भारत में जनसंख्या के लिहाज से सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में अब 2 से अधिक बच्चे वाले अभिभावकों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं `हम दो हमारे दो` और `बच्चे दो ही अच्छे` वाली सोच को सरकार अब कानूनी शक्ल दे सकती है।
हाइलाइट्स :
●यूपी में लागू होगी पॉलिसी ” हम दो हमारे दो”
●राज्य विधि आयोग उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए बनाएगा कानून
●उत्तर प्रदेश विधि आयोग के अध्यक्ष आदित्य नाथ मित्तल ने बढ़ती जनसंख्या पर जताई चिंता
●असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दी सहमति
●बेरोजगारी व भुखमरी जैसे पहलुओं को ध्यान में रखकर विभिन्न बिंदुओं पर होगा विचार
●जनसंख्या की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य है उत्तर प्रदेश
माना जा रहा है कि विधि आयोग अगले 2 महीने में अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप देगा। इस कानून से बस कोशिश है कि सरकारी संसाधन और सुविधाएं उन लोगों को जरूर उपलब्ध हो जो जनसंख्या नियंत्रण में मदद कर रहे हैं योगदान दे रहे हैं.
यूपी में जनसंख्या नियंत्रण के उपायों पर मंथन शुरू हो गया है। इसके लिए राज्य विधि आयोग उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून का मसौदा बना रहा है। मसौदे के अनुसार दो से अधिक बच्चों के अभिभावकों को सब्सिडी बंद करने और सरकार योजनाओं में कटौती का प्रस्ताव लाने की बात कही जा रही है।
उत्तर प्रदेश विधि आयोग के अध्यक्ष आदित्य नाथ मित्तल ने रविवार को देश में बढ़ती जनसंख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि विस्फोटक होती जनसंख्या के कारण अन्य समस्याएं भी पैदा हो रही हैं। अस्पताल, खाद्यान्न, घर और रोजगार की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। हमारा मानना है कि जनसंख्या पर नियंत्रण होना चाहिए। जनसंख्या नियंत्रण परिवार नियोजन से अलग है उन्होंने कहा कि फिलहाल राजस्थान व मध्य प्रदेश समेत कुछ अन्य राज्यों में लागू कानूनों के साथ सामाजिक परिस्थितियों व अन्य बिंदुओं पर अध्ययन चल रहा है विधि आयोग जनसंख्या नियंत्रण कानून का मसौदा तैयार कर जल्द ही राज्य सरकार को सौंप देगा। कानून के ड्राफ्ट में दो से अधिक बच्चों के अभिभावकों को सरकारी सुविधाओं के लाभ से वंचित किए जाने का प्रावधान सुझाया जा सकता है।
मित्तल ने कहा कि उनका बयान किसी समुदाय के लिए नहीं है। न ही वह नागरिकों के मानवाधिकारों को चुनौती देना चाहते हैं। हम उत्तर प्रदेश में यह संदेश नहीं देना चाहते कि हम किसी विशेष धर्म या किसी के मानवाधिकारों के खिलाफ हैं। हम बस यह देखना चाहते हैं कि सरकारी संसाधन और सुविधाएं उन लोगों के लिए उपलब्ध हों जो जनसंख्या नियंत्रण में मदद कर रहे हैं और योगदान दे रहे हैं।
इससे पहले 10 जून को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी गरीबी कम करने के लिए जनसंख्या को नियंत्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया था। सरमा ने अल्पसंख्यक समुदाय को जनसंख्या नियंत्रण उपायों की दिशा में काम करने और जागरूक करने की बात कही थी।
उनका कहना था कि सरकार सभी गरीब लोगों की संरक्षक है। लेकिन सरकार को गरीबी कम करने और जनसंख्या वृद्धि के मुद्दे से निपटने के लिए आम लोगों के समर्थन की भी आवश्यकता है। जनसंख्या ही गरीबी, अशिक्षा का प्राथमिक कारण है। इसी के कारण उचित परिवार नियोजन नहीं हो पाता है।
गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपने कार्यकाल में ‘उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम’ व ‘उप्र लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली अधिनियम’ समेत कई नए कानून लागू कर चुकी है जबकि कई अहम कानूनों में बदलाव की रूपरेखा भी तैयार की जा चुकी है इसी कड़ी में विधि आयोग ने अब जनसंख्या नियंत्रण के बड़े मुद्दे पर अपना काम शुरू किया है।
आयोग इस पर मंथन करेगा कि दो से अधिक बच्चों वाले अभिभावकों के लिए सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाली सुविधाओं में कितनी कटौती की जाए। फिलहाल राशन व अन्य सब्सिडी में कटौती के विभिन्न पहलुओं पर विचार शुरू कर दिया गया है। राज्य में इस कानून के दायरे में अभिभावकों को किस समय सीमा के तहत लाया जाएगा और उनके लिए सरकारी सुविधाओं के अलावा सरकारी नौकरी में क्या व्यवस्था होगी, ऐसे कई बिंदु भी बेहद अहम होंगे।
आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति A.N मित्तल का कहना है कि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर राजस्थान व मध्य प्रदेश में लागू कानूनों का अध्ययन शुरू कर किया गया है। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने भी राज्य में बहुत जल्द जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने की बात कह दी है। यूपी विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायूमूर्ति एएन मित्तल ने कहा कि बेरोजगारी व भुखमरी समेत अन्य पहलुओं को ध्यान में रखकर विभिन्न बिंदुओं पर विचार के आधार पर जनसंख्या नियंत्रण कानून का ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा।