किसानों और राजनीतिक दलों के लगातार विरोध के बीच राष्ट्रपति ने मॉनसून सत्र में संसद से पास किसानों और खेती से जुड़े बिलों पर अपनी सहमति दे दी है. यह कदम ऐसे समय में आया है, जब किसान, विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा के लोग, तीन बिलों का विरोध कर रहे हैं – तीनों विवादास्पद बिल अब कानून बन गए हैं. साथ ही राष्ट्रपति ने J-K आधिकारिक भाषा बिल 2020 पर भी अपनी सहमति दे दी है.
हाल ही में संपन्न मॉनसून सत्र के दौरान बहुत अधिक नाटक के बीच ये बिल संसद द्वारा पारित किए गए थे। एनडीए के सबसे पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने संसद में बिल का विरोध किया, फिर केंद्र में मत्री रहीं हरसिमरत कौर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद सरकार के रवैये में कोई बदलाव नहीं देखने से नाराज अकाली दल ने खुद को अब एनडीए से भी अलग कर लिया.
I call upon all political parties & orgs to close ranks & protect the interests of #farmers, farm labour & farm produce traders in the country. @Akali_Dal_ will not flinch from its ideals. It's for the cause of farmers’ welfare we broke alliance with #BJP-led #NDA. pic.twitter.com/FnCsLzZFgc
— Sukhbir Singh Badal (@officeofssbadal) September 27, 2020
अकाली दल के अलावा कांग्रेस समेत कई अन्य दलों ने लगातार कृषि बिल का विरोध किया और राष्ट्रपति से गुजारिश भी की थी कि वो इस पर दस्तखत न करें, लेकिन उनकी अपील काम नहीं आई.
25 सितंबर को भारत बंद बुलाया गया
संसद के दोनों सदनों से 3 अहम कृषि विधेयकों के विरोध में विपक्ष में शामिल राजनीतिक दलों समेत किसान संगठनों द्वारा 25 सितंबर शुक्रवार को भारत बंद बुलाया गया था, जिसका सबसे ज्यादा असर उत्तर भारत, खासतौर से पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश में देखा गया. हालांकि, अन्य राज्यों में भी विपक्षी दलों और किसान संगठनों ने जगह-जगह प्रदर्शन किया.