21: क्या यह सच है कि कभी-कभी शॉर्ट-सर्किट या अन्य कारण से इस बात की संभावना होती है कि `नीले बटन’ को दबाने पर मतदाता को बिजली का झटका लग जाए?
उत्तर – नहीं। ईवीएम बैटरी पर काम करती है और `नीले बटन’ को दबाने या ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) को हैंडल करने के समय किसी भी मतदाता को किसी भी समय बिजली का झटका लगने की कोई संभावना नहीं है।
प्रश्न 22: क्या ईवीएम को इस तरह से क्रमादेशित करना संभव है कि शुरू में, मानिए कि 100 मत तक, मत उसी तरह से दर्ज हों जैसे कि `नीले बटन ‘दबाए जाते हैं, लेकिन उसके बाद, मत केवल एक अभ्यर्थी विशेष के पक्ष में दर्ज होंगे चाहे उस अभ्यर्थी या किसी अन्य अभ्यर्थी के सामने ‘नीला बटन’ दबाया गया हो या नहीं?
उत्तर – ईवीएम में इस्तेमाल किया जाने वाला माइक्रोचिप एक बार का क्रमादेशन-योग्य/मास्क्ड चिप होता है, जिसे न तो पढ़ा जा सकता है और न ही ओवरराइट किया जा सकता है। इसलिए, ईवीएम में उपयोग किए जाने वाले क्रमादेशन को एक विशेष तरीके से पुन: क्रमादेशित नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा, ईवीएम पूर्णतया पृथक मशीनें होती हैं जिस तक न तो किसी भी नेटवर्क से दूरचालित रूप में पहुंचा जा सकता है और न ही किसी बाहरी उपकरण से जोड़ा जा सकता है और इन मशीनों में कोई भी ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग नहीं किया जाता है। इसलिए, किसी भी विशेष उम्मीदवार या राजनीतिक पार्टी का चयन करने के लिए ईवीएम को एक विशेष तरीके से क्रमादेशित करने की बिल्कुल भी संभावना नहीं है।
प्रश्न 23: क्या ईवीएम को मतदान केंद्रों तक ढोकर ले जाना मुश्किल नहीं होगा?
उत्तर – नहीं। इसके उलट, मतपेटियों की तुलना में ईवीएम को ढोकर ले जाना आसान है, क्योंकि ईवीएम अधिक हल्के, वहनीय होते हैं और ढुलाई/परिवहन की सहूलियत के लिए ग्राहकोनुकूलित पॉलीप्रोपीलिन केरिंईंग केस के साथ आते हैं।
प्रश्न 24: देश के कई क्षेत्रों में, बिजली कनेक्शन नहीं है और यहां तक कि उन जगहों पर भी जहां बिजली कनेक्शन है, बिजली की आपूर्ति अनियमित है। इस परिदृश्य में क्या इससे बिना एयर कंडीशनिंग के मशीनों को स्टोर करने में समस्या उत्पन्न नहीं होगी?
उत्तर – उस कमरे/हॉल को वातानुकूलित करने की कोई आवश्यकता नहीं है जहां ईवीएम रखे जाते हैं। जरूरी केवल इतना है कि कमरे/हॉल को धूल, नमी और कृन्तकों से मुक्त रखा जाए जैसा कि मतपेटियों के मामले में किया जाता है।
प्रश्न 25: परंपरागत प्रणाली में, किसी भी विशेष समय-बिंदु में पड़े मतों की कुल संख्या को जानना संभव होगा। ईवीएम में ‘परिणाम’ भाग को सील कर दिया जाता है और उसे मतगणना के समय ही खोला जाएगा। मतदान की तारीख को कुल कितने वोट मिले, इसे कैसे जाना जा सकता है?
उत्तर – ‘परिणाम’ बटन के अलावा, ईवीएम के कंट्रोल यूनिट पर एक ‘टोटल’ बटन होता है। इस बटन को दबाने से अभ्यर्थीवार परिणाम सूचित किए बिना बटन दबाने के समय तक पड़े मतों की कुल संख्या प्रदर्शित हो जाएगी।
प्रश्न 26: बैलेटिंग यूनिट में 16 अभ्यर्थियों के लिए प्रावधान होता है। एक निर्वाचन क्षेत्र में, केवल 10 अभ्यर्थी हैं। मतदाता 11 से 16 तक के किसी भी बटन को दबा सकता है। क्या ये मत निष्फल नहीं होंगे?
