मिड डे मील योजना के तहत खाना पकाने वाली उत्तर प्रदेश की रसोइयों के मन में पिछले 6 माह से वेतन न मिलने से आक्रोश व्याप्त है जिसको देखते हुए शासन ने 3 माह के वेतन की पहली किस्त जारी कर दी।
उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए खाना पकाने वाली रसोइयों के आक्रोश को देखते हुए शासन ने रसोइयों को मानदेय भुगतान के लिए पहली किस्त जारी कर दी है। इसमें चार करोड़ छह लाख 94002 रुपये का बजट मिला है। इस ग्रांट से रसोइयों को तीन माह का मानदेय दिया जा सकेगा। दिवाली से पहले मानदेय रसोइयों के खातों में भेजने की तैयारी की जा रही है।
आपको बता दें कि सरकार द्वारा इस शैक्षणिक सत्र की शुरुवात अप्रैल से पिछले माह सितंबर 21 तक रसोइयों को छह माह का मानदेय नहीं दिया गया जिसका कारण रसोइयों को मानदेय देने के लिए बजट का जारी न होना था। लंबित बकाया वेतन के लिए यूपी के कई जिलों में दिवाली से पहले मानदेय भुगतान की मांग को लेकर रसोइया संगठन भी आंदोलित कर रहे थे लिहाजा शासन ने बृहस्पतिवार को रसोइया मानदेय व कन्वर्जन कास्ट मद में पहली किस्त के तौर पर 4,06,94,002 रुपये जारी किए हैं।
गौरतलब है कि स्कूलों में मिड डे मील पकाने वालों में 90 फीसदी महिलाएं हैं जिनसे तकरीबन पूरे देश में 12 करोड़ बच्चों को खाना मुहैया कराया जाता है।अगर देखा जाए तो पिछले 6 महीनों से बिना वेतन अपने घर को चलाने वाली रसोइयों के सरकार द्वारा बहुत बड़ी नाइंसाफी हुई है वेतन का इंतज़ार करते करते अप्रैल से अब तक रक्षा बंधन, ईद, दशहरा जैसे मुख्य त्योहार तक गुजर गए लेकिन आला अधिकारियों ने रसोइयों के वेतन की सुध लेना जरूरी नहीं समझा।दीपावली सहित पांच पर्व अगले माह नवंबर के पहले सप्ताह में शुरू होने वाले है ऐसे में रसोई सेविकाओं को वेतन न मिलना बहुत ही सोचनीय व मन को पीड़ा देने वाला विषय है आपको बता दें कि अभी देश के सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए मिड डे मील पकाने वाले रसोइयों को 1.5 हजार रुपये मानदेय दिया जाता है।
1995 में हुई थी शुरुआत
केंद्र सरकार ने इस योजना की शुरुआत 15 अगस्त, 1995 में की थी। सबसे पहले इसे 2000 से अधिक ब्लॉकों के स्कूलों में लागू किया गया था। इसके बाद धीरे-धीरे साल 2004 में इस योजना की शुरुआत पूरे देश के सरकारी स्कूलों में कर दी गई। अब इस योजना को देश के सभी प्राइमरी और सकारी स्कूलों में लागू कर दिया गया है।देशभर के करीब 25 लाख रसोइयां कार्यरत हैं।