बसपा सुप्रीमो मायावती ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। मायावती ने साफ कर दिया है कि इस बार उनकी पार्टी किसी बाहुबली को टिकट नहीं देगी। वह सत्तारूढ़ बीजेपी और सपा पर भी लगातार हमलावर हैं।
इसी बीच वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावला द्वारा लिए गया उनका एक पुराना इंटरव्यू वायरल हो रहा है जिसमें वे देश के प्रधानमंत्रियों के बारे में बात करती दिखाई पड़ रही हैं। इसी इंटरव्यू में वह देश की प्रधानमंत्री बनने की इच्छा जाहिर करती हैं। उनके इस जवाब से प्रभु चावल थोड़ा हैरान हो जाते हैं।
पेश हैं पुराने इंटरव्यू में प्रभु चावला द्वारा मायावती से पूँछे गए कुछ सवाल ज़बाब
प्रश्न : पूर्व CM मायावती के बेबाकी भरे अंदाज़ से ज़बाब देने पर प्रभु चावला ने पूँछा कि आपको कोई नहीं रोक सकता प्रधानमंत्री बनने से?
उत्तर : सवाल का ज़बाब देते हुए पूर्व CM मायावती ने कहा ‘जब मुझे कोई यूपी का मुख्यमंत्री बनने से नहीं रोक सका तो देश का प्रधानमंत्री बनने से कैसे रोकेगा?’
प्रश्न : प्रभु चावला पूछते हैं, ‘आखिरकार दलित की बेटी का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए शुरू हो ही गया।
उत्तर : बसपा सुप्रीमो इसके जवाब में कहती हैं कि मैं दलित की बेटी के साथ-साथ हिंदुस्तान की बेटी भी हूँ। मैं समझती हूँ कि जब से मैं राजनीति में आई हूँ मुझे आबादी के हिसाब से सबसे बड़े राज्य यूपी की चार बार सरकार चलाने का मौका मिला और मैंने सर्वसमाज के हितों के लिए हमेशा काम किया है।
प्रश्न : आगे प्रभु चावला पूँछते हैं, ‘आप देश की प्रधानमंत्री तो बन जाएंगी, लेकिन क्या आप सरकार चला भी पाएंगी?’
उत्तर : बसपा सुप्रीमो ने इसके जवाब में कहा था, ‘यही सवाल यूपी के बारे में भी था जब मैं मुख्यमंत्री बनी तो आजादी के बाद से सबसे दुरुस्त सरकार हमने दी है। मेरी सरकार में कानून एवं व्यवस्था चॉक चौबंद थी। यूपी के कोने-कोने में आम जनता से जब आप पूछेंगे तो सब यही कहेंगे कि मायावती ने सबसे अच्छी सरकार दी है।’
इस बीच प्रभु चावला मायावती से पूछते हैं,
प्रश्न: ‘देश में अब तक हुए सभी प्रधानमंत्रियों में सबसे अच्छा कौन लगा?’
उत्तर : इस पर मायावती ने ज़बाब दिया कि ‘अगर देश में प्रधानमंत्रियों ने इतना अच्छा ही काम किया होता तो हमें बसपा पार्टी बनाने की जरूरत नहीं पड़ती। ये सभी लोग एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं। हम लोगों को लगता है कि आज कोई दूसरा कुर्सी पर बैठा है, लेकिन ये सभी काम एक ही तरीके से करते हैं। हम लोगों के पास सरकार बनाने का नजरिया है, इसलिए जनता हमें पसंद करती है।’
सीबीआई से डराने का लगाया था आरोप: प्रभु चावला सवाल करते हैं,
प्रश्न: ‘आपके खिलाफ लगे चार्ज के बाद कहा गया कि दलित की बेटी कुछ ही सालों में इतनी अमीर हो गई।’
उत्तर : मायावती कहती हैं, ‘सीबीआई का एफिडेविट पूरी तरह फर्जी है। इस मामले पर हमारा वकील जब पक्ष रखेगा तो सभी चीजें निकलकर सामने आ जाएंगी। मेरे ऊपर राजनीतिक दबाव बनाने के लिए जानबूझकर केंद्र सरकार द्वारा ऐसा किया जा रहा है। लेकिन जनता इन्हें चुनाव में इसका जवाब जरूर देगी।’