उत्तर – नहीं। यदि एक निर्वाचन-क्षेत्र में नोटा सहित केवल 10 अभ्यर्थी हैं, तो रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) तैयार करने के समय क्रम. सं. 11 से 16 पर दिए गए ‘कैंडिडेट’ बटन को छिपा दिया जाएगा। इसलिए, किसी भी मतदाता द्वारा 11 से 16 के अभ्यर्थियों के लिए कोई अन्य बटन को दबाने का सवाल ही नहीं है।
प्रश्न 27: मतपेटियों को उत्कीर्ण किया जाता है ताकि इन बॉक्सों को बदले जाने की शिकायत के किसी भी संभावना से बचा जा सके। क्या ईवीएम के संख्यांकन की कोई व्यवस्था है?
उत्तर – हाँ। प्रत्येक बैलेटिंग यूनिट और कंट्रोल यूनिट में एक विशिष्ट आईडी संख्या होती है, जिसे प्रत्येक यूनिट पर उकेरा जाता है। किसी विशेष मतदान केंद्र में प्रयुक्त की जाने वाली ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) की आईडी संख्या वाली सूची तैयार की जाती है और निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों/उनके एजेन्टों को उपलब्ध कराई जाती है।
प्रश्न 28: पारंपरिक प्रणाली में, मतदान शुरू होने से पहले, पीठासीन अधिकारी उपस्थित मतदान एजेंटों को दिखाता है कि मतदान केंद्र में इस्तेमाल की जाने वाली मतपेटी खाली है। क्या मतदान एजेंटों को आश्वस्त करने के लिए ऐसा कोई प्रावधान है कि ईवीएम में पहले से दर्ज मत अव्यक्त रूप में नहीं हैं?
उत्तर – हाँ। मतदान शुरू होने से पहले, पीठासीन अधिकारी परिणाम बटन दबाकर उपस्थित मतदान एजेंटों को प्रदर्शित करता है कि मशीन में पहले से छिपे हुए मत नहीं हैं। इसके बाद, वह मतदान एजेंटों की उपस्थिति में कम से कम 50 मतों के साथ मतदान एजेंटों को इस बात से पूरी तरह से संतुष्ट करने के लिए मॉक पोल का संचालन करता है और सीयू में संग्रहीत इलेक्ट्रॉनिक परिणाम से मिलान करता है कि दर्शित परिणाम पूरी तरह उनके द्वारा दर्ज किए मतों के अनुसार है। तदुपरांत पीठासीन अधिकारी वास्तविक मतदान शुरू होने से पहले मॉक पोल के परिणाम को हटाने के लिए क्लियर बटन दबाएगा। वह ‘टोटल’ बटन दबाकर फिर मतदान एजेंटों को दिखाता है कि वह ‘शून्य’ दर्शित कर रहा है। फिर वह मतदान एजेंटों की उपस्थिति में वास्तविक मतदान शुरू करने से पहले कंट्रोल यूनिट को सीलबंद करता है। अब, हरेक पोलिंग बूथ पर 100% वीवीपीएटी (वोटर वेरिफॉयबल पेपर ऑडिट ट्रेल) के उपयोग के साथ, मॉक पोल के बाद, वीवीपीएटी पेपर स्लिप भी गिने जाते हैं।
प्रश्न 29: मतदान समाप्त होने के बाद और मतगणना शुरू होने से पहले हितबद्ध पक्षकारों द्वारा किसी भी समय और अधिक मतों को दर्ज करने की संभावना को कैसे खारिज किया जा सकता है?
उत्तर – मतदान पूरा होने के बाद अर्थात जब आखिरी मतदाता मतदान कर ले, कंट्रोल यूनिट का प्रभारी अधिकारी/ पीठासीन अधिकारी ‘क्लोज’ बटन दबाता है। तदुपरांत, ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) कोई भी वोट को स्वीकार नहीं करती है। मतदान समाप्त होने के बाद, कंट्रोल यूनिट को स्विच ऑफ कर दिया जाता है और उसके बाद बैलेटिंग यूनिट को कंट्रोल यूनिट से अलग कर दिया जाता है और संबंधित कैरिईंग केस में अलग से रखा जाता है और सीलबंद कर दिया जाता है। इसके अलावा, पीठासीन अधिकारी को प्रत्येक मतदान एजेंट को दर्ज किए गए मतों के लेखे की एक प्रति सौंपनी होती है। मतगणना के समय, एक विशेष कंट्रोल यूनिट में दर्ज कुल मतों का इस लेखे से मिलान किया जाता है और यदि कोई असंगति है, तो काउंटिंग एजेंटों द्वारा उसे इंगित किया जा सकता है।
प्रश्न 30: यदि प्रिंटर द्वारा उत्पन्न पेपर पर्ची उस अभ्यर्थी से इतर अभ्यर्थी के नाम या प्रतीक को दर्शाती है जिसके लिए उसने मतदान किया है तो क्या उसके लिए शिकायत करने का कोई प्रावधान है?
