उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद IAS अफसरों के तबादले करते हुए उन्हें नई जगह तैनाती प्रदान की गई है। इस फेरबदल में नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) की निदेशक अपर्णा यू को साइडलाइन कर दिया गया। नेशनल हेल्थ मिशन से हटाकर साइड लाइन की गई अपर्णा यू को अब बेसिक शिक्षा विभाग का सचिव बनाया गया है।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के पद पर तैनात 2001 बैच की IAS अधिकारी अपर्णा यू को हटाकर 2003 बैच की IAS अधिकारी पिंकी जोवेल को NHM का निदेशक बनाया है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission) के पद पर तैनात 2001 बैच की IAS अधिकारी अपर्णा यू पर बड़ा एक्शन लेते हुए उन्हें उनके पद से हटा दिया गया है और उनकी जगह 2003 बैच की IAS अधिकारी पिंकी जोवेल को NHM का निदेशक बनाया गया है। यूपी टीचर ट्रांसफर: कई जिलों के BSA की मांग पर शिक्षकों द्वारा किए गए तबादले के आवेदनों के सत्यापन की बढ़ी डेट
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक IAS अपर्णा यू को सचिव बेसिक शिक्षा (Secretary Basic Education) बनाया गया है। वहीं प्रमुख सचिव खनन का अतिरिक्त कार्यभार अनिल कुमार तृतीय को सौंपा गया है।
IAS अपर्णा का नाता पिछले कई वर्षों से तैनाती जैसे मामलों के विवादों से जुड़ा रहा है। इससे पहले भी यूपी के अलावा आंध्र प्रदेश में तैनाती के दौरान इनका नाम घोटालों में सामने आ चुका है इस मामले में CBI की जांच भी गतिमान है।
गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश से IAS अधिकारी अपर्णा यू की प्रतिनियुक्ति से यूपी में वापसी हुई तो योगी सरकार ने अपर्णा को उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन का प्रबंध निदेशक बना दिया जिसके बाद इनके कार्यकाल में पेंशन घोटाला हो गया।उच्च अधिकारियों की जांच टीम के द्वारा जब वित्तीय कार्यों में हेरा-फिरी मिली तो विभाग के कई अफसरान को हटाया गया।
पति को टेंडर दिलवाने का लगा आरोप
आंध्र प्रदेश में तैनाती के दौरान IAS अधिकारी अपर्णा पर अपने पति को 3300 करोड़ का टेंडर दिलाने का आरोप लगा जब इस बाबत उत्तर प्रदेश शासन के आदेश के बाद विभागीय जांच हुई तो आरोप सही पाया गया।
सूत्रों के अनुसार अपर्णा के पति भाष्कर नोएडा में सीमेंस कंपनी में कार्यरत थे।मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो जब यह घोटाला हुआ तो आंध्र प्रदेश में कौशल विकास परियोजना के लिए सीमेंस इंडस्ट्री सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड से 58 करोड़ में सॉफ्टवेयर खरीदा गया था जबकि दस्तावेज में फर्जीवाड़ा कर सॉफ्टवेयर की कीमत 3300 करोड़ दर्शा दी गई जब कि इसके लिए आंध्र प्रदेश सरकार ने प्रोजेक्ट की 10 फीसदी राशि यानि करीब 371 करोड़ रुपये का भुगतान भी कर दिया था।