैं, तो उस दिन धन्वंतरि देवता की पूजा करें।
ये उपाय करें
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद तांबे के लोटे से सूर्यदेव को अर्घ्य दें। पानी में आकड़े के फूल जरूर मिलाएं। आंकड़े के फूल भगवान शिवजी को विशेष प्रिय हैं। ये उपाय करने से सूर्यदेव सहित भगवान शिवजी की कृपा भी बनी रहती है और भाग्योदय भी होता है।