उत्तर – हां, अगर कोई निर्वाचक अपना मत दर्ज करने के बाद यह आरोप लगाता है कि प्रिंटर द्वारा मुद्रित पेपर पर्ची में उस अभ्यर्थी से इतर अभ्यर्थी का नाम या प्रतीक दर्शाया गया है जिसके लिए उसने मतदान किया है तो निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 के नियम 49डक के प्रावधानों के अनुसार पीठासीन अधिकारी निर्वाचक को झूठी घोषणा करने के परिणाम के बारे में चेतावनी देने के पश्चात आरोप के बारे में उनसे लिखित घोषणा प्राप्त करेगा।
यदि निर्वाचक नियम 49डक के उप-नियम (1) में निर्दिष्ट लिखित घोषणा देता है, तो पीठासीन अधिकारी निर्वाचक को अपनी उपस्थिति में और अभ्यर्थियों या मतदान अभिकर्ताओं, जो मतदान केंद्र में उपस्थित हो सकते हैं, की उपस्थिति में वोटिंग मशीन में एक परीक्षण मत रिकॉर्ड करने और प्रिंटर द्वारा उत्पन्न पेपर स्लिप का निरीक्षण करने की अनुमति देगा।
यदि आरोप सत्य पाया जाता है, तो पीठासीन अधिकारी रिटर्निंग ऑफिसर को तथ्यों की तुरंत रिपोर्टिंग करेगा, उस वोटिंग मशीन में वोटों की आगे रिकॉर्डिंग रोक देगा और रिटर्निंग अधिकारी द्वारा दिए गए निर्देश के अनुसार कार्य करेगा।
हालांकि, यदि आरोप गलत पाया गया है और उप-नियम (1) के तहत इस तरह उत्पन्न पेपर स्लिप का मिलान उप-नियम (2) के तहत निर्वाचक द्वारा दर्ज किए गए परीक्षण मत से हो जाता है, तो, पीठासीन अधिकारी –
उस निर्वाचक से संबंधित दूसरी प्रविष्टि के प्रति प्ररूप 17क में उस अभ्यर्थी की क्रम संख्या और नाम का उल्लेख करते हुए एक टिप्पणी करेगा, जिसके लिए इस तरह का परीक्षण मत दर्ज किया गया है;
ऐसी टिप्पणियों के सामने उस निर्वाचक के हस्ताक्षर या अंगूठे का निशान प्राप्त करेगा; तथा प्ररूप 17ग के भाग I में मद 5 में इस तरह के परीक्षण मत के बारे में आवश्यक प्रविष्टियां करेगा। ”
प्रश्न 31: निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों को आवंटित क्रम संख्याएं, अभ्यर्थियों के नाम और प्रतीकों को वीवीपीएटी (वोटर वेरिफॉयबल पेपर ऑडिट ट्रेल) इकाई में कौन लोड करता है?
उत्तर – उन्हें आवंटित क्रम संख्याएं अभ्यर्थियों के नाम, और प्रतीक विनिर्माता अर्थात ईसीआईएल/बीईएल के इंजीनियरों की मदद से वीवीपीएटी (वोटर वेरिफॉयबल पेपर ऑडिट ट्रेल) यूनिट में लोड किए जाते हैं।
प्रश्न 32: क्या क्रम संख्याओं, वीवीपीएटी (वोटर वेरिफॉयबल पेपर ऑडिट ट्रेल) में लोड किए गए अभ्यर्थियों के नामों और प्रतीकों के परीक्षण प्रिंटआउट आवश्यक हैं?
उत्तर – हाँ। वीवीपीएटी (वोटर वेरिफॉयबल पेपर ऑडिट ट्रेल) में लोड की क्रम संख्याएं अभ्यर्थियों के नामों और प्रतीकों के परीक्षण प्रिंटआउट की जांच बैलट यूनिट पर रखे गए बैलेट पेपर के साथ की जानी अपेक्षित होती है। उसके बाद, प्रत्येक अभ्यर्थी को एक मत यह जांचने के लिए दिया जाएगा कि वीवीपीएटी (वोटर वेरिफॉयबल पेपर ऑडिट ट्रेल) सभी अभ्यर्थियों के संबंध में पेपर पर्चियों का सही ढंग से मुद्रण कर रहा है।
प्रश्न 33: क्या वीवीपीएटी (वोटर वेरिफॉयबल पेपर ऑडिट ट्रेल) इकाई को हैंडल करने के लिए प्रत्येक मतदान केंद्र में अतिरिक्त मतदान कार्मिक की आवश्यकता होती है?
