सरकारी पैनल की रिपोर्ट में अक्टूबर के आसपास कोवि-19 की तीसरी लहर के पीक पर पहुंचने की आशंका जताई गई है। बुधवार सुबह जारी आंकड़ों में नए मामलों की संख्या में उछाल दिखा है।
इससे पहले बीते मंगलवार को कोरोना वायरस की तीसरी लहर की आशंका के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोपहर 3.30 पर अहम मीटिंग बुलाई थी। इस मीटिंग में कोरोना की मौजूदा स्थिति पर चर्चा हुई साथ ही महामारी से निपटने के लिए अब तक उठाए गए कदमों का रिव्यू भी हुआ।
जानकारी के मुताबिक, बैठक में स्वास्थ्य मंत्रालय, कैबिनेट सचिव और नीति आयोग भी शामिल हुआ इस दौरान कोरोना की संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए नई पहलों पर भी चर्चा हुई।
हाइलाइट्स
●विशेषज्ञों का दावा- अक्टूबर में आ सकती है तीसरी लहर
●पीएम मोदी की मंगलवार को हुई बैठक में महामारी से निपटने के लिए उठाए गए कदमों का हुआ था रिव्यू
●पिछले 24 घंटों में देशभर से कोविड-19 के 37,500 से ज्यादा नए केस
●इस दौरान 648 मरीजों की मौत, अब तक मौतें 4.35 लाख से ज्यादा
●सरकारी एक्सपर्ट कमिटी ने जताया अक्टूबर में तीसरी लहर का अंदेशा
●पिछले कुछ दिन से घट रहे थे केस, आज आंकड़ों में दिखा इजाफा
●तीसरी लहर में बच्चों पर कहर का अंदेशा
●तीसरी लहर से लड़ने के लिए तैयारियां तेज
●बच्चों के डॉक्टरों, एंबुलेंस की बढ़ाई गई संख्या
पिछले कुछ दिनों से कोरोना वायरस मामलों में जारी गिरावट का दौर थम गया है। बुधवार सुबह जारी आंकड़ों में मंगलवार के मुकाबले 10 हजार से ज्यादा की बढ़त दर्ज की गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पिछले 24 घंटों में देशभर से कोरोना वायरस के 37,593 नए मामले सामने आए थे। मंगलवार को नए मामलों की संख्या 25,467 रही थी। बुधवार के आंकड़ों में 648 मरीजों की मौत दर्ज हुई जबकि एक दिन पहले 354 लोगों की मौत हुई थी।
अक्टूबर में कोरोना की तीसरी लहर आने का जताया अंदेशा…
महामारी की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच कोविड-19 के मामलों और मौतों में उछाल डरा रहा है।उधर, केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत आने वाला नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट (NIDM) तीसरी लहर के मद्दनेजर मिल रही चेतावनियों पर अध्ययन कर तीसरी लहर से लड़ने की तैयारियां कर रही हैं। इस पैनल ने PMO को भेजी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि तीसरी लहर का पीक अक्टूबर में हो सकता है। साथ ही यह भी कहा गया है कि इस बात के पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिले हैं कि बच्चों पर इस वायरस का असर ज्यादा होगा लेकिन वायरस के फैलने से बच्चों में खतरा बढ़ सकता है क्योंकि भारत में बच्चों को टीके अब तक नहीं लगे हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक जो भी बच्चे कोरोना के चलते अस्पताल में भर्ती हुए थे उनमें से 60-70 प्रतिशत मामले ऐसे थे जिसमें बच्चों को या तो पहले से कोई बीमारी थी या फिर उनकी इम्यूनिटी कमजोर थी। बच्चों में कोरोना से ठीक होने के बाद MIS-C (Multi-system Inflammatory Syndrome) भी होता देखा गया था यह दुर्लभ लेकिन गंभीर था।
IIT कानपुर ने नवंबर में कोरोना की पीक का जताया अंदेशा
उधर, कोरोना महामारी के गणितीय मॉडलिंग में शामिल आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक मनिंद्र अग्रवाल ने कहा है कि अगर डेल्टा से अधिक संक्रामक वायरस उभरता है और सितंबर के आखिरी तक पूरी तरह से एक्टिव हो जाता है, तो तीसरी लहर नवंबर में अपने पीक पर होगी हालाँकि उन्होंने कहा कि यह लहर दूसरी लहर जितनी खतरनाक नहीं होगी लेकिन पहली लहर के समान ही होगी।
देश में 3.22 लाख से ज्यादा ऐक्टिव मामले
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पिछले 24 घंटों में 34,169 लोग रिकवर हुए हैं। भारत में कोरोना वायरस के कुल मामलों की संख्या 3,25,12,366 हो गई है। इनमें से 4,35,758 की मृत्यु हुई जबकि 3,17,54,281 लोग बीमारी को हराने में कामयाब रहे। फिलहाल ऐक्टिव मामलों की संख्या 3,22,327 है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, कोविड-19 वैक्सीन की 59,55,04,593 डोज लगाई जा चुकी हैं।
सुझाए गए ये उपाय
रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों के लिए डॉक्टरों, स्टाफ, वेंटिलेटर्स,एंबुलेंस आदि व्यवस्था काफी हद तक ज्यादा मामलों की स्थिति में जरूरत के करीब कर ली गई है। 2015 के संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया था कि देश प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर बच्चों के डॉक्टरों की 82 प्रतिशत कमी थी।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर बच्चों के चिकित्सकों की 62.8 प्रतिशत पद खाली थे।वर्किंग ग्रुप कमेटी के एक्सपर्ट्स ने समग्र घरेलू देखभाल मॉडल, बाल चिकित्सा क्षमताओं में तत्काल वृद्धि और बच्चों के बीच मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को प्राथमिकता देने का सुझाव दिया। इसके अलावा कोरोना वार्ड को इस तरह से बनाने का सुझाव दिया गया है जिसमें बच्चों की देखभाल करने वाले और उनके माता-पिता बिना संक्रमित हुए उनकी देखभाल कर सकें।
इसके अलावा कहा गया है कि सामान्य बच्चों और पहले से बीमार बच्चों को वैक्सीनेशन को तत्काल प्राथमिकता दी जाए हालाँकि बच्चों में वैक्सीनेशन के दौरान काफी एहतियात की जरूरत है बच्चों की वैक्सीन को तत्काल मंजूरी देने से पहले उनके क्लीनिकल ट्रायल के डाटा की अच्छी तरह से समीक्षा की जाए। शिक्षकों और स्कूल स्टाफ को वैक्सीनेट किया जाए।
WHO ने कोरोना की तीसरी लहर और वैक्सीन डोज़ पर जताई चिंता
कई लोगों का ऐसा मानना है कि भारत में सितंबर और अक्टूबर के महीनों में कोरोना वायरस की तीसरी लहर आ सकती है हाँलाकि फ़िलहाल संक्रमण के मामले कम होने की वजह से ज़िंदगी पटरी पर धीरे-धीरे लौट रही है। दुनिया विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रमुख वैज्ञानिक डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन का कहना है कि अलग-अलग देशों में कोरोना वायरस की लहरों का पैटर्न अलग-अलग रहा है, इसलिए इसके सही समय का अंदाज़ा लगाना बहुत मुश्किल है उनका कहना है कि अगर हम लोग कोरोना वायरस से जुड़े नियमों का पालन नहीं करते हैं तो तीसरी लहर ज़रूर आएगी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार कोरोना वायरस का डेल्टा वेरिएंट बहुत तेजी से फैलने वाला और बेहद खतरनाक है। वेरिएंट तब बनता है जब कोरोना के मरीज आपस में मिलते हैं। 10 अगस्त तक 142 देशों में कोरोना का यह खतरनाक वेरिएंट पाया जा चुका है जिसमें भारत भी शामिल है। डेल्टा प्लस वेरिएंट की इस गंभीर स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्यों को अलर्ट मोड में रहने को कहा है और जरूरी सुविधाएं और कदम उठाने के भी निर्देश दिए हैं।
कोरोना का डेल्टा वेरिएंट अब तक के मौजूदा सभी कोरोना वेरिएंट से दोगुना खतरनाक और संक्रामक है। लेकिन मास्क पहनकर, सेनिटाइजर इस्तेमाल कर, हाथ धोकर और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर काफी हद तक इससे सुरक्षित रहा जा सकता है। एक्सपर्ट का भी मानना है कि वेरिएंट अलग होने से नियम नहीं बदलेंगे इससे भी बचने के वही तरीके हैं जो पहले वाले वेरिएंट के हैं।
डेल्टा वेरिएंट के लक्षण
◆डेल्टा वेरिएंट मूल स्ट्रेन का ही बदला हुआ रूप है, इसलिए ऐसा कहा जा रहा है कि इसके लक्षणों में भी कुछ बदलाव आए होंगे।
◆ यूनाइटेड किंगडम के डेटा से पता चलता है कि मूल कोविड के सबसे आम लक्षण डेल्टा वेरिएंट में कुछ बदल गए हैं।
◆ बुखार, खांसी, सिरदर्द और गले में ख़राश आम कोविड के लक्षण अब भी बने हुए हैं, जबकि नाक का बहना पहले के आंकड़ों में शायद ही देखा गया था।
●इसके अलावा सूंघने की क्षमता प्रभावित होना सबसे आम लक्षण बन गया है।
बचने के उपाय
● कोविड महामारी खत्म हो रही है ये समझने की भूल न करें। अभी भी एतिहात बरतने होंगे तभी इसकी चेन तोड़ी जा सकती है।
● बाहर निकलते वक्त हमेशा मास्क लगाकर रखें। बीमार हैं तो घर पर भी पहनकर ही रहें।
● बेवजह बाहर न निकलें।भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए।
जरूरी काम हों तभी निकलें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।
● हाथों को 20 सेकेंड तक जरूर धोएं। जिन जगहों पर हाथ धो पाना संभव नहीं वहाँ साफ-सफाई के लिए सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें।
● जल्द से जल्द और ज्यादा से ज्यादा लोग वैक्सीन लगवाएं।
● इम्युनिटी बढ़ाने वाली चीज़ों को डाइट में शामिल करें। जूस, खट्टे फल इसमें बेहद फायदेमंद हैं।
वैज्ञानिकों को आशंका है कि डेल्टा वेरिएंट कोरोना इंफेक्शन से ठीक हो चुके लोगों में मौजूद एंटीबॉडी को धोखा देकर उन्हें फिर से संक्रमित कर सकता है। वैक्सीन से जो एंटीबॉडीज बन रही है उसके असर को कम कर सकता है। इतना ही नहीं कोरोना की सबसे कारगर दवा मानी जाने वाली मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल को भी फेल कर सकता है।
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