प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पिछले बुधवार को 125 रुपये का एक विशेष स्मारक सिक्का जारी किया उन्होंने यह 125 रुपये मूल्य का विशेष स्मारक सिक्का इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) के संस्थापक श्री भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद की 125वीं जयंती के अवसर पर जारी किया।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि जन्माष्टमी के दिन श्री प्रभुपाद जी की 125वीं जयंती का सुखद संयोग है। ये ऐसा है जैसे साधना का सुख और संतोष एक साथ मिल जाए। उन्होंने कहा कि इस्कॉन (ISKCON) की स्थापना करने वाले श्री भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद एक अलौकिक कृष्णभक्त थेऔर यह अवसर आजादी का अमृत महोत्सव मनाए जाने के बीच आया है।
Prime Minister Shri @narendramodi ji released a special coin of ₹125 on the occasion of 125th birth anniversary of A. C. Bhaktivedanta Swami Prabhupada
#125prabhupada pic.twitter.com/glq3KdygwR
— Iskcon,Inc. (@IskconInc) September 1, 2021
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि प्रभुपाद स्वामी ने देश के स्वतन्त्रता संग्राम में संघर्ष किया था उन्होंने असहयोग आंदोलन के समर्थन में स्कॉटिश कॉलेज से अपना डिप्लोमा तक लेने से मना कर दिया था।
प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत के बारे में बोलते हुए कहा कि हम जब भी किसी दूसरे देश में जाते हैं और जब वहाँ मिलने वाले लोग ‘हरे कृष्णा’ कहते हैं, तो हमें काफी अपनापन और गर्व महसूस होता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें यह अहसास तब भी होगा, जब मेक इन इंडिया उत्पादों के लिए भी यही अपनापन मिलेगा उन्होंने कहा, हम इस संबंध में इस्कॉन से काफी कुछ सीख सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गुलामी के समय में भक्ति ने ही भारत की भावना को जीवित रखा था उन्होंने कहा, विद्वान यह आकलन करते हैं कि यदि भक्ति काल में कोई सामाजिक क्रांति नहीं हुई होती तो भारत कहाँ होता और किस स्वरूप में होता, इसकी कल्पना करना मुश्किल है। भक्ति ने आस्था, सामाजिक क्रम और अधिकारों के भेदभाव को खत्म करके जीव को ईश्वर के साथ जोड़ दिया। उस मुश्किल दौर में भी, चैतन्य महाप्रभु जैसे संतों ने हमारे समाज को भक्ति भावना के साथ बांधा और ‘आत्मविश्वास पर विश्वास’ का मंत्र दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक समय अगर स्वामी विवेकानंद जैसे मनीषी आगे आए जिन्होंने वेद-वेदान्त को पश्चिम तक पहुँचाया, तो वहीं विश्व को जब भक्तियोग को देने की ज़िम्मेदारी आई तो श्री प्रभुपाद जी और इस्कॉन ने इस महान कार्य का बीड़ा उठाया। प्रधानमंत्री ने कहा, उन्होंने भक्ति वेदान्त को दुनिया की चेतना से जोड़ने का काम किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज दुनिया के विभिन्न देशों में सैकड़ों इस्कॉन मंदिर हैं और कई गुरुकुल भारतीय संस्कृति को जीवित रखे हुए हैं। इस्कॉन ने दुनिया को बताया कि भारत के लिए आस्था का मतलब- उमंग, उत्साह, उल्लास और मानवता पर विश्वास है। मोदी ने कच्छ के भूकंप, उत्तराखंड हादसे, ओडिशा और बंगाल में आए चक्रवात के दौरान इस्कॉन द्वारा किए गए सेवा कार्य पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने महामारी के दौरान इस्कॉन द्वारा किए गए प्रयासों की भी सराहना की।
गौरतलब है कि ISKCON ने श्रीमद्भगवद् गीता और अन्य वैदिक साहित्य का 89 भाषाओं में अनुवाद किया, जो दुनिया भर में वैदिक साहित्य के प्रसार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
हरे कृष्ण आंदोलन के रूप में जाना जाता है ISKCON
स्वामी प्रभुपाद ने देश-विदेश में सौ से अधिक मंदिरों की भी स्थापना की और दुनिया को भक्ति योग का मार्ग दिखाने वाली कई किताबें लिखीं. उनके द्वारा स्थापित ISKCON को आमतौर पर “हरे कृष्ण आंदोलन” के रूप में जाना जाता है।
सिक्के की ख़ासियत
पीएम मोदी की तरफ से जारी 125 रुपये का यह सिक्का देखने में काफी आकर्षक है। इसमें एक तरफ राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ के चित्र के साथ 125 रुपये अंकित हैं। वहीं दूसरी तरफ स्वामी प्रभुपाद की तस्वीर बनी हुई है, इसके अलावा ये सिक्के आम सिक्कों जैसे ही होते हैं, लेकिन खास दिन जारी किए जाने के चलते इनकी अहमियत अधिक होती है।
ऐसा नहीं है कि इस तरह का सिक्का पहली बार जारी किया गया है। इसी साल की शुरुआत में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर भी मोदी सरकार ने 125 रुपये का सिक्का जारी किया था। इन सिक्कों को सरकार स्मृति चिन्ह के रूप में जारी करती है, जिसका मकसद इन महापुरुषों को सम्मान देना होता है। बहुत से लोग ऐसे सिक्कों को सहेज कर रखने की कोशिश करते हैं।
इससे पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछली 16 अक्टूबर को 75 रुपये का स्मृति सिक्का खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization) की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर जारी कर चुके हैं।
कैसे होते हैं ये स्मृति सिक्के?
महापुरुषों की याद में जारी ये सिक्के आम सिक्कों की तरह ही होते हैं। मगर विशेष दिन पर जारी होने के कारण इनका मूल्य अन्य सिक्कों के मुकाबले अधिक होता है। कुछ लोग इन खास सिक्कों को सहजने की कोशिश करते हैं। इस तरह के लोग रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित की गई कीमत पर सिक्कों को खरीद सकते हैं।
इन सिक्कों को खरीदने के लिए आपको भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से निर्धारित कीमत अदा करनी होती है। अगर आप भी इन्हें खरीदना चाहते हैं तो पहले इसकी बुकिंग करानी होती है। इसके लिए आपको भारतीय प्रतिभूति मुद्रण और मुद्रा निर्माण निगम लिमिटेड की वेबसाइट (https:// www. spmcil. com/Interface/Home.aspx) या भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर जाकर आवेदन करना होगा।