उत्तर – हाँ। प्रत्येक ऐसे मतदान केंद्र पर अतिरिक्त मतदान कार्मिक की आवश्यकता होती है, जहां ईवीएम के साथ एम2 वीवीपीएटी (वोटर वेरिफॉयबल पेपर ऑडिट ट्रेल) लगाए जाते हैं। इस मतदान कार्मिक का कर्तव्य पूरे मतदान प्रक्रिया के दौरान पीठासीन अधिकारी की मेज पर रखी हुई वीवीपीएटी (वोटर वेरिफॉयबल पेपर ऑडिट ट्रेल) स्टेटस डिस्प्ले यूनिट (वीएसडीयू) पर नजर रखना होगा।
हालांकि, एम3 वीवीपीएटी (वोटर वेरिफॉयबल पेपर ऑडिट ट्रेल) के मामले में वीवीपीएटी (वोटर वेरिफॉयबल पेपर ऑडिट ट्रेल) को हैंडल करने के लिए किसी अतिरिक्त मतदान कार्मिक की आवश्यकता नहीं है।
प्रश्न 34 : मतदान केंद्रों पर पेपर रोल बदलने की अनुमति है या नहीं?
उत्तर – मतदान केंद्रों पर पेपर रोल को बदलने की सख्त मनाही है।
प्रश्न 35: क्या मतगणना के दिन वीवीपीएटी (वोटर वेरिफॉयबल पेपर ऑडिट ट्रेल) की मुद्रित पेपर पर्चियों की गिनती की जानी अनिवार्य है?
उत्तर – वीवीपीएटी (वोटर वेरिफॉयबल पेपर ऑडिट ट्रेल) की मुद्रित पेपर पर्चियों की गिनती केवल निम्नलिखित मामलों में की जाती है:
(क) राज्य विधान सभा के निर्वाचन के मामले में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र और (ख) लोक सभा के निर्वाचन के मामले में प्रत्येक विधानसभा खंड के यादृच्छिक रूप से चयनित 01 मतदान केंद्र की मुद्रित वीवीपीएटी (वोटर वेरिफॉयबल पेपर ऑडिट ट्रेल) पेपर पर्चियों का अनिवार्य सत्यापन कंट्रोल यूनिट से परिणाम का कोई प्रदर्शन न होने की स्थिति में, संबंधित वीवीपीएटी (वोटर वेरिफॉयबल पेपर ऑडिट ट्रेल) की मुद्रित पेपर पर्चियों की गणना की जाती है।
यदि कोई भी अभ्यर्थी या उसकी अनुपस्थिति में, उसका निर्वाचन एजेंट या उसका कोई भी मतगणना एजेंट निर्वाचनों का संचालन नियम,1961 के नियम 56 घ के तहत किसी भी मतदान केंद्र या मतदान केंद्रों के संबंध में वीवीपीएटी (वोटर वेरिफॉयबल पेपर ऑडिट ट्रेल) की मुद्रित पेपर पर्चियों की गिनती करने के लिए लिखित अनुरोध करता है, तो रिटर्निंग ऑफिसर विभिन्न कारकों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेता है और लिखित आदेश जारी करता है, कि उस विशेष मतदान केंद्र (केन्द्रों) की वीवीपीएटी (वोटर वेरिफॉयबल पेपर ऑडिट ट्रेल) के मुद्रित पेपर पर्चियों की गिनती की जानी है या नहीं।
प्रश्न 36: परिणाम की घोषणा के बाद, क्या वीवीपीएटी (वोटर वेरिफॉयबल पेपर ऑडिट ट्रेल) की मुद्रित पेपर पर्चियों (गिनी हुई या न गिनी हुई) को वीवीपीएटी प्रिंटर इकाई के ड्रॉप बॉक्स से बाहर निकाले जाने की जरूरत होती है?
उत्तर – नहीं। वीवीपीएटी को निर्वाचन याचिका की अवधि पूरी होने तक ईवीएम के साथ एक सुरक्षित स्ट्रांग रूम में संग्रहित किया जाता है।
प्रश्न 37: मैं ईवीएम और वीवीपीएटी के बारे में और अधिक जानकारी कहां से प्राप्त कर/पढ़ सकता हूं?
