एक अप्रैल से नये फाइनेंशियल ईयर की शुरुआत होते ही केंद्र सरकार की ओर से 2023-24 के लिये प्रस्तुत किये गये बजट के संशोधन के साथ ही कई सारी चीजों में बदलाव भी नजर आने लगेगा। देश में ऑनलाइन पेमेंट के विकल्प UPI (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) का संचालन करने वाली संस्था नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने नया सर्कुलर जारी किया है जिसके तहत ऑनलाइन ट्रॉन्जैक्शन के लिये ग्राहकों को अतिरिक्त चार्ज देना पड़ेगा।
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) पेमेंट को लेकर एक सर्कुलर जारी किया है, जिसमें अप्रैल की पहली तारीख से यूपीआई से होने वाले मर्चेंट पेमेंट पर PPI चार्ज लगाने की सिफारिश की गई है।
मंगलवार 28 मार्च को जारी किए गए इस सर्कुलर के मुताबिक, NPCI ने प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट यानि PPI लगाने की तैयारी की है। ये चार्ज 0.5-1.1 फीसदी लगाए जाने की सिफारिश की गई है।
सर्कुलर में UPI के जरिए 2,000 रुपये से ज्यादा के ट्रांजेक्शन पर 1.1 फीसदी प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट यानि PPI लगाने का सुझाव दिया गया है।
यह चार्ज ‘मर्चेंट ट्रांजैक्शंस’ यानी व्यापारियों को पेमेंट करने वाले यूजर्स को देना पड़ेगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 70 फीसदी UPI P2M लेन-देन 2,000 रुपये से अधिक के मूल्य होते हैं, ऐसे में इन पर 0.5 से लगभग 1.1 फीसदी का इंटरचेंज लगाने की तैयारी है।
PPI में वॉलेट या कार्ड के जरिए ट्रांजैक्शन आता है। आम तौर पर इंटरचेंज फीस कार्ड भुगतान से जुड़ी हुई होती है और इसे लेन-देन को स्वीकार करने और लागत को कवर करने के लिए लागू किया जाता है।
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन (NPCI) ने अपने सर्कुलर में कहा है कि इस नए नियम को 1 अप्रैल से लागू करने के बाद इसकी समीक्षा 30 सितंबर, 2023 से पहले की जाएगी।
* यह चार्ज किस ट्रांजेक्शन पर नहीं लगेगा ?
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन (NPCI) ने अलग-अलग क्षेत्र के लिए अलग-अलग इंटरचेंज फीस निर्धारित की है। फार्मिंग और टेलीकॉम सेक्टर में सबसे कम इंटरचेंज फीस वसूली जाएगा। इंटरजेंज फीस मर्चेंट ट्रांजैक्शंस यानी व्यापारियों को पेमेंट करने वाले यूजर्स को ही देना पड़ेगा।
नए सर्कुलर के मुताबिक बैंक अकाउंट और PPI वॉलेट के बीच पीयर-टू-पीयर (P2P) और पीयर-टू-पीयर मर्चेंट (P2PM) में किसी तरह के ट्रांजैक्शन पर कोई शुल्क नहीं देना होगा।
* भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई)
यह भारत में खुदरा भुगतान और निपटान प्रणाली के संचालन के लिए एक अम्ब्रेला संगठन है, जो भुगतान और निपटान प्रणाली एक्ट 2007 के प्रावधानों के तहत भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और भारतीय बैंक संघ (IBA) की एक पहल है।
इसे कंपनी अधिनियम 1956 (अब कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 8) की धारा 25 के प्रावधानों के तहत “नॉन प्रॉफिट” कंपनी के रूप में शामिल किया गया है, जिसका उद्देश्य भौतिक के साथ-साथ भारत में संपूर्ण बैंकिंग प्रणाली को बुनियादी ढांचा प्रदान करना है।