दिवाली से दो दिन पूर्व 2 नवंबर 2021 दिन मंगलवार को धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन खरीदारी से धन समृद्धि बढ़ती है।
माना जाता है कि जब देवताओं और राक्षसों के बीच समुद्र मंथन हुआ था, तब भगवान धनवंतरी अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। वहीं इस दिन भगवान धनवंतरी के साथ यमराज की पूजा का भी विशेष महत्व है।
धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त
● धनतेरस का त्योहार कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।
● इस तिथि की शुरुआत 2 नवंबर को 11.31 AM से होगी और समाप्ति 3 नवंबर को 09:02 AM पर।
● प्रदोष काल शाम 05:35 से रात 08:11 बजे तक रहेगा।
● धनतेरस पूजा का मुहूर्त शाम 06:17 PM से रात 08:11 PM तक रहेगा।
● यम दीपक का समय शाम 05:35 PM से 06:53 PM तक रहेगा।
धनतेरस पर खरीदारी व पूजन का मुहूर्त
● सुबह नौ बजे से दोपहर 1:30 बजे तक।
● शाम 7:30 बजे से रात 9:30 बजे तक।
● रात में 10:30 बजे से 1:30 बजे तक।
स्थिर लग्न में पूजन मुहूर्त
कुंभ : दोपहर 1:26 बजे से 2:57 बजे तक।
प्रदोष काल : शाम छह बजे से 7:57 तक।
सिंह : 12:28 बजे से 2:44 बजे तक।
शुभ चौघड़िया : रात 12:28 बजे से 1:30 बजे तक।
धनतेरस पूजन विधि
धनतेरस के दिन सुबह जल्द उठें और नित्यकर्म निपटाकर पूजा की तैयारी करें।घर के ईशान कोण में ही पूजा करें। मुंह ईशान, पूर्व या उत्तर में होना चाहिए। पंचदेव यानी सूर्यदेव, श्रीगणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु की स्थापना करें। इसके बाद से करें।
● धन्वंतरि देव की षोडशोपचार या 16 क्रियाओं से पूजा करें।
● पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य, आचमन, ताम्बुल, स्तवपाठ, तर्पण और नमस्कार। अंत में सांगता सिद्धि के लिए दक्षिणा भी चढ़ाएं।
● धन्वंतरि देव के सामने धूप, दीप जलाकर मस्तक पर हल्दी, कुमकुम, चंदन और चावल लगाएं फिर हार और फूल चढ़ाएं।
● पूजा के दौरान अनामिका अंगुली से गंध यानी चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी आदि लगाना चाहिए।
● षोडशोपचार की सभी सामग्री से पूजा कर मंत्र जाप करें।
● पूजा के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) अर्पित करें। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं होगा।
● हर पकवान पर एक तुलसी पत्ता भी रखें। अंत में आरती करते हुए नैवेद्य चढ़ाकर पूजा पूरी करें।
● मुख्य द्वार या आंगन में प्रदोष काल में दीये जलाएं। एक दीया यम के नाम का जलाएं।
● घर या मंदिर में जब भी विशेष पूजा करें तो इष्टदेव के साथ स्वस्तिक, कलश, नवग्रह देवता, पंच लोकपाल, षोडश मातृका, सप्त मातृका का पूजन भी किया जाता है।
धनतेरस पर इन देवताओं की जाती है पूजा
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है।इस दिन को धन्वंतरि देव की जयंती के रूप में भी मनाते हैं। धनतेरस 2021 पर धनवंतिर देव की पूजा के साथ कुबेर, लक्ष्मी, गणेश और यम की भी पूजा की जाती है।
भगवान धन्वंतरि की आरती
जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।जय धन्वं.।।
तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।
देवासुर के संकट आकर दूर किए।।जय धन्वं.।।
आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।जय धन्वं.।।
भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।।जय धन्वं.।।
तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।जय धन्वं.।।
हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।।जय धन्वं.।।
धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।।जय धन्वं.।