हिन्दू शास्त्रों में कार्तिक महीने की पूर्णिमा का बहुत बड़ा महत्व माना गया है।।कार्तिका पूर्णिमा एक हिंदू, सिख और जैन सांस्कृतिक त्योहार है,जो पूर्णिमा के दिन या कार्तिक (नवंबर-दिसंबर) के पंद्रहवें चंद्र दिवस पर मनाया जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा और त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इसे कभी – कभी देव-दिवाली या देव-दीपावली कहा जाता है मतलब कि देवताओं की रोशनी का त्योहार। कार्तिक पूर्णिमा दक्षिण भारत और श्रीलंका में अलग-अलग तारीख को मनाया जाने वाला एक त्योहार भी है।
■ कार्तिक पूर्णिमा की मान्यताएं
● कार्तिक पूर्णिमा के दिन मां तुलसी का पृथ्वी पर आगमन हुआ था। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी अर्पित करने से अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक पुण्य मिलता है।
● इस दिन लाल कपड़े में कौड़ी, गोमती चक्र, काली हल्दी और एक सिक्का लपेट कर तिजोरी में रख दें। इससे धन- सम्पति बढ़ती है और परिवार में सद्भाव बना रहता है।
■ कार्तिक पूर्णिमा को करें ऐसा विधान
● कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरारी शिव का पूजन किया जाता है।इस दिन सुबह शिव मंदिर में जाकर सबसे पहले शिवलिंग पर कच्चा दूध, दही,घी ,शहद व गंगाजल का पंचामृत मिला कर चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकानाएं पूर्ण करते हैं।
● कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा जी के घाट पर दीप जलाने और नदी में दीपदान करने का विशेष महत्व है। ऐसा करने से जहाँ सभी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है वहीं, घर में सौभाग्य का आगमन होगा।
● पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी का वास पीपल के वृक्ष में माना गया है और इस दिन पीपल के पेड़ में यदि जातक मीठे जल में दूध मिलाकर पीपल के पेड़ की जड़ में दे तो उसकी धन से जुड़ी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
● कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा-यमुना में हाथ में कुशा लेकर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए साथ ही इस दिन दान जरूर करें ।इतना ही नहीं ऐसा करने से सभी तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है और घर में सौभाग्य का आगमन होता है।
● कार्तिक माह में तुलसी जी का पूजन का भी विशेष महत्व है। इस दिन तुलसी के समीप दीप जलाकर जल चढ़ाएं एवं जड़ की मिट्टी का तिलक लगाएं कहते हैं साथ ही मुख्य द्वार और पूजा घर में दीपक भी अवश्य जलाएं इससे पितृ भी प्रसन्न होते हैं। ऐसा करने से हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
● यह भी कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु को भोग अर्पित करें और उसमें तुलसी दल जरूर डालें। ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि का वास होता है।
● कार्तिक पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी को मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाएं और माता लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं एवं पांच कन्याओं को खिलाएं। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और अपना आर्शीवाद भक्तों को देती हैं।
● इस दिन घर के मुख्यद्वार पर हल्दी मिश्रित जल को डाल कर हल्दी से स्वास्तिक बनाएं साथ ही मेन गेट पर आम के पत्तों का तोरण बांधें। ऐसा करने से घर में मां लक्ष्मी प्रवेश करती हैं और धन-धान्य का आशीर्वाद देती हैं।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन किये गए ये ज्योतिष के उपाय आपकी सुख समृद्धि का मार्ग खोल सकते हैं और आपकी किस्मत बदल सकते हैं।
■ कार्तिक पूर्णिमा के दिन पड़ रहा है आखिरी चंद्र ग्रहण
कार्तिक पूर्णिमा के दिन आखिरी चंद्र ग्रहण लग रहा है। ज्योतिष में इस चंद्र ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता है। किंतु चंद्र ग्रहण को मंत्रों की सिद्धि के लिए सर्वश्रेष्ठ समय माना गया है।ग्रहण काल में किसी भी एक मंत्र को जिसकी सिद्धि करना हो या किसी विशेष प्रयोजन हेतु सिद्धि करना हो, जप सकते हैं। चंद्र की प्रसन्नता के लिए हर उस तिथि को चंद्र मंत्र पढ़ना चाहिए जो चंद्र से संबंधित है। एकदम सरल इन मंत्रों को चंद्र ग्रहण, पूर्णिमा की रात अवश्य पढ़ना चाहिए।
■ कैसे करें मंत्र का जाप
कोई मंत्र तब ही सफल होता है, जब आप में पूर्ण श्रद्धा व विश्वास हो। किसी का बुरा चाहने वाले मंत्र सिद्धि प्राप्त नहीं कर सकते। मंत्र जपते समय एक खुशबूदार अगरबत्ती प्रज्ज्वलित कर लें। इससे मन एकाग्र होकर जप में मन लगता है व ध्यान भी नहीं भटकता है। इन मंत्रों का विधिवत जाप करने से दिव्य फल प्राप्त होता है और जीवन की सभी मुसीबतें दूर होती है।
■ ग्रहण की अवधि में जपें यह मंत्र
● यदि आपके शत्रुओं की संख्या अधिक है तो बगुलामुखी का मंत्र जाप करें। मंत्र इस प्रकार है-
ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ॐ नम:।
वाक् सिद्धि हेतु- ॐ ह्लीं दुं दुर्गाय: नम:
● लक्ष्मी प्राप्ति हेतु तांत्रिक मंत्र- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं ॐ स्वाहा:।
● नौकरी एवं व्यापार में वृद्धि हेतु प्रयोग- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद-प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:।
● मुकदमे में विजय के लिए- ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्लीं ओम् स्वाहा।।
इसमें ‘सर्वदुष्टानां’ की जगह जिससे छुटकारा पाना हो उसका नाम लें।
● ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः।
● ॐ सों सोमाय नमः।
● ॐ चं चंद्रमस्यै नम:
● ॐ शीतांशु, विभांशु अमृतांशु नम:
● ॐ ऐं क्लीं सौमाय नामाय नमः।