कोरोना संक्रमण से जूझ रहे भारत में अब म्यूकोरमायकोसिस (ब्लैक फंगस) संक्रमण का खतरा तेज होता जा रहा है देश के कई राज्यों में इस संक्रमण के कारण अब तक सैकड़ों लोगों की मौत हो गई है।कोरोना को हराने के 14 से 15 दिन बाद ब्लैक फंगस के मामले देखे जा रहे हैं हालांकि, कुछ मरीजों में पॉजिटिव होने के दौरान भी यह पाया गया है। यह बीमारी सिर्फ उन्हें होती है जिनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। ब्लैक फंगस बीमारी की चपेट में आने वाले खासकर कोरोना से उबरे वो मरीज हैं जिन्हें डायबिटीज की भी शिकायत है। ब्लैक फंगस की इस बीमारी के लक्षण और सावधानियों के साथ आपको हम बताएंगे कि यह क्या है ? कैसे फैलता है? और अभी तक यह किन-किन राज्यों में पैर पसार चुका है।
कोविड के उपरान्त काली फंगस या म्यूकर माइकोसिस से बचें
न्यूकर माइकोसिस एक काली फंगस है जोकि चेहरे नाक साइनस आँख और दिमाग में फैलकर उसको नष्ट कर देती है। इससे आँख सहित चेहरे का बड़ा भाग नष्ट हो जाता है और जान जाने का भी खतरा रहता है।
ब्लैक फंगस का आंख-जबड़े पर हमला
कोरोना से तबाही के बीच म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने लोगों को ब्लैक फंगस के शुरुआती लक्षणों की पहचान कर इससे बचने की सलाह दी है, जो कि मुख्यतौर पर महाराष्ट्र में कई मरीजों में देखे गए हैं।हर्षवर्धन ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक पोस्ट में बताया कि जागरूकता और शुरुआती लक्षणों की पहचान कर इसके खतरे से बचा जा सकता है।
क्या है म्यूकरमाइकोसिस-
म्यूकरमाइकोसिस एक ऐसा फंगल इंफेक्शन है जिसे कोरोना वायरस ट्रिगर करता है। कोविड-19 टास्क फोर्स के एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये उन लोगों में आसानी से फैल जाता है जो पहले से किसी ना किसी बीमारी से जूझ रहे हैं और जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है. इन लोगों में इंफेक्शन से लड़ने की क्षमता कम होती है।
किसे हो सकता है:
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के मुताबिक, कुछ खास कंडीशन में ही कोरोना मरीजों में म्यूकरमाइकोसिस का खतरा बढ़ता है।
1. कोविड के दौरान स्टेरॉयड दवा दी गयी हो – डेक्सामियाजोन, मिथाइल प्रेडनिसोलोन इत्यादि ।
2. कोविड मरीज को ऑक्सीजन पर रखना पड़ा हो या आई सी यू में रखना पड़ा हो।
3. डायबिटीज का अच्छा नियंत्रण ना हो।
4. कैसर किडनी ट्रांसप्लांट इत्यादि के लिए दवा चल रही हो।
5. स्टेरॉयड की वजह से कमजोर इम्यूनिटी वालों को
6. पोस्ट ऑर्गेन ट्रांसप्लांट, कैंसर या वोरिकोनाजोल थैरेपी (गंभीर फंगल इंफेक्शन का इलाज) के मामले में ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ सकता है।
7. किसी अन्य बीमारी का होना,
क्या लक्षण हैं:
ब्लैक फंगस में मुख्य रूप से कई तरह के लक्षण देखे जाते हैं।
1. बुखार आ रहा हो, सर दर्द हो रहा हो, खांसी हो, सांस फूल रही हो।
2. नाक बंद हो। नाक में म्यूकस के साथ खून आ रहा हो।
3. आंखों में लालपन या आँख में दर्द हो। आँख फूल जाए दो दिख रहा हो या दिखना बंद हो जाए।
4. चेहरे में एक तरफ दर्द हो, सूजन हो या सुन्न हो ( छूने पर छूने का अहसास ना हो )
5. दाँत में दर्द हो, दांत हिलने लगे, चबाने में दर्द हो ।
6. उल्टी में या खांसने पर बलगम में खून या मानसिक स्थिति में बदलाव से इसकी पहचान की जा सकती है।इसलिए इन लक्षणों पर बारीकी से गौर करना चाहिए।
क्या करें:
उपर्युक्त में से कोई भी लक्षण होने पर तत्काल सरकारी अस्पताल में या किसी अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाएँ – नाक कान गले आँख मेडिसिन चेस्ट या प्लास्टिक सर्जरी विशेषज से तुरंत दिखाएँ, और लग कर इलाज शुरू करें।
कैसे बनाता है शिकार
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हवा में फैले रोगाणुओं के संपर्क में आने से कोई व्यक्ति फंगल इंफेक्शन का शिकार हो सकता है। ब्लैक फंगस मरीज की स्किन पर भी विकसित हो सकता है। स्किन पर चोट, रगड़ या जले हुए हिस्सों से ये शरीर में दाखिल हो सकता है।
म्यूकरमाइकोसिस से बचाव
ब्लैक फंगस से बचने के लिए धूल वाली जगहों पर मास्क पहनकर रहें। मिट्टी, काई या खाद जैसी चीजों के नजदीक जाते वक्त जूते, ग्लव्स, फु स्लीव्स शर्ट और ट्राउजर पहनें। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। डायबिटीज पर कंट्रोल, इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग ड्रग या स्टेरॉयड का कम से कम इस्तेमाल कर इससे बचा जा सकता है।
ब्लैक फंगस से बचाव
हाइपरग्लीसीमिया (ब्लड शुगर) को कंट्रोल रखें. कोविड-19 से रिकवरी के बाद भी ब्लड ग्लूकोज का लेवल मॉनिटर करते रहें. स्टेरॉयड का इस्तेमाल सिर्फ डॉक्टर्स की सलाह पर ही करें. ऑक्सीजन थैरेपी के दौरान ह्यूमिडिटीफायर के लिए साफ पानी का ही इस्तेमाल करें. एंटीबायोटिक्स या एंटीफंगल दवाओं का इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर ही करें.
