भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे को चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष के रुप में नियुक्त किया गया है।तीनों सेनाओं के प्रमुखों में से जनरल नरवणे के सबसे वरिष्ठ होने के चलते उन्हें कमेटी के चेयरमैन का पदभार सौंपा गया।CDS पद के गठन से पहले आमतौर पर तीनों सेनाओं के प्रमुखों में से सबसे वरिष्ठ को चीफ आफ स्टाफ कमेटी के चेयरमैन का पदभार सौंपा जाता था।
आपको बता दें कि पिछले हफ्ते एमआई-17वी5 हेलिकॉप्टर दुर्घटना में सीडीएस जनरल बिपिन रावत के असामयिक निधन के बाद सरकार नए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की नियुक्ति पर तेजी से काम कर रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि चल रहे सैन्य सुधारों की गति धीमी न हो। इस प्राथमिकता का पहला संकेत मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मिला।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सशस्त्र बलों की प्रभावशीलता बढ़ाने और भविष्य के संचालन के संचालन को फिर से आकार देने के लिए एकीकरण निर्बाध रूप से प्रगति करेगा और संयुक्तता के लक्ष्य को प्राप्त करना सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता होगी
थल सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने ‘चीफ आफ स्टाफ कमेटी’ के चेयरमैन का पदभार संभाला लिया है, जिसमें तीनों सेनाओं के प्रमुख शामिल होते हैं। इस घटनाक्रम से अवगत अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। भारतीय वायुसेना के हेलीकाप्टर हादसे में आठ दिसंबर को चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के निधन के बाद से यह पद रिक्त था।
जब सरकार ने दिसंबर 2019 में पहले सीडीएस पद के जनरल रावत के नाम का ऐलान किया था तो चेयरमैन का पद सीडीएस के साथ-साथ जनरल बिपिन रावत के पास चला गया हालांकि उससे पहले सेना के तीनों अंगों में तालमेल के लिये सेना में चैयरमेन ऑफ द चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी का पद था उस वक्त तीनों चीफ में जो वरिष्ठ होता था वह यह पद संभाल लेता था अब जबकि सीडीएस का पद खाली है इसलिए पुरानी परंपरा फिर से बहाल हो गई है, ताकि सेना के बीच आपसी तालमेल के कामकाज में कोई दिक्कत ना हो।
जनरल नरवणे अगले 5 महीने में सेनाध्यक्ष के रूप में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। जनरल नरवणे को उनके समग्र प्रदर्शन के साथ-साथ पूर्वी लद्दाख गतिरोध से निपटने के लिए शीर्ष पद पर नियुक्त करने की संभावना अधिक है। सेना प्रमुख अप्रैल में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। जनरल नरवणे तीनों सेना प्रमुखों में सबसे वरिष्ठ हैं। बता दें कि चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी में तीनों सेना के प्रमुख शामिल होते हैं। सीडीएस पद के गठन से पहले आमतौर पर तीनों सेनाओं के प्रमुखों में से सबसे वरिष्ठ को ‘चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी’ के अध्यक्ष का पदभार सौंपा जाता था हालांकि इसके चेयरमैन के पास कोई खास शक्ति नहीं होती, बस वह तीनों सेनाओं के बीच तालमेल करता है।
सूत्रों ने बताया कि तीनों सेनाओं के प्रमुखों में से जनरल नरवणे के सबसे वरिष्ठ होने के चलते उन्हें कमेटी के चेयरमैन का पदभार सौंपा गया है। सीडीएस पद के गठन से पहले आमतौर पर तीनों सेनाओं के प्रमुखों में से सबसे वरिष्ठ को ‘चीफ आफ स्टाफ कमेटी’ के चेयरमैन का पदभार सौंपा जाता था। बता दें कि सीडीएस एक चार स्टार सैन्य अधिकारी होता है, जो भारतीय सेनाओं के अधिकारियों में से चुना जाता है। सीडीएस शक्तिशाली चीफ आफ स्टाफ कमेटी (सीओएससी) का चेयरमैन होता है जिसमें तीनों सेना प्रमुख शामिल होते हैं। लद्दाख में गतिरोध से निपटने समेत समग्र प्रदर्शन के आधार पर सीडीएस के रूप में जनरल नरवणे की नियुक्ति की संभावना पहले से ही जताई जा रही थी। इसके अलावा वह तीनों सेना प्रमुखों में सबसे वरिष्ठ हैं।
जनरल रावत से सेना अध्यक्ष की कमान थामने वाले जनरल नरवणे ने 31 दिसंबर, 2019 को सेना प्रमुख का पद संभाला था और आगामी अप्रैल यानि पांच महीने में ही वह रिटायर होने वाले हैं। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने बीते 30 सितंबर तो एडमिरल आर. हरिकुमार ने अभी 30 नवंबर को ही नौसेना प्रमुख का पद संभाला है। ऐसे में अनुभव और वर्तमान में सीमा पर चुनौतियों को देखते हुए जनरल नरवणे को ही अगले सीडीएस की दौड़ में सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सैन्य तनातनी के लंबे और चुनौतीपूर्ण दौर को जनरल नरवणे ने काफी परिपक्वता से हैंडल भी किया है।