उत्तर – और अधिक पढ़ने-जानने के लिए आप निम्नलिखित का संदर्भ ले सकते हैं:
ईवीएम मैनुअल https://eci.gov.in/files/file/9230-manual-on-electronic-voting-machine-and-vvpat/ पर उपलब्ध है
ईवीएम पर स्टेटस पेपर https://eci.gov.in/files/file/8756-status-paper-on-evm-edition-3/ पर उपलब्ध है।
प्रश्न 38: क्या किसी विशेष मतदान केंद्र में ईवीएम की तैनाती के बारे में पहले से जानना संभव है?
उत्तर – नहीं, यहाँ यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि मतपत्र में, और इसलिए बैलट यूनिट में अभ्यर्थियों के नामों की व्यवस्था वर्णमाला के क्रम में, पहले राष्ट्रीय और राज्य मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के लिए, उसके बाद अन्य राज्य पंजीकृत दलों के लिए और फिर निर्दलीयों के लिए होती है। इस प्रकार, अभ्यर्थी जिस क्रम में बैलेट यूनिट पर दिखाई देते हैं, वह अभ्यर्थियों के नामों और उनकी दलीय संबद्धता पर निर्भर होती है और उसका पहले से पता नहीं लगाया जा सकता है।
ईवीएम को आयोग द्वारा विकसित ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) ट्रैकिंग सॉफ़्टवेयर के माध्यम से यादृच्छिकीकरण प्रक्रिया के दो चरणों के द्वारा मतदान केंद्र के लिए आवंटित किया जाता है। ईवीएम की प्रथम स्तरीय जाँच के बाद उन्हें विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रवार आवंटित करने के लिए जिला निर्वाचन अधिकारी स्तर पर ईवीएम का पहला यादृच्छिकीकरण राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि की उपस्थिति में किया जाता है। उसके बाद, ईवीएम की कमीशनिंग से पहले, रिटर्निंग ऑफिसर स्तर अभ्यर्थियों/उनके एजेंटों की उपस्थिति में ईवीएम का दूसरा यादृच्छिकीकरण किया जाता है ताकि उन्हें मतदान केंद्रवार आवंटित किया जा सके।
प्रश्न 39: क्या यह सत्य है कि न्यायालयों में ईवीएम के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई हैं? इसका परिणाम क्या है?
उत्तर – हाँ। 2001 के बाद से, विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) के साथ संभव रूप से गड़बड़ करने का मुद्दा उठाया गया है। उनमें से कुछ का उल्लेख नीचे किया गया है:
मद्रास उच्च न्यायालय-2001
केरल उच्च न्यायालय-2002
दिल्ली उच्च न्यायालय -2004
कर्नाटक उच्च न्यायालय- 2004
बॉम्बे उच्च न्यायालय (नागपुर बेंच) -2004
उत्तराखंड उच्च न्यायालय – 2017
भारत का सर्वोच्च न्यायालय – 2017
ईवीएम के इस्तेमाल से जुड़ी प्रौद्योगिकीय सुरक्षा और प्रशासनिक रक्षोपायों के विभिन्न पहलुओं के विस्तृत विश्लेषण के बाद, विभिन्न उच्च न्यायालयों द्वारा ईवीएम की साख, विश्वसनीयता और त्रुटिमुक्तता को सभी मामलों में विधिमान्य ठहराया गया है। इनमें से कुछ मामलों में, माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी उच्च न्यायालय के आदेशों जो ईवीएम के पक्ष में थे के खिलाफ कुछ याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर अपीलों को खारिज कर दिया है, । विवरण के लिए, ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) पर स्टेटस पेपर जो https://eci.gov.in/files/file/ 8756-status-paper-on-evm-edition-3/ पर उपलब्ध है, देखें।
प्रश्न 40: क्या होती है ईवीएम?
उत्तर – इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन या ईवीएम करीब पांच-मीटर केबल से जुड़ी दो यूनिट-एक कंट्रोल यूनिट और एक बैलेटिंग यूनिट होती है। ईवीएम की कंट्रोल यूनिट मतदान अधिकारी के पास होती है। इसकी बैलेटिंग यूनिट वोटिंग कम्पार्टमेंट के अंदर रखी होती है. वोटिंग कम्पार्टमेंट के जरिये ही आम मतदाता वोट डालता है।