क्या न करें-
ब्लैक फंगस से बचने के लिए इसके लक्षणों को बिल्कुल नजरअंदाज न करें। बंद नाक वाले सभी मामलों को बैक्टीरियल साइनसाइटिस समझने की भूल न करें। खासतौर से कोविड-19 और इम्यूनोसप्रेशन के मामले में ऐसी गलती न करें।फंगल एटियोलॉजी का पता लगाने के लिए KOH टेस्ट और माइक्रोस्कोपी की मदद लेने से न घबराएं।यदि डॉक्टर्स इसका तुरंत इलाज करने की सलाह दे रहे हैं तो उसे इग्नोर न करें। रिकवरी के बाद भी इसके बताए गए लक्षणों को अनदेखा न करें, क्योंकि कई मामलों में फंगल इंफेक्शन रिकवरी के एक सप्ताह या महीने भर बाद भी उभरते देखा गया है।
सावधानियां:
1. स्वयं या किसी गैर विशेषज्ञ डॉक्टर के दोस्त मित्र या रिस्तेदार के कहने पर स्टेरॉयड दवा कतई शुरू ना करें। स्टेरॉयड दवाएं जैसे – डेनसोना, मेडोल इत्यादि।
2. लक्षण के पहले ५ से ७ दिनों में स्टेरॉयड देने से दुष्परिणाम होते हैं। बौमारी शुरू होते ही स्टेरॉयड शुरू ना करें। इससे बीमारी बढ़ जाती है।
3. स्टेरॉयड का प्रयोग विशेषज्ञ डॉक्टर कुछ ही मरीजों को केवल ५-१० दिनों के लिए देते हैं -वो भी बीमारी शुरू होने के ५-७ दिनों बाद केवल गभीर मरीजों को । इसके पहले बहुत सौ जांच आवश्यक है।
4. इलाज शुरू होने पर डॉक्टर से पूर्व की इन दवाओं में स्टेरॉयड तो नहीं है। अगर है, तो ये दवाएं मुझे क्यों दी जा रही है।
5 .स्टेरॉयड शुरू होने पर विशेषज्ञ डॉक्टर के नियमित संपर्क में रहें।
6. घर पर अगर ऑक्सीजन लगाया जा रहा है तो उसकी बोतल में उबाल कर ठंडा किया हुआ पानी डाले या नार्मल सलाइन डाले। बेहतर हो अस्पताल में भर्ती हो।
इन राज्यों में फैला है ब्लैक फंगस
गुजरात:
गुजरात में म्यूकोरमाइकोसिस के सबसे ज्यादा मामले देखने को मिल रहे हैं यहाँ अब तक 200 से ज्यादा मामले सामने आ गए हैं। इनमें से कई मरीजों की आँख की रोशनी तक जा चुकी है।
हरियाणा:
हरियाणा सरकार ने ब्लैक फंगस को नोटिफाइड डिजीज घोषित कर दिया गया है। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने ट्वीट कर यह जानकारी दी। प्रदेश में ब्लैक फंगस के कई मामले सामने आ चुके हैं। अब नए मामले मिलने पर डॉक्टर जिले के सीएमओ को रिपोर्ट करेंगे। विज ने कहा कि यदि राज्य के किसी सरकारी या निजी अस्पताल में कोई रोगी ब्लैक फंगस से पीड़ित पाया जाता है तो इसकी जानकारी संबंधित CMO को देनी होगी ताकि बीमारी की रोकथाम के लिए कदम उठाए जा सकें।
महाराष्ट्र:
महाराष्ट्र में पिछले साल कोविड-19 फैलने के बाद से अब तक दुर्लभ और गंभीर फंगल संक्रमण ब्लैक फंगस से 52 लोगों की मौत हो चुकी है वहीं, 8 मरीजों के एक आंख की दृष्टि गायब हो गई है राज्य स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने पहली बार ब्लैक फंगस से मृत लोगों की सूची बनाई है। जिसमें यह आंकड़ा सामने आया है।
उत्तर प्रदेश:
यूपी के लखनऊ में ”ब्लैक फंगस” के मरीजों की संख्या में हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बचाव और इलाज की प्रभावी व्यवस्था करने के निर्देश दिये हैं वहीं इसकी चुनौतियों को दूर करने के लिए सरकार ने संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान की 12 सदस्यीय म्यूकोर्मियोकोसिस मैनेजमेंट टीम का गठन किया है। सीएम योगी ने कहा कि कोविड संक्रमण के मुक्त हो जाने के बाद कुछ लोगों में ”ब्लैक फंगस” की बीमारी के मामले सामने में आए हैं, इसको देखते सभी जिलों में इसके इलाज के लिए जरूरी दवाओं की पर्याप्त मात्रा सुनिश्चित की जाए।
