हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि बिजली आपूर्ति बाधित नहीं करने के इस अदालत के निर्देश के बाबजूद कर्मचारियों का इस तरह का कृत्य कोर्ट के छह दिसंबर 2022 के आदेश की अवहेलना है।
उत्तर प्रदेश में विद्युत कर्मचारियों की हड़ताल पर हाईकोर्ट के कड़क आदेश के बाद यूपी सरकार ने भी कड़ा एक्शन लेते हुए 650 आउटसोर्सिंग संविदाकर्मियों की सेवाऐं समाप्त कर दी साथ ही यूपी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) ने हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला देकर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे समेत 18 पदाधिकारियों को नोटिस जारी कर तत्काल हड़ताल वापस लेने को कहा।
कहां किसकी सेवा हुई समाप्त
उत्तर प्रदेश के 650 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई जिनमें पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में 242, मध्यांचल के 110, पश्चिमांचल में 60 और दक्षिणांचल के 38 कर्मचारी भी शामिल हैं।
इसके अलावा साथियों पर भी केस दर्ज किया गया जो कर्मचारी उपस्थित नहीं करवा पाए। हड़ताल के बाद काम नहीं करने वाले कर्मचारियों पर एफ आई आर दर्ज कराने के आदेश दिए गए। सरकार द्वारा जिन एजेंसियों पर प्राथमिकी दर्ज की गई आगे के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया।
एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने बिजली विभाग के उन सभी कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने के बाद जमानती वारंट जारी किया।इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि बिजली आपूर्ति बाधित नहीं करने के पूर्व के आदेश के बाबजूद प्रदेश के बिजली विभाग के कर्मचारियों ने हड़ताल की जैसे कोर्ट की हुई है।
अवमानना की कार्रवाई के चलते इन हड़ताली कर्मचारियों और नेताओं को 20 मार्च 2023 को अदालत के समक्ष पेश होने को कहा गया। अदालत ने दोषी अधिकारियों या कर्मचारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने को कहा। साथ ही “संबंधित विभाग के अपर मुख्य सचिव को एक हलफनामा प्रस्तुत करने को कहा।
अदालत ने कहा कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किए गए साक्ष्य को देखकर लगता है कि गंभीर स्थिति उत्पन्न हुई है जिस पर तत्काल ध्यान दिए जाने की जरूरत है। कर्मचारियों की मांग को जायज बताते हुए कोर्ट ने कहा भले ही इन कर्मचारियों की मांग में दम है, तब भी पूरे राज्य को बाधा में नहीं डाला जा सकता। ”मामले की अगली सुनवाई 20 मार्च को होगी।
वहीं दूसरी और उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के साथ 18 संगठनों को नोटिस देते हुए हड़ताल वापस करने को कहा है।
अदालत ने कहा, “जो कुछ भी हमारे समक्ष प्रस्तुत किया गया है, उसे देखकर लगता है कि एक गंभीर स्थिति उत्पन्न हुई है जिस पर तत्काल ध्यान दिए जाने की जरूरत है. भले ही इन कर्मचारियों की मांग में दम है, तब भी पूरे राज्य को बाधा में नहीं डाला जा सकता।राज्य की अलग-अलग बिजली उत्पादन इकाइयों में बिजली उत्पादन घटने से राष्ट्रीय हित से समझौता होता है इसलिए प्रथम दृष्टया यह छह दिसंबर 2022 के इस अदालत के आदेश की अवहेलना है।”