उत्तर प्रदेश में पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल करने के लिए शिक्षक संगठनों के साथ सभी राज्य सरकारी कर्मचारी आंदोलनरत हैं जिसके लिए आगामी समय 30 नवंबर को लखनऊ में बड़ें आंदोलन की तैयारी हो रही है।
संयुक्त संगठनों के आह्वान पर अब 30 नवंबर को लखनऊ में बड़ी रैली का आयोजन किया जा रहा है। ऐसे में चुनावी मौसम होने के कारण प्रदेश के योगी सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उधर पूर्व CM अखिलेश यादव ने यूपी में सत्ता परिवर्तन होने पर सपा की सरकार बनने के बाद पुरानी पेंशन बहाल करने की घोषणा की है जिससे चुनावी साल में राजनीति गर्मा गई है दूसरी ओर राजधानी लखनऊ स्थित शिक्षा निदेशालय पर माध्यमिक शिक्षक संघ का प्रदर्शन भी जारी है उन्होंने कहा कि प्रदेश के शिक्षक अब आर-पार की लड़ाई लड़ने को तैयार हैं।शिक्षकों का कहना है कि सरकार अगर उनकी मांगें नहीं मानती तो प्रदेश भर के शिक्षक एकजुट होकर सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन करेंगे।
पुरानी पेंशन के लिए आंदोलनरत हैं कर्मचारी
गौरतलब है कि अधिकतर सरकारी कर्मचारी करीब 17 साल पहले वर्ष 2004 में नेशनल पेंशन सिस्टम लागू होने के बाद से ही पुरानी पेंशन व्यवस्था (ओपीएस) बहाल करने को लेकर मुहिम चला रहे हैं। उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के अधिकतर कर्मियों ने नई पेंशन व्यवस्था के विरोध में इसे अपनाया ही नहीं। पुरानी पेंशन व्यवस्था के स्थान पर लाई गई नई पेंशन व्यवस्था को नहीं चुनने पर कर्मियों को भविष्य में बहुत आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
कर्मचारियों का कहना है कि सेवानिवृत्ति के बाद कार्मिक आर्थिक संकट से जूझ रहे हैैं। ऐसे में 2005 के बाद कार्यरत प्रदेश के हज़ारों कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं इसके लिए लंबे समय से विरोध प्रदर्शन भी किया जा रहा है और लगातर सरकार के सामने पुरानी पेंशन बहाली की मांग भी की जा रही हैं। अब पुरानी पेंशन बहाली को लेकर संयुक्त मोर्चे ने 30 नवंबर को लखनऊ में बड़ी रैली आयोजित करने का फैसला लिया है।
पुरानी पेंशन बहाली की मांग के साथ 11 सूत्रीय मांगों को लेकर शिक्षक संगठनों ने इससे पहले 05 अक्तूबर को मोटरसाईकिल रैली तथा 28 अक्तूबर को प्रदेश भर के जिला मुख्यालयों तथा ब्लॉक स्तर पर धरना प्रदर्शन कर सरकार को चेतावनी दे चुके हैं जिसके बाद सरकार अलर्ट मोड पर है। कर्मचारियों के भारी विरोध को देखते हुए सरकार अब डेमेज कंट्रोल में भी जुटी है।
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ दिनेश चंद्र शर्मा ने ट्वीट के माध्यम से सरकार के समक्ष शिक्षकों की ताकत का अहसास कराते हुए 30 नवंबर को होने वाली रैली की घोषणा की उन्हों ने लिखा कि
#30नवम्बर_लखनऊ_चलो
05 अक्तूबर की मोटरसाईकिल रैली तथा 28 अक्टूबर को प्रदेश व्यापी धरने प्रदर्शन में कर्मचारी व शिक्षकों ने अपनी शानदार उपस्थिति देकर चट्टानी एकता प्रदर्शित की ।
हम निश्चित ही 30 नवम्बर को लाखों की संख्या में लखनऊ पहुँचकर सरकार से माँगें पूरी कराने में सफल होंगे।
#30नवम्बर_लखनऊ_चलो
05 अक्तूबर की मोटरसाईकिल रैली तथा 28 अक्टूबर को प्रदेश व्यापी धरने प्रदर्शन में कर्मचारी व शिक्षकों ने अपनी शानदार उपस्थिति देकर चट्टानी एकता प्रदर्शित की ।
हम निश्चित ही 30 नवम्बर को लाखों की संख्या में लखनऊ पहुँचकर सरकार से माँगें पूरी कराने में सफल होंगे। pic.twitter.com/9SiwPJZVCP— Dr Dinesh Chandra Sharma (@DrDCSHARMAUPPSS) October 30, 2021
आपको बता दें कि नवंबर माह के दूसरे सप्ताह में उत्तर प्रदेश के प्राथमिक शिक्षक संघ की संयुक्त कार्य समिति की बैठक प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता में हुई थी जिसमें पुरानी पेंशन बहाली के साथ ही शिक्षकों की कई मांगों पर चर्चा की गई जिसमें कहा गया कि