दिल्ली:
दिल्ली में ब्लैक फंगस के अभी तक कुल 160 मरीज मिले हैं और एम्स में इसके 23 मरीजों का इलाज हो रहा है।सूबे में तेजी से फैल रहे इस रोग से राज्य स्वास्थ्य विभाग की मुश्किलें बढ़ गई है।
बिहार:
बिहार में भी ब्लैक फंगस के 40 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, हालांकि अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है जिनमें से 8 पटना एम्स में भर्ती हैं। इस फंगस से पूरी दुनिया लड़ रही है। इस बीच बिहार के डॉक्टरों ने ब्लैक फंगस को मात देने का आयुर्वेदिक इलाज खोजने का दावा किया है। राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. दिनेश्वर प्रसाद का कहना है कि गंभीर फंगस के लिए जलौका पद्धति सदियों से कारगर रही है।बिहार के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के डॉक्टर जाेंक के जरिए इस फंगस के इलाज का दावा कर रहे हैं। जोंक की खासियत है कि यह शरीर से गंदा खून चूसकर डेड सेल को नष्ट कर देती है। शरीर में कहीं भी स्किन खराब होने और रक्त संचार बंद होने की स्थिति में वहां डेड सेल को एक्टिव करने में जाेंक काफी मददगार होती है। डॉक्टर इस इलाज की विधि को जलौका कहते हैं हालांकि, आयुर्वेदिक कॉलेज के पास अब तक ब्लैक फंगस का कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन डॉक्टर इस इलाज को आगे बढ़ाने के लिए जोंक की तलाश में जुट गए हैं।
ओडिशा:
ओडिशा में सोमवार 10 मई को पहला ब्लैक फंगस का मामला सामने आया। इसके बाद राज्य में मामले बढ़ते ही गए। सरकार ने मरीजों में ब्लैक फंगस की निगरानी को लेकर सात सदस्यीय राज्य स्तरीय समिति का गठन किया है।
तेलंगाना:
तेलंगाना के हैदराबाद में भी ब्लैक फंगस के 60 के करीब मामले सामने आ चुके हैं। यहाँ हैरान करने वाली बात यह है कि इनमें से लगभग 50 मामले एक महीने के अंदर जुबली हिल्स स्थित अपोलो अस्पताल में सामने आए हैं।
कर्नाटक:
कर्नाटक में भी म्यूकोरमाइकोसिस के मामले देखने को मिल रहे हैं यहाँ पिछले दो हफ्तों में इस बीमारी के 38 मामले सामने आए हैं। इस बीमारी से संक्रमित मरीजों की देखभाल के लिए अस्पतालों में एक विशेष व्यवस्था बनाई गई है।
राजस्थान:
राजस्थान में भी ब्लैक फंगस अपने पैर तेजी से पसार रहा है यहाँ जयपुर में 14 से ज्यादा मामले आ चुके हैं और कई मरीजों ने अपनी आंख की रोशनी तक खो दी है।
मध्यप्रदेश:
मध्यप्रदेश में इस बीमारी से अब तक यहाँ दो लोगों की जान चली गई है। राज्य में इसके 50 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। राज्य के डॉक्टर इसके इलाज के लिए अमेरिकी डॉक्टर से परामर्श ले रहे हैं।
केरल:
केरल में भी ब्लैक फंगस के कई मामले सामने आ रहे हैं। राज्य चिकित्सा बोर्ड अध्ययन के लिए अपने स्तर पर नमूने इकट्ठा कर रहा है। इसके बाद ही पता लगेगा कि राज्य में कितने मामले हैं।