आज के दिन अखंड सुहाग के निमित्त महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं।ऐसी मान्यता है कि जो सुहागन स्त्री करवा चौथ का निर्जला व्रत करती हैं और व्रत पूर्ण होने पर चौथ के चंद्रमा को अर्घ्य देकर सच्चे मन से माता पार्वती से अपने पति के मंगल की कामना करती हैं उन्हें माता पार्वती से सदा सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद प्राप्त होता है।परंपरा के अनुसार पति को चलनी से निहारने के बाद सुहागन स्त्रियां व्रत का पारण करती हैं।
सुबह स्नानादि के बाद शुरुवात कैसे करें..
करवा चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके सूर्यादय से पहले सरगी खाएं और दिन भर निर्जल व्रत रखें। दीवार पर गेरू और चावल के घोल से करवा का चित्र बनाएं। माता पार्वती की प्रतिमा लकड़ी के आसान पर विराजमान करें। माता को सुहाग की पिटारी अर्पित करें। आसान पर लोटे में जलभरकर रख लें। थाली में रोली, चावल, मिट्टी का सींके रखा हुआ करवा, मिठाई, आदि रख लें।
इस दिन सुहागिनों द्वारा प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा से व्रत की शुरुआत की जाती है। गणेश जी विघ्नहर्ता हैं इसलिए हर पूजा में सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। इस बात का ध्यान रखें कि सभी करवों में रौली से सतियां बना लें। अंदर पानी और ऊपर ढ़क्कन में चावल या गेहूं भरें। गौरी-गणेश और चित्रित करवा की पूजा करते हुए पति की लंबी उम्र के लिए शिव-पार्वती को ध्यान करें। इसके बाद शिव परिवार का पूजन कर कथा सुननी चाहिए। रात में चंद्रमा के दर्शन करें। चंद्रमा को छलनी से देखना चाहिए। इसके बाद पति को छलनी से देख पैर छूकर व्रत पानी पीना चाहिए। छलनी की ओट से पति को देखकर चंद्रमा से जिंदगी भर साथ रहने की कामना की जाती है इसके बाद पति के हाथों से जल पीकर व्रत का पारण कर पति पत्नी साथ बैठकर भोजन करते हैं।
पुराणों के सुनहरे पन्नों में भी करवा चौथ की कथा और इस व्रत का महत्व मिलता है कहते हैं महाभारत युद्ध में विजय पाने के लिए अर्जुन ने नीलगिर पर्वत पर तपस्या की। उनकी तपस्या में कोई विघ्न न आए और अर्जुन दीर्घायु हों इसलिए द्रौपदी ने करवा चौथ का व्रत रखा था ।इस व्रत के महात्म्य के बारे में द्रौपदी को स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने कथा सुनाते हुए कहा था कि पूर्ण श्रद्धा और विधि-पूर्वक इस व्रत को करने से पति और पत्नी के जीवन के समस्त दुख दूर हो जाते हैं. उन्हें जीवन भर सुख-सौभाग्य तथा धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
पौराणिक कथाओं में भी करवा चौथ की महिमा का बखान किया गया है। कहते हैं कि करवा चौथ का व्रत इतना अधिक प्रभावशाली हैं कि यह पतिव्रता स्त्रियों के पतियों के प्राणों की रक्षा कर सकता है। साथ ही यह भी माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से पति का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।
वैसे तो करवा चौथ की कई कथाएं आपको सुनने को मिलेंगी लेकिन वीरावती की कथा सबसे अधिक प्रचलित है जो इस प्रकार है…
एक राजा के सात पुत्र और वीरावती नाम की एक पुत्री थी । सात भाइयों की अकेली बहन होने के कारण वीरावती सभी भाइयों की लाडली थी। कुछ समय बाद वीरावती का विवाह हो गया । विवाह के बाद वीरावती मायके आई तो उसने अपनी भाभियों के साथ करवा चौथ का व्रत रखा लेकिन शाम होते-होते वो भूख से व्याकुल हो उठी।वीरावती की ये हालत भाइयों से देखी नहीं गई तब एक भाई ने पेड़ पर दीपक जलाकर छलनी की ओट में रखकर कहा कि बहन चांद निकल आया है, तुम अर्घ्य देने के बाद भोजन कर सकती हो। वीरावती ने खुशी से चांद देखकर अर्घ्य दिया और खाना खाने बैठ गई । जैसे ही उसने पहला निवाला मुंह में डाला तो उसे छींक आ गई, दूसरे निवाले में बाल निकला और जैसे ही उसने तीसरा निवाला मुंह में डाला तो पति की मृत्यु का समाचार उसे मिला । यह सुनते ही वो तुरंत अपने ससुराल के लिए रवाना हो गयी।
रास्ते में उसकी भेंट भगवान शिव और माता पार्वती से हुई। मां पार्वती ने उसे बताया कि उसके पति की मृत्यु का कारण वह स्वयं है, जब उसे पूरी बात पता चली तो उसने मां पार्वती से अपने भाइयों की भूल के लिए क्षमा याचना की। यह देख माता पार्वती ने वीरावती से कहा कि उसका पति पुनः जीवित हो सकता है यदि वह सम्पूर्ण विधि-विधान से करवा चौथ का व्रत करे । इसके बाद मां की बताई विधि का पालन कर वीरावती ने करवा चौथ का व्रत संपन्न किया और अपने पति को फिर से प्राप्त किया तब से आज तक सुहागिन महिलाएं इसी कथा के साथ करवा चौथ का व्रत करती हैं । कुछ जगहों पर कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर की कामना से भी इस व्रत को करती हैं।
करवा चौथ व्रत के दिन व्रती स्त्रियों को इस व्रत के नियमों का पालन जरूर करना चाहिए। कहा जाता है कि करवा चौथ व्रत के दिन सिलाई-कढ़ाई नहीं करनी चाहिए। साथ ही यह भी मान्यता है कि इस दिन व्रती स्त्री को सब्जी नहीं काटने चाहिए और ना ही कटे हुए फल, सब्जी या दाल का सेवन करना चाहिए। इस व्रत में धारदार वस्तुओं का प्रयोग करना मना होता है। इन वस्तुओं में चाकू, कैंची, सूई, तलवार और चौपर शामिल हैं। कहते हैं कि इनका प्रयोग करने से पति का अमंगल हो सकता है। इसलिए प्रयास करें कि आप यह कार्य ना करें।
शुभ मुहूर्त…
इस बार करवा चौथ पर चंद्रमा, माता पार्वती के साथ-साथ भगवान शिव का भी आशीर्वाद मिलेगा । पूरे दिन शिव योग बन रहा है । सर्वार्थसिद्धि और अमृतसिद्धि योग भी बनेंगे ।
करवा चौथ पूजा मुहूर्त
पूजा समय शाम – शाम 6:04 से रात 7:19
उपवास समय सुबह – शाम 6:40 से रात 8:52
चौथ तिथि – सुबह 3:24 से 5 नवंबर सुबह 5:14 तक
चंद्रमा का उदय – 4 नवंबर रात 8.16 से 8:52 तक