सोमवार को कश्मीर में आतंकी हमले में शहीद हुए 5 जवानों में एक ज़वान सराज सिंह उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर के ब्लॉक बंडा के गांव अख्तयारपुर धौकल के निवासी थे। मंगलवार सुबह उनका पार्थिव शरीर कश्मीर से दिल्ली लाया गया था जिसके बाद फ्लाइट से पार्थिव शरीर दिल्ली से बरेली लाया गया जहाँ से सेना के वाहन में जवानों के साथ पार्थिव शरीर बरेली से शाम करीब सात बजे शाहजहाँपुर आ गया था।
आज सुबह होते ही जम्मू-कश्मीर के पुंछ में आतंकवादी हमले में शहीद हुए शाहजहाँपुर के लाल सराज सिंह का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव पहुँच गया।उससे पहले ग्राम मकसूदपुर की शारदा नहर से गुजरते हुए सारज सिंह के अंतिम दर्शन के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा जहाँ पर उपस्थित लोगों ने नम आँखों से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। लाखों की संख्या में लोग अंतिम विदाई देने के लिए मौजूद थे आपको बता दें कि शहीद सराज सिंह के पैतृक गांव अख्तियारपुर में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
Mortal remains of Sepoy Saraj Singh arrives at his residence in UP's Shahjahanpur. He lost his life during an operation in Shahadra, Thanamandi, Rajouri on October 11. pic.twitter.com/yGvWc2e30p
— ANI UP (@ANINewsUP) October 14, 2021
50 लाख की आर्थिक मदद
प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर शोक जताया था इसके अलावा मुख्यमंत्री ने सोमवार को शहीद के परिजनों को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने के साथ परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने तथा जनपद की एक सड़क का नामकरण शहीद के नाम पर करने की भी घोषणा की।
बता दें कि पुंछ के सूरनकोट LOC से सटे इलाके में आतंकियों के घुसपैठ की खुफिया जानकारी मिलने के बाद कॉर्डन एंड सर्च ऑपरेशन शुरू हुआ जिस दौरान आतंकियों के साथ मुठभेड़ शुरू हुई जिसमें सेना के एक JCO और 4 जवान गंभीर रूप से घायल हो गए थे जिसके बाद घायल सैनिकों को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ इलाज के दौरान वह शहीद हो गए।
बलिदानी के शव को देखकर परिजनों का बुरा हाल है।परिवार के सदस्य एक दूसरे को संभालने में लगे हुए है।बलिदानी की पत्नी और उनकी मां का रो रो कर बुरा हाल है। गांव में बलिदानी का पार्थिव शरीर पहुंचते माहौल और भी गमगीन हो गया है।
सारज के शहीद होने पर गांव में माहौल गमगीन है। सबसे ज्यादा परेशान उनके वे दोस्त हैं, जिनके साथ वह बचपन में खेले। उनके साथ पढ़ाई की। जब भी छुट्टी पर आते तो गांव में दोस्तों के बीच मस्त हो जाते थे। गांव में घूमते, खूब शरारत करते। मंगलवार को उनके दोस्त व परिचित याद करकर रो रहे थे।
सारज से वाट्सएप से बात होती रहती थी। वह बहुत ही सरल स्वभाव के थे। हम लोग साथ पढ़े, लेकिन मेरा हमेंशा के लिए बिछड़ गया – गुरुचरन सिंह
सारज के साथ रोज दौड़ लगाता था, लेकिन लंबाई कम रहने के कारण सेना में भर्ती नहीं हो सका। खुशी थी कि सारज सेना में है, लेकिन अब वह भी दूर चला गया – बुधपाल सिंह
मातृभूमि की रक्षा में बलिदान देने वाले सारज सिंह को मेरा नमन है उन्होंने हमारे कालेज से पढ़ाई की। ऐसे वीर सपूत को हमने पढ़ाया। यह गर्व की बात है – सियाराम शास्त्री, प्रधानाचार्य
26 साल के सरज सिंह यूपी के शाहजहांपुर के रहने वाले थे। उनका घर बंडा क्षेत्र के अख्तियारपुर धौकल गांव में है। वह तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। सरज सिंह वर्ष 2016 में सेना की 11 सिख रेजीमेंट में भर्ती हुए थे। इन दिनों पर 16 आरआर रेजीमेंट के तहत कश्मीर के स्वर्णकोट में तैनात थे। उनके दोनों बड़े भाई गुरप्रीत सिंह, सुखबीर सिंह भी सेना में है और कश्मीर में ही तैनात हैं। पिता का नाम विचित्र सिंह और मां परमजीत कौर हैं। दोनों भाइयों को सरज की शहादत पर फक्र है। वहीं, अपने छोटे और प्यारे भाई को खोने का एक दुख भी है।
सारज सिंह की शादी दिसंबर 2019 में हरदोई की रजविंदर कौर के साथ हुई थी वह बीते जुलाई महीने में छुट्टी लेकर घर आए थे इसके बाद वह ड्यूटी पर लौट गए थे। मुठभेड़ से कुछ घंटों पहले रविवार (10 अक्टूबर) शाम सरज ने फोन पर परिवार के सभी सदस्यों का हालचाल जाना था और बताया था कि वह भी ठीक हैं।
पत्नी से आखिरी बार बातचीत में कही थी ये बात
सारज ने अपनी शहादत के कुछ ही घंटों पहले फोन पर अपनी पत्नी से बात की थी। सारज ने फोन पर बातचीत के दौरान पत्नी से कहा कि वो सोने जा रहे हैं, बहुत नींद आ रही है। तब तक किसी को नहीं पता था कि वह यह बातचीत आखिरी बातचीत होगी। अगली सुबह 11 अक्टूबर को जब सारज सिंह के शहीद होने की खबर मिली तो परिवार को पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।