इसके अलावा आपको बता दें कि बसपा को बहुमत मिलने के बाद मायावती 2007 में चौथी बार यूपी की सीएम बनी थीं और साल 2019 में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा था। इन चुनाव में बीएसपी को 10 सीटों पर जीत हासिल हुई थी जबकि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मायावती की पार्टी बीएसपी एक भी सीट नहीं जीत पाई थी लेकिन इस बार यूपी चुनाव से पहले मायावती ने साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी अकेले चुनाव मैदान में उतरेगी और इस बार वह गठबंधन करने पर ज्यादा ध्यान नहीं देगी।
हालांकि साल 2012 में यूपी की जनता ने समाजवादी पार्टी को चुना और मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे अखिलेश यादव को सीएम पद सौंप दिया था इसके बाद 2014 के चुनाव में बीएसपी एक भी लोकसभा सीट नहीं जीत पाई थी।
यहाँ यह भी जानना ज़रूरी है कि 2007 में बसपा जब पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई थी तो BJP ग्रामीण इलाकों में मजबूत नहीं थी लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से बीजेपी और संघ ग्रामीण क्षेत्रों में भी मजबूत हुआ है लिहाजा बीजेपी को टक्कर देना इतना आसान नहीं क्योंकि बीजेपी ने न तो मंदिर का मुद्दा छोड़ा और न ही हिंदुत्व का।
दूसरी ओर लगातार चार चुनावों में शिकस्त खा चुकी बहुजन समाज पार्टी के लिए 2022 का चुनाव करो या मरो की स्थिति में है। यही वजह है कि मायावती ने एक बार फिर पुराना हिट फॉर्मूला ‘ब्राह्मण’ कार्ड खेला है। इसी के सहारे 2007 में सत्ता तक पहुँच बनी थी हालांकि राजनीति के फॉर्मूले काठ की हांडी की तरह होते हैं जो बार-बार नहीं चढ़ती इसीलिए सवाल उठता है कि क्या 2022 में 2007 का फॉर्मूला काम करेगा ?विशेषज्ञों का मानना है समय और परिस्थितियों, दोनों में बहुत बड़े बदलाव आ गए हैं तब की तरह न तो अब का समय है और न पार्टी की मजबूती बची है।
इसी बीच मायावती ने भी भाजपा सरकार पर हमला करते हुए कैबिनेट एक्सपैंशन को लेकर ट्वीट किया है उन्हों ने कहा बीजेपी ने कल यूपी में जातिगत आधार पर वोटों को साधने के लिए जिनको भी मंत्री बनाया है बेहतर होता कि वे लोग इसे स्वीकार नहीं करते क्योंकि जब तक वे अपने-अपने मंत्रालय को समझकर कुछ करना भी चाहेंगे तब तक यहाँ चुनाव आचार संहिता लागू हो जायेगी।
1. बीजेपी ने कल यूपी में जातिगत आधार पर वोटों को साधने के लिए जिनको भी मंत्री बनाया है, बेहतर होता कि वे लोग इसे स्वीकार नहीं करते क्योंकि जब तक वे अपने-अपने मंत्रालय को समझकर कुछ करना भी चाहेंगे तब तक यहाँ चुनाव आचार संहिता लागू हो जायेगी।
— Mayawati (@Mayawati) September 27, 2021
उन्हों अगले ट्वीट में कहा जबकि इनके समाज के विकास व उत्थान के लिए अभी तक वर्तमान भाजपा सरकार ने कोई भी ठोस कदम नहीं उठाये हैं बल्कि इनके हितों में बीएसपी की रही सरकार ने जो भी कार्य शुरू किये थे उन्हें भी अधिकांश बन्द कर दिया गया है। इनके इस दोहरे चाल-चरित्र से इन वर्गाें को सावधान रहने की सलाह।
2. जबकि इनके समाज के विकास व उत्थान के लिए अभी तक वर्तमान भाजपा सरकार ने कोई भी ठोस कदम नहीं उठाये हैं बल्कि इनके हितों में बीएसपी की रही सरकार ने जो भी कार्य शुरू किये थे, उन्हें भी अधिकांश बन्द कर दिया गया है। इनके इस दोहरे चाल-चरित्र से इन वर्गाें को सावधान रहने की सलाह।
— Mayawati (@Mayawati) September 27, 2021