● कर्मचारियों एवं शिक्षकों के 18 महीने के महंगाई भत्ते का 10 हजार करोड़ का भुगतान सरकार ने नहीं किया है।
● परिषदीय विद्यालयों में 1.25 लाख प्रधानाध्यापक पद समाप्त कर दिए गए, परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षा मित्रों एवं अनुदेशकों का नियमितीकरण आज तक नहीं किया गया।
इसी तरह दर्जनों माँगों पर विचार विमर्श करने के बाद डॉ. दिनेश चन्द्र शर्मा ने कहा कि प्रदेश के कर्मचारी एवं शिक्षक पुरानी पेंशन बहाली सहित 21 सूत्रीय मांगों को लेकर 30 नवंबर को लखनऊ की महारैली में प्रतिभाग करेंगे।
NPS के मुकाबले पुरानी पेंशन व्यवस्था क्यों है बेहतर
अधिकतर सरकारी कर्मी पुरानी पेंशन व्यवस्था को इसलिए बेहतर मानते हैं क्योंकि यह उन्हें अधिक भरोसा उपलब्ध कराती है।
● जनवरी 2004 में NPS लागू होने से पहले सरकारी कर्मी जब रिटायर होता था तो उसकी अंतिम सैलरी के 50 फीसदी हिस्से के बराबर उसकी पेंशन तय हो जाती थी।
● OPS में 40 साल की नौकरी हो या 10 साल की, पेंशन की राशि अंतिम सैलरी से तय होती थी यानी यह डेफिनिट बेनिफिट स्कीम थी।
● इसके विपरीत NPS डेफिनिट कांट्रिब्यूशन स्कीम है मतलब कि इसमें पेंशन राशि इस पर निर्भर करती है कि नौकरी कितने साल की गई है और एन्यूटी राशि कितनी है।
● NPS के तहत एक निश्चित राशि हर महीने जमा की जाती है और रिटायर होने पर कुल रकम का 60 फीसदी एकमुश्त निकाल सकते हैं और शेष 40 फीसदी रकम से बीमा कंपनी का एन्यूटी प्लान खरीदना होता है जिस पर मिलने वाले ब्याज की राशि हर महीने पेंशन के रूप में दी जाती है।
पुरानी पेंशन के 3 सबसे बड़े फायदे
1 : OPS वह पेंशन योजना थी जिसमें पेंशन अंतिम ड्रॉन सैलरी के आधार पर बनती थी।
2 : OPS में महंगाई दर बढ़ने के साथ DA (महंगाई भत्ता) भी बढ़ जाता था।
3 : जब सरकार नया वेतन आयोग लागू करती है तो भी इससे पेंशन में बढ़ोतरी होती है।
2004 में लागू हुई नई योजना
केन्द्र सरकार ने 2004 में नई पेंशन योजना लागू की थी इसके तहत नई पेंशन योजना के फंड के लिए अलग से खाते खुलवाए गए और फंड के निवेश के लिए फण्ड मैनेजर भी नियुक्त किए गए थे। कहा गया कि अगर पेंशन फंड के निवेश का रिटर्न अच्छा रहा तो प्रॉविडेंट फंड और पेंशन की पुरानी स्कीम की तुलना में नए कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय भविष्य में अच्छी रकम मिल सकती है लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि पेंशन फंड के निवेश का रिटर्न बेहतर ही होगा, यह कैसे संभव है। इसलिए वे पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मांग कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट दे चुका है फ़ैसला
पुरानी पेंशन बहाली के केस में NPS कर्मचारियों को सर्वोच्च न्यायालय में शानदार जीत हासिल हो चुकी है। सर्वोच्च न्यायालय ने कर्मचारियों की पुरानी पेंशन स्कीम के हक में फैसला सुनाते हुए कहा कि कर्मचारियों को उनकी नियुक्ति की तिथि से पुरानी पेंशन के सभी लाभ दिए जाएं।
न्यायालय ने सरकार के NPS के पक्ष में दी गयी सभी दलीलें व सरकार की पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने में वितीय व्यवस्था के सभी तर्को को नकार दिया।बता दें कर्मचारी पेशन बहाली के लिए वर्षों से संघर्षरत थे। कोर्ट का यह आदेश पिछले माह के पहले सप्ताह में ही आया था।
विधान परिषद में योगी सरकार दे चुकी है लिखित ज़बाब
अब से दो वर्ष पूर्व जुलाई 2019 में पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे राज्य कर्मचारी संगठनों को सूबे की योगी सरकार ने विधानसभा सत्र के दौरान साफतौर पर कह दिया था कि यूपी में इस व्यवस्था को फिर से लागू करने का कोई इरादा नहीं है।विधान परिषद में लिखित जवाब देते हुए वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने कहा था कि पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू करने का सरकार का कोई इरादा नहीं है।